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Showing posts from June 16, 2019

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

Social Reform IN india at19th century।

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             सामाजिक सुधार 19वीं सदी में:पृष्ठभूमि और कानूनी उपाय          पिछली शताब्दी में सुधार केवल  धर्म तक सीमित नही था बल्कि सामाजिक उपाय भी साथ मे किये गए,भारतीय समाज मे कई ऐसी मान्यताएं एवं प्रथाएं थीं जिनका आधार अन्धविश्वाश और अज्ञान था,जिनमे कई प्रथाएं अति क्रूर थीं,सती प्रथा,बॉल विवाह,बाल हत्या जातीय भेदभाव आदि कुरीतियां थी,समाज मे अशिक्षा और घोर अंधविश्वास,सामाजिक ढांचा चरमरा गया था।                           कुछ भारतीय इन बुराइयों को समझ और उनको खत्म करने के लिए नेतृत्व दिया, इनमें भला नाम बंगाल के धर्म सुधारक राजा राम मोहन रायऔर उनका  ब्रम्ह समाज था,सामाजिक सुधार धार्मिक सुधारों के साथ चले, ऐसे सामाजिक दोषों को बिना धार्मिक सुधारों के दूर नही किया जा सकता था।                       अधिकांश सुधारक ये मानते थे कि  ये बुराइयां वैदिक समाज मे नही थी ,वैदिक काल मे जाती व्यवस्था...