Paytm के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की जीवनी: छोटे गांव से डिजिटल इंडिया के शिखर तक का सफर


Paytm  के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की जीवनी : छोटे गांव से डिजिटल इंडिया के शिखर तक का सफर

भूमिका

विजय शेखर शर्मा की यात्रा किसी "अर्श से फर्श तक" (rags-to-riches) वाली कहानी से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के एक छोटे से शहर से लेकर भारत के सबसे भरोसेमंद डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों में से एक, Paytm की स्थापना करने तक का उनका सफर साहस और अटूट महत्वाकांक्षा की मिसाल है। आज वह एक अरबपति उद्यमी हैं और इस बात का जीवित उदाहरण हैं कि यदि दृढ़ संकल्प के साथ पीछा किया जाए, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता

कहते हैं कि "मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।" यह पंक्तियाँ भारत के डिजिटल भुगतान जगत के क्रांतिकारी नायक विजय शेखर शर्मा पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास कभी खाने के पैसे नहीं थे, जिसने अपनी हिंदी माध्यम की पृष्ठभूमि के कारण तिरस्कार झेला, लेकिन अपनी जिद के दम पर करोड़ों भारतीयों की जेब में 'डिजिटल बटुआ' (Paytm) पहुँचा दिया। आज हम उनके संघर्ष, सफलता और हालिया चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

“सपने वो नहीं जो नींद में आते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें।”
— यह पंक्ति विजयशेखर शर्मा के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

Paytm के संस्थापक विजय शेखर शर्मा – भारतीय डिजिटल पेमेंट क्रांति के अग्रदूत


​1. साधारण शुरुआत और असाधारण संस्कार

​विजय शेखर शर्मा का जन्म 8 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक छोटे से कस्बे विजयगढ़ में हुआ था। उनके पिता एक साधारण स्कूल शिक्षक थे, जो सिद्धांतों के इतने पक्के थे कि ट्यूशन पढ़ाने को भी गलत मानते थे। विजय ने अपनी स्कूली शिक्षा एक हिंदी माध्यम के स्कूल से पूरी की। वे बचपन से ही इतने मेधावी थे कि महज 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास कर ली थी।  विजय एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से थे। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे इसलिए  उनके पास संसाधन सीमित थे।  परंतु विजय शेखर बचपन से ही कुछ अलग करने का जुनून रखे थे वह पढ़ाई में बहुत तेज़ थे, लेकिन जब 15 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, तो उन्हें पहली बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।उनके सामने अंग्रेजी एक बड़ी सी दीवार बनकर खड़ी हो गई।

​हिंदी माध्यम से होने के कारण, उन्हें अंग्रेजी की कक्षाएं और किताबें समझने में बहुत दिक्कत होती थी।  सामान्यतः जब भी कस्बे का हिंदी मीडियम का पढ़ा बच्चा शहर के बड़े महाविद्यालयों में या इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन पता है तो उसको ले क्लास के लेक्चर  बिल्कुल समझ नहीं आते  यही हालत विजय शेखर की हुई  और गांव का टॉपर  विद्यार्थी शहर में फेल होने के कगार में पहुंच गया  परंतु विजय शेखर ने हार  मान लेने के बजाय इस चुनौती  से निपटा उन्होंने एक साथ दो किताबें (एक हिंदी और एक अंग्रेजी) रखकर अंग्रेजी सीखना शुरू किया। हालांकि भाषा की बाधा के कारण उनके ग्रेड गिर गए और उन्होंने क्लास जाना छोड़ दिया, लेकिन इसी दौरान उन्होंने कंप्यूटर और इंटरनेट की दुनिया की खोज की।

​2. इंजीनियरिंग कॉलेज और भाषा का संघर्ष

​हिंदी माध्यम से होने के कारण, उन्हें अंग्रेजी की कक्षाएं और किताबें समझने में बहुत दिक्कत होती थी।  सामान्यतः जब भी कस्बे का हिंदी मीडियम का पढ़ा बच्चा शहर के बड़े महाविद्यालयों में या इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन पता है तो उसको ले क्लास के लेक्चर  बिल्कुल समझ नहीं आते  यही हालत विजय शेखर की हुई  और गांव का टॉपर  विद्यार्थी शहर में फेल होने के कगार में पहुंच गया  परंतु विजय शेखर ने हार  मान लेने के बजाय इस चुनौती  से निपटा उन्होंने एक साथ दो किताबें (एक हिंदी और एक अंग्रेजी) रखकर अंग्रेजी सीखना शुरू किया। हालांकि भाषा की बाधा के कारण उनके ग्रेड गिर गए और उन्होंने क्लास जाना छोड़ दिया, लेकिन इसी दौरान उन्होंने कंप्यूटर और इंटरनेट की दुनिया की खोज की।

​3. उद्यमिता का बीजारोपण (XS और One97 Communications)

​पहले व्यावसायिक कदम – XS कम्युनिकेशंस

Access Interconnect और शुरुआती संघर्ष

​विजय शेखर शर्मा ने इंजीनियरिंग के दौरान कोडिंग सीखी और   वर्ष 1997 में XS Communications (Access Interconnect) नाम का स्टार्टअप शुरू किया था। उन्होंने दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित कॉलेज से इसकी नींव रखी। शुरुआत में इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों ने उनके सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना शुरू किया , परंतु उनके पार्टनर मित्रों ने धोखा दिया।

धोखाधड़ी और दिवालियापन

  • पार्टनर का धोखा: उन्होंने कुछ पार्टनर्स के साथ मिलकर काम शुरू किया था, लेकिन अंततः उन्हें धोखे का सामना करना पड़ा। उनके पार्टनर्स ने उन्हें बिजनेस से बाहर कर दिया और कंपनी पर कब्जा कर लिया।
  • कर्ज का बोझ: इस धोखे के बाद उन पर भारी कर्ज हो गया। 2000 के दशक की शुरुआत में वे लगभग दिवालिया होने की कगार पर थे। उन्हें अपना खर्चा चलाने के लिए ₹10,000 की मामूली नौकरी तक करनी पड़ी थी।
  •  बाद को वो नौकरी भी चली गई  और  वह इस समय वह इतने गरीब हो गए कि उनको गुजर बसर के लिए कश्मीरी गेट के सामने चलने वाले आश्रम में मुफ़्त भोजन पर आश्रित रहना पड़ा।

Dot-com Bubble और One97 की शुरुआत

  • शुरुआती पूंजी: जब 197 Communications की शुरुआत हुई, तो विजय शेखर के पास बड़े निवेशक नहीं थे। उन्होंने ₹8 लाख का कर्ज लिया था, जिसकी ब्याज दर बहुत अधिक (करीब 24%) थी।
  • सर्वाइवल और काम: .com बबल फूटने के बाद उन्होंने गुजर-बसर करने के लिए छोटे-छोटे टेक्निकल काम किए, जैसे सर्वर सेटअप करना और सॉफ्टवेयर बनाना।
  • Dot-com Blast: साल 2000-2001 के दौरान जब 'डॉट-कॉम बबल' फटा, तो कई इंटरनेट कंपनियां बंद हो गईं। उस समय इंटरनेट का भविष्य अनिश्चित लग रहा था, लेकिन विजय शेखर ने हार नहीं मानी।
  • One97 Communications: उन्होंने 2000 में One97 Communications की स्थापना की। यह कंपनी शुरू में मोबाइल कंटेंट (जैसे रिंगटोन, एसएमएस सेवाएं) बेचती थी।


​4. Paytm का उदय: एक क्रांति की शुरुआत

जब one  97 कंपनी काम कर रही थी उसी दौरान विजय शेखर शर्मा एक काम के सिलसिले में  2010 में चीन की यात्रा की ,  इस  चीन यात्रा के दौरान उन्होंने देखा कि वहां लोग सब्जी खरीदने के लिए भी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे उन्हें भारत में डिजिटल वॉलेट का विचार आया।

​मुख्य बिंदु:

  • बदलाव का कारण: उन्होंने महसूस किया कि कैश के बजाय स्मार्टफोन से पेमेंट करना भविष्य है। उन्होंने अपनी कंपनी के बोर्ड के सामने मोबाइल पेमेंट का प्रस्ताव रखा, लेकिन जोखिम अधिक होने के कारण बोर्ड सहमत नहीं था।बोर्ड के विरोध के बावजूद ​विजय ने अपनी 1%(तब $2 मिलियन)अपनी व्यक्तिगत हिस्सेदारी दांव  दिया और कहाऔर कहा, "अगर यह फेल हुआ, तो मेरी इक्विटी ले लेना" यह दांव लगाकर  उन्होंने Paytm (Pay Through Mobile) शुरू किया।
  • Paytm से पहले: उस समय भारत में 'BillDesk' और 'CCAvenue' जैसे पेमेंट गेटवे सक्रिय थे, लेकिन वे मुख्य रूप से डेस्कटॉप और नेट बैंकिंग पर केंद्रित थे।
  • नवाचार: पेटीएम ने मोबाइल रिचार्ज और वॉलेट सुविधा देकर आम लोगों के लिए डिजिटल भुगतान को बहुत सरल बना दिया, जो पहले केवल तकनीकी जानकारों तक सीमित था।

    शुरुआत में पेटीएम सिर्फ मोबाइल  रिचार्ज का प्लेटफॉर्म था  परंतु अब आप पेटीएम में अनेक सेवाएं एक साथ देखते होगे ,आप पेटीएम ऐप से बिजली का बिल भी जमा कर सकते हो ,अन्य सेवाओं की विस्तृत लिस्ट आपको दे रहा हूं।

Paytm पर रिचार्ज के अलावा कई महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध हैं:

  • UPI और वॉलेट: बैंक ट्रांसफर, QR स्कैन और वॉलेट पेमेंट।
  • बिल भुगतान: बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन और डीटीएच (DTH) बिल।
  • बुकिंग: ट्रेन (IRCTC), बस, फ्लाइट और मूवी टिकट।
  • वित्तीय सेवाएं: पेटीएम पेमेंट्स बैंक, फिक्स्ड डिपॉजिट और पर्सनल लोन।
  • निवेश: गोल्ड (Gold) और म्यूचुअल फंड में निवेश।
  • फास्टैग (FASTag): टोल भुगतान के लिए फास्टैग रिचार्ज और मैनेजमेंट।
  • इंश्योरेंस: लाइफ, हेल्थ और गाड़ी का बीमा।

इस प्रकार आप  देख रहे होंगे कि 2014-15 तक Paytm ने मोबाइल रिचार्ज से आगे बढ़कर ई-कॉमर्स और वॉलेट सेवाओं में अपनी जगह बना ली।

​5. नोटबंदी और सफलता का चरम

​8 नवंबर 2016 को जब भारत में नोटबंदी हुई, तब Paytm रातों-रात हर घर की जरूरत बन गया। "Paytm Karo" एक जुमला नहीं, बल्कि लोगों की आदत बन गया। इसने विजय शेखर शर्मा को भारत के सबसे कम उम्र के अरबपतियों की सूची में खड़ा कर दिया।रातों-रात पेटीएम करोड़ों भारतीयों के लिए कैशलेस भुगतान का एकमात्र जरिया बन गया। दुकानदार से लेकर ऑटो रिक्शा चालक तक, हर कोई पेटीएम का उपयोग करने लगा।

नोटबंदी (Demonetization) के दौरान Paytm की सफलता के पीछे कई मुख्य कारण थे:

  • मार्केट में पहले से मौजूदगी: नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई, तब Paytm पहले से ही एक स्थापित डिजिटल वॉलेट था। इसके विपरीत, BHIM App नोटबंदी के बाद दिसंबर 2016 में लॉन्च हुआ था।
  • आक्रामक मार्केटिंग: "Paytm Karo" का नारा हर जगह फैल गया। उन्होंने अखबारों के फ्रंट पेज पर विज्ञापन दिए और छोटे दुकानदारों को तुरंत QR कोड मुहैया कराए।
  • तकनीकी विकल्प की कमी: उस समय PhonePe बहुत नया था (2015 के अंत में शुरू हुआ) और Google Pay (तब Tez) बाजार में नहीं आया था।
  • नेटवर्क इफेक्ट: जब नकदी की भारी किल्लत हुई, तब Paytm ने 'डिजिटल कैश' का सबसे आसान विकल्प दिया, जिससे ग्राहकों और व्यापारियों दोनों ने इसे तेजी से अपनाया।
  • अब जब हर कोई पेटीएम का उपयोग करने लगा। इसके बाद अलीबाबा और सॉफ्टबैंक जैसे वैश्विक निवेशकों ने इसमें निवेश किया

​6. हालिया घटनाक्रम और चुनौतियाँ (2024-25 का परिदृश्य)

​सफलता की राह कभी सीधी नहीं होती। पिछले कुछ वर्षों में Paytm और विजय शेखर शर्मा ने कई कठिन दौर देखे हैं:

  • IPO और शेयर बाजार की उथल-पुथल: 2021 में Paytm का IPO आया, जो उस समय भारत का सबसे बड़ा IPO था। हालांकि, बाजार की उम्मीदों के कारण लिस्टिंग के बाद शेयरों में भारी गिरावट आई।
  • RBI की पाबंदियाँ (2024): जनवरी 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नियमों के उल्लंघन के कारण 'Paytm Payments Bank' पर कुछ कड़े प्रतिबंध लगाए। यह विजय शेखर शर्मा के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि बैंक उनकी सेवाओं का मुख्य हिस्सा था।RBI ने Paytm Payments Bank (PPB) पर शुरुआत में और बाद के वर्षों में प्रतिबंध मुख्य रूप से KYC नियमों के उल्लंघन, डेटा सुरक्षा चिंताओं और अनुपालन (compliance) संबंधी कमियों के कारण लगाया था।

    ​प्रतिबंध के मुख्य कारण

    • KYC खामियां: बैंक ने ग्राहकों के सत्यापन (Know Your Customer) में ढिलाई बरती और कई खातों में एक ही पहचान पत्र का उपयोग पाया गया।
    • डेटा सुरक्षा: ऐसी चिंताएं थीं कि बैंक का डेटा बाहरी सर्वर या अनधिकृत संस्थाओं के साथ साझा किया जा रहा था।
    • नियमों की अनदेखी: बैंक बार-बार चेतावनी के बावजूद RBI के तकनीकी और सुरक्षा मानकों को पूरा करने में विफल रहा।

    ​समाधान और वर्तमान स्थिति

    ​इसका स्थायी समाधान नहीं निकल पाया और निरंतर उल्लंघन के कारण RBI ने मार्च 2024 से बैंक की अधिकांश सेवाओं (जमा और वॉलेट टॉप-अप) पर पूरी तरह रोक लगा दी। अब Paytm अपनी UPI सेवाओं को बनाए रखने के लिए अन्य प्रमुख बैंकों (जैसे Axis, HDFC, SBI) के साथ साझेदारी कर एक थर्ड-पार्टी एप्लिकेशन (TPAP) के रूप में काम कर रहा है।

  • वापसी का संकल्प: इन चुनौतियों के बावजूद, विजय शेखर शर्मा ने हार नहीं मानी। उन्होंने कंपनी के परिचालन मॉडल को बदला, अन्य बैंकों के साथ साझेदारी की और व्यापारियों (Merchants) का भरोसा जीतने के लिए नए फीचर्स जैसे 'Soundbox' और 'AI-driven lending' पर ध्यान केंद्रित किया।अब दोनों फीचर soundbox और AI-DRIVEN LENDING की बात विस्तार से करे ।विजय शेखर शर्मा और पेटीएम (Paytm) की कहानी वास्तव में लचीलेपन और नवाचार की है। जब कंपनी के सामने नियामक (Regulatory) और परिचालन संबंधी चुनौतियाँ आईं, तो उन्होंने 'Soundbox' और 'AI-driven lending' को अपनी रणनीति का केंद्र बनाया।

    ​यहाँ विस्तार से बताया गया है कि पेटीएम इन दोनों का उपयोग कैसे कर रहा है:

    ​1. पेटीएम साउंडबॉक्स (Soundbox): व्यापारियों का भरोसा और वफादारी

    ​साउंडबॉक्स पेटीएम के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है। यह केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि एक 'फिनटेक क्रांति' है:

    • पुष्टि का भरोसा: भारत के शोर-शराबे वाले बाजारों में, व्यापारियों को पेमेंट मिलने का नोटिफिकेशन मोबाइल पर देखने का समय नहीं होता। साउंडबॉक्स "पेटीएम पर ₹50 प्राप्त हुए" की आवाज के साथ उन्हें तुरंत निश्चिंत कर देता है।
    • व्यापारी रिटेंशन (Merchant Retention): एक बार जब दुकानदार की दुकान पर साउंडबॉक्स लग जाता है, तो वह पेटीएम इकोसिस्टम का हिस्सा बन जाता है। यह उसे अन्य प्रतिस्पर्धी ऐप पर जाने से रोकता है।
    • सब्सक्रिप्शन मॉडल: पेटीएम इस डिवाइस के लिए मासिक किराया (Monthly Subscription) लेता है, जिससे कंपनी को हर महीने एक निश्चित आय (Recurring Revenue) होती है।

    ​2. AI-Driven Lending (AI आधारित ऋण): नया रेवेन्यू मॉडल

    ​पेटीएम अब केवल एक भुगतान ऐप नहीं है, बल्कि एक वित्तीय वितरक बन गया है। वे AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करके कर्ज देने की प्रक्रिया को आसान बना रहे हैं:

    • क्रेडिट स्कोरिंग (Credit Profiling): कई छोटे व्यापारियों और ग्राहकों के पास पारंपरिक सिबिल (CIBIL) स्कोर नहीं होता। पेटीएम का AI उनके ट्रांजेक्शन पैटर्न, भुगतान की फ्रीक्वेंसी और खर्च करने की आदतों का विश्लेषण करके उनकी 'साख' (Creditworthiness) निर्धारित करता है।
    • साझेदारी आधारित मॉडल: पेटीएम खुद बैंक की तरह पैसा नहीं देता, बल्कि 'बैंकों' और 'NBFCs' के साथ साझेदारी करता है। AI यह तय करता है कि किस ग्राहक को कितना लोन दिया जा सकता है, जिससे बैंकों का जोखिम कम होता है।
    • तत्काल ऋण (Instant Loans): AI की मदद से 'पेटीएम पोस्टपेड' और 'पर्सनल लोन' कुछ ही सेकंड में बिना किसी कागजी कार्रवाई के स्वीकृत हो जाते हैं। व्यापारियों के लिए 'मर्चेंट लोन' उनकी दैनिक कमाई के आधार पर दिया जाता है।

    ​संक्षेप में प्रभाव

    ​इन दोनों तकनीकों के मेल ने पेटीएम को संकट से उबारा है:

    1. साउंडबॉक्स ने व्यापारियों के साथ एक मजबूत भौतिक संबंध (Physical Presence) बनाया।
    2. AI-Driven Lending ने उस डेटा को मुनाफे में बदलने का रास्ता दिखाया।

​7. विजय शेखर शर्मा के जीवन से 5 महत्वपूर्ण शिक्षाएँ

​विजय की कहानी केवल बिजनेस की नहीं, बल्कि जीवन जीने के नजरिए की है:

  1. कमजोरी को ताकत बनाएं: अंग्रेजी न आना उनकी कमजोरी थी, जिसे उन्होंने मेहनत से अपनी ताकत बनाया।
  2. अपनी नजर भविष्य पर रखें: जब किसी ने मोबाइल पेमेंट के बारे में नहीं सोचा था, तब उन्होंने उस पर दांव लगाया।
  3. विरासत का निर्माण (Build a Legacy): वे कहते हैं, "लड़के कंपनियां बेचते हैं, पुरुष विरासत बनाते हैं।" उनका लक्ष्य हमेशा से एक टिकाऊ संस्थान बनाना रहा है।
  4. विफलता से न डरें: 10 रुपये की चाय पर दिन काटने वाला व्यक्ति ही आज अरबों की कंपनी का मालिक है।
  5. बदलाव के साथ अनुकूलन (Adaptability): हालिया RBI संकट के बाद जिस तरह उन्होंने Paytm को 'री-ब्रांड' और 'री-स्ट्रक्चर' किया, वह उनकी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है और — विजय शेखर शर्मा ने हर बार ये साबित किया कि “असफलता अंत नहीं होती, सीख होती है।”<

8.विजयशेखर शर्मा से सीख

उनकी कहानी हमें सिखाती है:

✔ गरीब पृष्ठभूमि आपकी उड़ान नहीं रोक सकती
✔ भाषा, हालात और संसाधन बाधा नहीं होते
✔ आत्मविश्वास और धैर्य सबसे बड़ी पूंजी है
✔ भारत में भी ग्लोबल कंपनियां बन सकती हैं

9.व्यक्तिगत जीवन और नेट वर्थ

​विजय शेखर शर्मा का विवाह 2015 में मृदुला पाराशर शर्मा से हुआ और उनका एक बच्चा है। वह संगीत के बहुत शौकीन हैं। 2025 तक, उनकी कुल संपत्ति लगभग $1.1 बिलियन (करीब ₹9,000 करोड़) अनुमानित है। वह आज भी फोर्ब्स की वैश्विक अमीर सूची में शामिल भारत के सबसे कम उम्र के अरबपतियों में से एक हैं।

​10. व्यक्तिगत जीवन और प्रेरणा

​विजय शेखर शर्मा आज भी अपने जड़ों से जुड़े हुए हैं। उनकी पत्नी मृदुला शर्मा और उनका परिवार उनकी सबसे बड़ी ताकत है। अलीगढ़ के उस छोटे से घर से निकलकर फोर्ब्स की सूची तक पहुँचने का उनका सफर हमें बताता है कि "मेहनत ही किस्मत की लकीरें बदलती है।"

निष्कर्ष: एक आम लड़का, असाधारण सोच

विजयशेखर शर्मा की कहानी सिर्फ Paytm की कहानी नहीं है,
यह हर उस युवा की कहानी है जो छोटे शहर से बड़े सपने देखता है

अगर आप भी कभी हालात से हार मानने लगें,
तो बस इतना याद रखिए—

हरदुआगंज के एक शिक्षक का बेटा भी दुनिया बदल सकता है,
तो आप क्यों नहीं?

विजय शेखर शर्मा की कहानी हमें सिखाती है कि बाधाएं आपको रोकने के लिए नहीं, बल्कि आपकी परीक्षा लेने के लिए आती हैं। चाहे वह भाषा की समस्या हो, आर्थिक तंगी हो या सरकारी रेगुलेशन की चुनौतियां—एक सच्चा उद्यमी वही है जो हर तूफान में अपनी कश्ती को किनारे तक ले जाने का जज्बा रखता हो।

​जैसा कि विजय अक्सर कहते हैं— "असली मजा उसे करने में है जो लोग कहें कि तुम नहीं कर सकते हो!"



❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

❓ विजय शेखर शर्मा कौन हैं?

विजय शेखर शर्मा भारत के प्रसिद्ध उद्यमी और Paytm के संस्थापक व CEO हैं। उन्होंने भारत में डिजिटल भुगतान को आम लोगों तक पहुँचाकर डिजिटल इंडिया को नई दिशा दी।


❓ विजय शेखर शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?

उनका जन्म 8 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के विजयगढ़ कस्बे में हुआ था।


❓ क्या विजय शेखर शर्मा हिंदी माध्यम से पढ़े थे?

हाँ, विजय शेखर शर्मा ने हिंदी माध्यम के स्कूल से पढ़ाई की थी। इंजीनियरिंग कॉलेज में उन्हें अंग्रेजी के कारण काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे अपनी ताकत बनाया।


❓ Paytm की शुरुआत कैसे हुई?

Paytm की शुरुआत 2010 में One97 Communications के अंतर्गत हुई। चीन यात्रा के दौरान मोबाइल पेमेंट देखकर विजय शेखर शर्मा को भारत में डिजिटल वॉलेट शुरू करने का विचार आया।


❓ Paytm नाम का क्या अर्थ है?

Paytm का पूरा नाम है Pay Through Mobile, यानी मोबाइल के माध्यम से भुगतान।


❓ नोटबंदी में Paytm क्यों इतना लोकप्रिय हुआ?

2016 की नोटबंदी के समय Paytm पहले से मौजूद डिजिटल वॉलेट था। कैश की कमी के दौरान “Paytm Karo” अभियान ने इसे हर दुकानदार और ग्राहक तक पहुँचा दिया।


❓ Paytm Payments Bank पर RBI ने प्रतिबंध क्यों लगाया?

RBI ने KYC नियमों के उल्लंघन, डेटा सुरक्षा चिंताओं और अनुपालन की कमियों के कारण 2024 में Paytm Payments Bank पर प्रतिबंध लगाए।


❓ RBI प्रतिबंध के बाद Paytm कैसे काम कर रहा है?

Paytm अब Axis Bank, HDFC Bank और SBI जैसे बैंकों के साथ मिलकर TPAP (Third Party App Provider) के रूप में UPI सेवाएँ दे रहा है।


❓ Paytm Soundbox क्या है?

Paytm Soundbox एक डिवाइस है जो भुगतान होते ही आवाज़ में सूचना देता है—जैसे
Paytm par ₹100 prapt hue
यह छोटे व्यापारियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ है।


❓ AI-Driven Lending क्या है?

Paytm का AI-Driven Lending सिस्टम ग्राहकों और व्यापारियों के ट्रांजेक्शन डेटा के आधार पर तुरंत लोन अप्रूव करने में मदद करता है, वह भी बिना ज्यादा कागजी कार्रवाई के।


❓ विजय शेखर शर्मा को सबसे बड़ा संघर्ष क्या झेलना पड़ा?

भाषा की समस्या, आर्थिक तंगी, पार्टनर द्वारा धोखा, दिवालियापन और RBI से जुड़ी चुनौतियाँ—इन सभी से गुजरते हुए भी उन्होंने हार नहीं मानी।


❓ विजय शेखर शर्मा की कुल संपत्ति कितनी है?

2025 तक उनकी अनुमानित नेट वर्थ लगभग $1.1 बिलियन (करीब ₹9,000 करोड़) मानी जाती है।


❓ विजय शेखर शर्मा से युवाओं को क्या सीख मिलती है?

उनकी कहानी सिखाती है कि
✔ हालात स्थायी नहीं होते
✔ असफलता अंत नहीं, सीख होती है
✔ भारत में भी वैश्विक स्तर की कंपनियाँ बन सकती हैं


❓ विजय शेखर शर्मा की कहानी क्यों प्रेरणादायक है?

क्योंकि यह कहानी सिर्फ बिजनेस की नहीं,
बल्कि संघर्ष, आत्मविश्वास और कभी हार न मानने की जिद की कहानी है।



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