Posts

Showing posts from June 16, 2019

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

Image
  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

Social Reform IN india at19th century।

Image
             सामाजिक सुधार 19वीं सदी में:पृष्ठभूमि और कानूनी उपाय          पिछली शताब्दी में सुधार केवल  धर्म तक सीमित नही था बल्कि सामाजिक उपाय भी साथ मे किये गए,भारतीय समाज मे कई ऐसी मान्यताएं एवं प्रथाएं थीं जिनका आधार अन्धविश्वाश और अज्ञान था,जिनमे कई प्रथाएं अति क्रूर थीं,सती प्रथा,बॉल विवाह,बाल हत्या जातीय भेदभाव आदि कुरीतियां थी,समाज मे अशिक्षा और घोर अंधविश्वास,सामाजिक ढांचा चरमरा गया था।                           कुछ भारतीय इन बुराइयों को समझ और उनको खत्म करने के लिए नेतृत्व दिया, इनमें भला नाम बंगाल के धर्म सुधारक राजा राम मोहन रायऔर उनका  ब्रम्ह समाज था,सामाजिक सुधार धार्मिक सुधारों के साथ चले, ऐसे सामाजिक दोषों को बिना धार्मिक सुधारों के दूर नही किया जा सकता था।                       अधिकांश सुधारक ये मानते थे कि  ये बुराइयां वैदिक समाज मे नही थी ,वैदिक काल मे जाती व्यवस्था नही थी ,अस्पृश्यता ,पर्दा प्रथा ,बाल विवाह ,नारी अशिक्षा ,नारी अपमान,विधवा जैसी समस्याएं नही थीं,वेद के बाद के 2हजार साल में धीरे धीरे बुराइयां आई है,स्मृति काल ,पुराण काल के समय को बिल्कुल ही