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Showing posts from June 11, 2019

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

Raja Ram mohan ray :first indian social reformer

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 राजा राम मोहन राय-- Raja Ram Mohan Ray             मैं आज आपको राजा राम मोहन राय के बारे में बताता हूँ ----/--/----                 राजा राम मोहन राय (raja ram mohan Ray ) की कहानी ब्रिटिश काल की है , जब देश मे मुग़ल काल की संस्कृति ,भाषा,और कुछ प्रशासन भी चल रहा था, परंतु ब्रिटिश का बंगाल में आधिपत्य के बाद ,उन्होंने भारत के संस्कृति में अधिक हस्तक्षेप के बिना व्यापार करने में ही ध्यान लगाया । परंतु अंग्रेजों के आगमन से भारत के लोंगों के बीच आधुनिक उदारवादी विचारों का प्रसार हुआ ,भारत के लोंगों को अपने धर्म की कई बुराइयां दिखाई दीं जो समाज मे जनसामान्य में व्याप्त थी , जैसे स्त्रियों की स्थिति बहुत खराब थी , विधवा महिलाओं की स्थिति नारकीय थी।                    इसी समय राजा राम मोहन राय का जन्म 1774 में बंगाल के हुगली जिले के राधानगर कस्बे में   कुलीन ब्राम्हण  परिवार में  हुआ था , बंगाल के नवाबों ने इनके परिवार की सेवा के कारण इनक...

Young bangal movement at bengal, Henry vivan derozio

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      हेनरी विवियन डेरेज़िओ और उनका बचपन-    हेनरी विवियन डेरेजियो ,का जन्म अप्रैल 1809 में कलकत्ता में हुआ , इनके पिता फ्रांसिस डेरेजियो एक ऐंग्लो इंडियन परिवार से थे, हेनरी विवियन डेरेजीयो का बचपन कलकत्ता में ही बीता,  बचपन से ही तीक्ष्ण दिमाग के धनी थे डेरेजियो,सत्रह वर्ष की उम्र में डेरेजिओ हिन्दू कॉलेज में सहायक प्रधानाचार्य हो गए थे। 1831 से 1826 तक वो हिन्दू कॉलेज  में प्रधानाचार्य रहे,इन्होंने कुछ समय में ही मेधावी और प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अपना अनुयायी बना लिया, ये ऐंग्लो इंडियन  जर्रूर थे ,परंतु इनको अपने देश भारत से बहुत अधिक प्रेम था , इन्होंने राष्ट्रभक्ति की कई कविताएं इंग्लिश में लिखीं , कह सकतें है कि वो एक राष्ट्रवादी कवि थे ।   हेनरी विवियन डेरेज़िओ का यंग बंगाल मूवमेंट---             डेरेजियो ने हिन्दू कॉलेज में शिक्षण कार्य के दौरान छात्रों को पश्चिमी तार्किक ज्ञान,और विज्ञान परक सोंच को बताया  उन्होंने किसी भी बात को आंख मूंद कर विश्वास करने से रोका हर उस बात पर विश्वास कर...