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Showing posts from August 13, 2019

डॉ. अमोद द्विवेदी की जीवनी: कानपुर के प्रसिद्ध यूरो सर्जन की संघर्षपूर्ण यात्रा

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🩺 डॉ. अमोद द्विवेदी: कम उम्र में प्रतिष्ठा पाने वाले यूरो  सर्जन की जीवन-यात्रा (एक चिकित्सक, एक सर्जन और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का नाम) प्रस्तावना किसी भी समाज में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनकी पहचान केवल उनकी डिग्रियों या पदों से नहीं होती, बल्कि उनके कर्म, समर्पण और जनता के विश्वास से होती है। कानपुर जैसे औद्योगिक और घनी आबादी वाले शहर में यूरोलॉजी जैसे जटिल चिकित्सा क्षेत्र में पहचान बनाना आसान नहीं होता। डॉ. अमोद द्विवेदी इसी श्रेणी के चिकित्सक हैं, जिन्होंने अपेक्षाकृत कम उम्र में ही यूरोलॉजिकल सर्जरी के क्षेत्र में स्थायित्व, विश्वास और लोकप्रियता अर्जित की। आमोद द्विवेदी का जन्म कानपुर जिले के  उपजिला घाटमपुर कस्बे में सन 1979 में हुआ था ।उनकी प्रारंभिक शिक्षा घाटमपुर के सरस्वती शिशु विद्यामंदिर में कक्षा पांच तक हुई जहां पर उन्होंने संस्कार निर्माण और देश सेवा की संकल्पना की , तत्पश्चात उन्होंने कक्षा आठ तक की शिक्षा घाटमपुर स्थित रामस्वरूप सुभाष स्मारक विद्या मंदिर से ली उन्होंने क्लास 9 से क्लास 10 वीं की पढ़ाई गांधी विद्या इंटर कॉलेज से की इसके पश्चात...

Gupt kaal ki samajik arthik vyavastha,, गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था

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  गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था-- ---------- Socio-economic system of the Gupta period---------- Gupt kaal ki samajik arthik vyavastha,गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था--         गुप्त कालीन सामाजिक व्यवस्था :  गुप्त काल में पहले से चली आ रही वर्ण व्यवस्था ही थी ,सभी वर्ण के कार्यों का विभाजन था,जातियाँ  इतनी नही थीं जैसे आज है परंतु आर्थिक व्यवस्था के उस समय बदलने से  सामाजिक व्यवस्था में भी कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है , जैसे अभी तक ब्राम्हण सिर्फ,यज्ञ,अध्यापन,भिक्षा लेना,भिक्षा देना,कार्य कर सकते थे,परंतु अब  स्मृतिकारों ने उन्हें संकटकाल में कोई दूसरा व्यवसाय अपनाने की भी अनुमति दे दी थी।     बृहस्पति नामक स्मृतिकार ने कहा है कि संकटकाल में में ब्राम्हण शूद्र द्वारा भी अन्न या भोजन ग्रहण कर सकता था।   यानि इस समय तक ब्राम्हण की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई थी,यज्ञ का विधान कम हुआ था।    यद्यपि गुप्त काल में भूमिदान की प्रथा फिर से शुरू हुई, जिससे उनको दान में भूमि मिली,इस समय कुछ ब्राम्हण...