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Showing posts from March 26, 2025

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

रणदीप हुड्डा एक फिल्म एक्टर की जीवनी।Randeep Hudda Film Actor ki Biography

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  रणदीप हुड्डा एक फिल्म एक्टर की जीवनी परिचय रणदीप हुड्डा भारतीय फिल्म जगत के एक प्रतिभाशाली अभिनेता हैं, जो अपने दमदार अभिनय, गहरी आवाज़ और अलग-अलग किरदारों को जीवंत करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने करियर में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है और अपने अभिनय कौशल से दर्शकों का दिल जीता है। रणदीप न केवल एक अच्छे अभिनेता हैं, बल्कि घुड़सवारी और सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भागीदारी रखते हैं। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा रणदीप हुड्डा का जन्म 20 अगस्त 1976 को हरियाणा के रोहतक जिले में हुआ था। उनके पिता रणबीर हुड्डा एक डॉक्टर थे, जबकि उनकी माता आशा देवी हुड्डा सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई थीं। उनके परिवार की पृष्ठभूमि शिक्षित और प्रतिष्ठित रही है। रणदीप को बचपन से ही घुड़सवारी और थिएटर का शौक था, लेकिन उनके माता-पिता चाहते थे कि वे पढ़ाई पर ध्यान दें। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मॉडल स्कूल, रोहतक से प्राप्त की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल, आरके पुरम चले गए। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया का रुख किया, जहां उन्होंने मार्...

गौरैया पक्षी: घटती संख्या और पुनर्वापसी की आशा।House Sparrow Story

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  गौरैया पक्षी: घटती संख्या और पुनर्वापसी की आशा भूमिका गौरैया (House Sparrow) कभी भारतीय घरों, खेतों और गलियों में चहचहाने वाला सबसे आम पक्षी हुआ करती थी। 1980-90 के दशक तक यह घर के आंगन, छतों और बाग-बगीचों में बड़ी संख्या में दिखाई देती थी। लेकिन पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है। अब स्थिति यह हो गई है कि गौरैया विलुप्त होने की कगार पर आ गई है। हालाँकि, हाल के वर्षों में इनके संरक्षण और जागरूकता अभियानों के कारण कुछ क्षेत्रों में इनकी संख्या में हल्की वृद्धि देखी जा रही है। इस लेख में हम गौरैया की घटती संख्या के कारणों, उसके पर्यावरणीय महत्व, संरक्षण उपायों और इन पक्षियों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा करेंगे। गौरैया का परिचय गौरैया एक छोटी चिड़िया होती है जो मुख्य रूप से मनुष्यों के आवासों के आसपास पाई जाती है। इसकी लंबाई लगभग 14-16 सेमी होती है और वजन मात्र 24-40 ग्राम होता है। नर गौरैया के सिर पर ग्रे (स्लेटी) और भूरी धारियाँ होती हैं, जबकि मादा का रंग हल्का भूरा और सफेद होता है। गौरैया सर्वाहारी पक्षी होती है और अनाज, छोटे कीड़े-मकोड़ो...

संघर्ष से शिखर तक: के. सिवन की प्रेरणादायक कहानी

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  संघर्ष से शिखर तक: के. सिवन की प्रेरणादायक कहानी भारत के महान वैज्ञानिकों में से एक, डॉ. कैलाशावादिवो सिवन , जिन्हें लोग प्यार से "ISRO के रॉकेट मैन" भी कहते हैं, उनकी जिंदगी संघर्ष और मेहनत की मिसाल है। कन्याकुमारी के एक छोटे से गांव सरक्कालविलाई में जन्मे के. सिवन का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि पढ़ाई जारी रखना भी मुश्किल था। आम बेचकर की पढ़ाई के. सिवन की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से शुरू हुई। आठवीं कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें गांव से बाहर जाना पड़ा, लेकिन पैसे नहीं थे। अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए उन्होंने बाजार में आम बेचना शुरू किया । उन्हीं पैसों से अपनी फीस भरी और पढ़ाई में जुटे रहे। इस संघर्ष के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। पहली बार पहनी चप्पल ग्रेजुएशन के लिए उन्होंने कन्याकुमारी के नागरकोइल के हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया। जब वह मैथ्स में बीएससी करने पहुंचे, तब पहली बार उन्होंने अपने पैरों में चप्पल पहनी । इससे पहले उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो चप्पल तक खरीद सक...

कोरा से कमाई खत्म हो चुकी है Dont waste your time in Quora

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  कोरा से कमाई खत्म हो चुकी है Dont waste your time in Quora   यदि आप कोरा में स्पेस मालिक हो और कोरा में स्पेस आज से दो साल या एक साल पहले  बनाया था इसलिए की किसी ब्लॉग की तुलना में कोरा में ज्यादा व्यूअर आ जाते थे क्योंकि इसका  एस ई ओ बढ़िया होने से ये गूगल सर्च इंजन में भी आराम से आ जाते थे आपको व्यूअर और ट्रैफिक की समस्या नहीं रहती थी ,इसीलिए लोग कमाई के चक्कर में कोरा स्पेस प्रोग्राम में जुड़ गए । कोरा का कहना हैं कि इससे कंटेंट क्वालिटी में अचानक गिरावट आ गई ,और इसी को देखते हुए कुरा , Quora ने अपने Ads Revenue Sharing प्रोग्राम को 18 नवंबर, 2024 को समाप्त कर दिया था।   2024  तक तो आपका कोरा से कमाई का बढ़िया साधन था जिसमें आपकी पोस्ट के नीचे विज्ञापन दिखते थे और उस विज्ञापन में जब कोई पाठक क्लिक करता तो आपको भी कोरा के साथ कुछ हिस्सेदारी थी कमाई में पर अब विज्ञापन में कमाई के इस हिस्सेदारी को बंद कर दिया है अब सिर्फ कोरा के space+ से ही आप कमाई कर सकते हो। कोरा से कमाई खत्म हो चुकी है क्योंकि अब कोरा Ad Revenue Sharing Program    एड रे...