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Showing posts from September 1, 2019

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

Why Wild animals attack increased in human area

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Why Wild animals attack increased in human area जंगली जन्तु खेतों में क्यों आ रहे हैं - हमने विकास की रफ़्तार पकड़ने के कारण हरे भरे जंगल काट डाले,और अपने रहने के लिए कंक्रीट के मकान बना डाले,इन पेंड़ो के कटते ही हमने अपने आवास बनाने के लिए जगह तो तलाश ली परन्तु इन पेंड़ो पर आवास बना कर रहने वाले जीवों गिलहरी ,पक्षी, बन्दर के आवास छीन लिए हम लोंगों ने, यदि कुछ जीव हमारे बस्ती में घुस रहे है, हमारे  स्कूल में घुस जा रहे है तो इसके जम्मेदार हम ही सब है? जीव का सहचर्य-    पृथ्वी में उपस्थित   सारी  वस्तुओं चाहे वो जीव हो या निर्जीव आपस में  गहरा सम्बन्ध है,   जीव एक  दूसरे से जुड़े  हुए है , पृथ्वी की सभी जीव वनस्पतियां एक दूसरे के पूरक हैं, पृथ्वी में हर जीव का जीवन अपने आप में अद्वितिय(unique)है, प्रकृति के लिए यदि किसी एक जीव का जीवन संकट में पड़ता है तो दूसरे जीव का जीवन भी संकट में पड़ जाता है,उदाहरण के लिए प्रकृति में संतुलन के लिए पेंड़ पौधे,घास  होने चाहिए, इन पेंड़ पौधों को खाने के लिये हिरण आदि  शाकाहारी जीव ...