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Showing posts from October 25, 2021

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी Biography of Pandit Deendayal Upadhyay

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  दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी -- Biography of Pandit Deendayal Upadhyay--- प्रस्तावना --  दीनदयाल उपाध्याय भारतीय पॉलिटिशियन,संगठनकर्ता और एक सामाजिक चिंतक थे,उन्होंने हिंदुत्व के विचारधारा को आगे बढ़ाया उनके  संघर्षपूर्ण सादे जीवन यापन और राष्ट्र के लिए चिंतन संघर्षपूर्ण जीवन से न सिर्फ हिंदुत्व को धार दी बल्कि एक जनमानस में उनका पड़ा। भारत के महान विचारकों,राष्ट्रवादियों और समाज सुधारकों में से एक थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय,वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे वे एकात्म मानव वाद के प्रणेता थे जो भारतीय संस्कृति ,समाज और राजनीति के विकास के लिए मौलिक दर्शन था। उनका जीवन भारतीय समाज के उत्थान और राष्ट्रवाद के प्रचारप्रसार के लिए समर्पित था ।उनका राजनीतिक,सामाजिक और वैचारिक योगदान भारतीय राजनीति में अमिट छाप छोड़ चुका था।   दीनदयाल उपाध्याय का बचपन- -       पंडित   दीनदयाल उपाध्याय का जन्म सितंबर 1916  को मथुरा जिले के एक गांव नगला चंद्रभान में हुआ था,दीनदयाल उपाध्याय को बचपन से ही अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा।यद्यपि दीनदयाल उपाध्याय के पिता...