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Showing posts from September 1, 2019

ए ए अलमेलकर ( A.A Almelkar) की जीवनी एक भारतीय चित्रकला परंपरा के सजग संरक्षक

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  ए. ए. अलमेलकर (A. A. Almelkar) की जीवनी — एक भारतीय चित्रकला परंपरा के सजग संरक्षक परिचय ए. ए. अलमेलकर (A. A. Almelkar) भारतीय कला-जगत की एक ऐसी विलक्षण प्रतिभा थे, जिन्होंने पारंपरिक भारतीय चित्रशैली को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ते हुए एक विशिष्ट शैली का विकास किया। उन्होंने भारतीय जीवन, संस्कृति और लोक परंपराओं को अपनी कला का केंद्र बनाया और एक गहरी भारतीयता से भरपूर चित्रशैली को जन्म दिया। प्रारंभिक जीवन पूरा नाम : अरुणा अनंतराव अलमेलकर जन्म :  10 अक्टूबर, 1920  में शोलापुर  महाराष्ट्र में मृत्यु : 1982 में अलमेलकर का जन्म एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें चित्रकला में थी, और सात साल की छोटी सी उम्र  से ही चित्रकारी शुरू कर दी ,इसी रुचि ने उन्हें आगे चलकर भारत के प्रमुख कलाकारों में शामिल किया। शिक्षा : अपने समकालीनों से अलग उन्होंने कम उम्र में ही चित्रकारी शुरू कर दी और खुद की एक अलग कला शैली विकसित की । उनकी चित्रकला शैली अपने समकालीन कलाकारों से कहीं ज्यादा पारंपरिक थे ,उनकी  शैली में लघु चित्र कला का ज्यादा ...

Why Wild animals attack increased in human area

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Why Wild animals attack increased in human area जंगली जन्तु खेतों में क्यों आ रहे हैं - हमने विकास की रफ़्तार पकड़ने के कारण हरे भरे जंगल काट डाले,और अपने रहने के लिए कंक्रीट के मकान बना डाले,इन पेंड़ो के कटते ही हमने अपने आवास बनाने के लिए जगह तो तलाश ली परन्तु इन पेंड़ो पर आवास बना कर रहने वाले जीवों गिलहरी ,पक्षी, बन्दर के आवास छीन लिए हम लोंगों ने, यदि कुछ जीव हमारे बस्ती में घुस रहे है, हमारे  स्कूल में घुस जा रहे है तो इसके जम्मेदार हम ही सब है? जीव का सहचर्य-    पृथ्वी में उपस्थित   सारी  वस्तुओं चाहे वो जीव हो या निर्जीव आपस में  गहरा सम्बन्ध है,   जीव एक  दूसरे से जुड़े  हुए है , पृथ्वी की सभी जीव वनस्पतियां एक दूसरे के पूरक हैं, पृथ्वी में हर जीव का जीवन अपने आप में अद्वितिय(unique)है, प्रकृति के लिए यदि किसी एक जीव का जीवन संकट में पड़ता है तो दूसरे जीव का जीवन भी संकट में पड़ जाता है,उदाहरण के लिए प्रकृति में संतुलन के लिए पेंड़ पौधे,घास  होने चाहिए, इन पेंड़ पौधों को खाने के लिये हिरण आदि  शाकाहारी जीव ...