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Showing posts from November 14, 2019

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन,Economic life |Saindhav Period Economy

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::सिंधु सभ्यता में पाई गई बैलगाड़ी की मिट्टी की मूर्ति, जो व्यापार का सूचक है:: सिन्धु सभ्यता का आर्थिक जीवन -------------   कृषि--- ------- ------ ------ सिन्धु सभ्यता की आर्थिक व्यवस्था यद्यपि नगरीय तरह की थी ,परंतु नगरों की स्थापना तभी सम्भव है जब गांव से अतिरिक्त उत्पादन होने लगे, इस अतिरिक्त उत्पादन के लिए कृषि में कुछ नई तकनीक का प्रयोग करने में ही सम्भव है ,कृषि में अतिरेक उत्पादन के लिए मिट्टी उर्वर  होना चाहिए,सिंचाई के साधन हो,खेत की जोताई गहराई से हो सके ,तब खेत मे साल में दो फ़सलें उग सकती हैं, तब अतिरिक्त अनाज से नगरवासियों को भोजन मिल सकता है। सैंधव सभ्यता का व्यापक नगरीकरण  अत्यंत उपजाऊ भूमि की  पृष्ठभूमि में संभव था।        सैंधव सभ्यता में नदियों से जलोढ़ मिट्टी बाढ़ के बाद एकत्र होने से उपजाऊ हो जाती थी ,उस काल मे वर्षा भी अधिक होती थी ,जिससे बिना सिंचाई के ही अधिक फ़सल उगाई जा सकती थी ,सिंचाई के लिए नहरों का प्रमाण नही मिलता,अधिक वर्षा होती थी, जिससे ज्यादा पानी वाली फसलें जैसे धान और कपास भी उगाई जातीं थीं , गेहूँ ...