Posts

Showing posts from March 23, 2025

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

Image
 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

भारतीय न्याय संहिता, 2023 बनाम भारतीय दंड संहिता, 1860: एक तुलनात्मक विश्लेषण

Image
  भारतीय न्याय संहिता, 2023 बनाम भारतीय दंड संहिता, 1860: एक तुलनात्मक विश्लेषण भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में 2023 में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ जब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर लागू किया गया। यह परिवर्तन न केवल कानूनी पेशेवरों के लिए, बल्कि उन व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो न्यायिक प्रक्रिया में शामिल हैं। इस लेख में, हम बीएनएस और आईपीसी के बीच प्रमुख अंतर, उनके प्रभाव, और नए प्रावधानों का विश्लेषण करेंगे। पृष्ठभूमि भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) ब्रिटिश शासन के दौरान लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में तैयार की गई थी और 1862 में लागू हुई। यह संहिता भारतीय आपराधिक कानून का मूल आधार बनी रही। हालांकि, समय के साथ, इसमें कई संशोधन किए गए, लेकिन आधुनिक अपराधों और सामाजिक परिवर्तनों को समायोजित करने में यह कुछ हद तक अपर्याप्त रही। भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) को आधुनिक आवश्यकताओं और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। यह संहिता 1 जुलाई 2024 से लागू हुई और इसका उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी, समाव...

प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा: भारतीय कला के अद्वितीय पक्षी चितेरे। Biography of Devkinandan Sharma

Image
     प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा: भारतीय कला के  अद्वितीय पक्षी चितेरे Biography of Devkinandan  Sharma  भारत के कला जगत में कई महान कलाकार हुए हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से न केवल देश, बल्कि पूरे विश्व में ख्याति अर्जित की। इन्हीं में से एक नाम है  प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा  का, जो अपनी अनूठी शैली और बेहतरीन चित्रकारी के लिए जाने जाते हैं। प्रोफेसर देवकी नंदन शर्मा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा का जन्म एक सामान्य भारतीय परिवार में हुआ था, लेकिन उनका झुकाव शुरू से ही चित्रकला की ओर था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद कला की औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। और कला के विभिन्न रूपों का गहनता से समग्र अध्ययन किया। प्रोफेसर देवकीनंदन शर्मा का जन्म 17 अप्रैल 1917 को अलवर, राजस्थान में हुआ था। आप राजस्थान राज्य के वरिष्ठतम चित्रकारों में से एक थे,जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी आर्ट कार्यों में खापा दी। आपके पिता और बाबा अलवर और जयपुर रियासत के प्रतिष्ठित राष्ट्रकवियों में थे। इनके पिता ने इनकी बचपन से चित्रकला में रुचि के कारण जयप...