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Showing posts from January 7, 2021

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

जया अप्पा स्वामी आर्टिस्ट की जीवनी

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(ग्लास पेंटिंग) जया अप्पा स्वामी आर्टिस्ट की जीवनी( Biography Of Jaya Appaswami Artist)   जया  अप्पास्वामी (1918-1984) एक कलाकार और कला समीक्षक थीं जिन्होंने आधुनिक भारतीय कला के गहन अध्ययन  और  विश्लेषण और लेखन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जया अप्पास्वामी का प्रारंभिक जीवन-  जया अप्पास्वामी का जन्म 1918 में मद्रास में हुआ था और इनके भाई  एक  सम्मानित  सार्वजनिक  सेवा के लिए जाना जाता था ।  उनके सबसे बड़े भाई भास्कर अप्पास्वामी  द हिन्दू अखबार  में एक पत्रकार थे और एक अन्य भाई मद्रास के यूनिवर्सिटी कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे।            जया अप्पास्वामी ने कला में प्रारंभिक प्रशिक्षण शांतिनिकेतन में  प्राप्त किया, जहाँ नंदलाल बोस और बिनोद बिहारी मुखर्जी जैसे शिक्षकों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ , इन गुरु जनों के सानिध्य में रहने पर जया की कला विषय मे गहनतम जानकारी हुई ,इनके साथ जुड़े रहने के कारण जया को कला के महत्वपूर्ण विश्लेषण करने उसकी समालोचना करने में ,कला में विशेष  रुचि जगाने में काफी मदद मिली।   इसके बाद एक सरकारी छात्रवृत्ति पर वह देश की कला और संस्कृति का अध्ययन करने के ल