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Showing posts from March 27, 2025

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

द्वारका: भगवान श्रीकृष्ण की स्वर्णिम नगरी का रहस्य और प्रमाण

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  द्वारका: भगवान श्रीकृष्ण की स्वर्णिम नगरी का रहस्य और प्रमाण द्वारका नगरी का समुद्र में विलुप्त होना एक ऐसा रहस्य है, जिसने वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और सनातनी भक्तों को सदियों से आकर्षित किया है। पुराणों, महाभारत और विभिन्न ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है, और आधुनिक समय में समुद्र के नीचे मिले अवशेषों ने इसके ऐतिहासिक प्रमाण को और भी बल दिया है। आइए इस विषय को क्रमबद्ध रूप से समझते हैं: 1. द्वारका का ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ द्वारका, भगवान श्रीकृष्ण की नगरी थी, जिसे उन्होंने मथुरा छोड़ने के बाद बसाया था। महाभारत के अनुसार, यह नगरी समुद्र किनारे स्थित थी और अपने समय की सबसे समृद्ध नगरी मानी जाती थी। विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण में उल्लेख मिलता है कि द्वारका 12 योजन (लगभग 96 किमी) में फैली हुई थी और इसमें 900,000 महल थे। 2. समुद्र में द्वारका के विलुप्त होने का कारण महाभारत के अनुसार, यादव वंश में आपसी संघर्ष के कारण विनाश हुआ और श्रीकृष्ण के कैलाश गमन के बाद समुद्र ने इस नगरी को डुबो दिया। यह घटना लगभग 5000 वर्ष पहले (3102 ईसा पूर्व) मानी जाती है, जब महाभार...