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Showing posts from August 13, 2019

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

Gupt kaal ki samajik arthik vyavastha,, गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था

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  गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था-- ---------- Socio-economic system of the Gupta period---------- Gupt kaal ki samajik arthik vyavastha,गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था--         गुप्त कालीन सामाजिक व्यवस्था :  गुप्त काल में पहले से चली आ रही वर्ण व्यवस्था ही थी ,सभी वर्ण के कार्यों का विभाजन था,जातियाँ  इतनी नही थीं जैसे आज है परंतु आर्थिक व्यवस्था के उस समय बदलने से  सामाजिक व्यवस्था में भी कुछ परिवर्तन देखने को मिलता है , जैसे अभी तक ब्राम्हण सिर्फ,यज्ञ,अध्यापन,भिक्षा लेना,भिक्षा देना,कार्य कर सकते थे,परंतु अब  स्मृतिकारों ने उन्हें संकटकाल में कोई दूसरा व्यवसाय अपनाने की भी अनुमति दे दी थी।     बृहस्पति नामक स्मृतिकार ने कहा है कि संकटकाल में में ब्राम्हण शूद्र द्वारा भी अन्न या भोजन ग्रहण कर सकता था।   यानि इस समय तक ब्राम्हण की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई थी,यज्ञ का विधान कम हुआ था।    यद्यपि गुप्त काल में भूमिदान की प्रथा फिर से शुरू हुई, जिससे उनको दान में भूमि मिली,इस समय कुछ ब्राम्हण...