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धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

RTPCR ka full form kya hai| RTPCR क्या है

RTPCR का full form क्या है। R. T. P. C. R. का फूल  फॉर्म हिंदी में   रिवर्स ट्रांस्क्रिप्शन पालीमर चेन रिएक्शन R - Reverse  T -Transcription  P- Polymer C- Chain R- Reaction   आर टी पी सी आर परीक्षण क्या है - R. T. P. C. R. टेस्ट में गले और नाक स्वैब को लैब में ले जाकर परीक्षण किया जाता है , इस परीक्षण में वायरस के सेल के अंदर एकल कड़ी  RNA (Single Helix)  को DNA डबल हेलिक्स  (Double  Helix) में बदला जाता है , इस प्रक्रिया को रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं उसके बाद DNA की काउंटिंग की जाती है , इस प्रक्रिया को पॉलीमर चेन रिएक्शन कहते हैं।   आरटी-पीसीआर किसी भी रोगज़नक़ में विशिष्ट आनुवंशिक सामग्री  और उसमे उपस्थित वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक परमाणु-व्युत्पन्न विधि है।    मूल रूप से इस विधि ने निश्चित कर दिए गए आनुवंशिक सामग्रियों का पता लगाने के लिए रेडियोधर्मी आइसोटोप मार्करों का उपयोग किया था ।     लेकिन बाद में  रिसर्च ने विशेष मार्करों के साथ प्रयोग होने लगे फ्लोरेसेंट रंजक का प्रयोग होने लगा।    यह तकनीक वैज्ञानिकों को प्रक्रिया को जारी रखते हुए लगभग तुरंत परिणाम देखने