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Showing posts from February 1, 2025

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

Bhupen khakkar artist ki biography । भूपेन खक्कर आर्टिस्ट की जीवनी

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 भूपेन खक्कर का जन्म दस मार्च उन्नीस सौ चौतीस(10मार्च 1934)को मुंबई में हुआ था ,उसकी माता के परिवार में कपड़े रंगने का काम होता था,उनके पिता का परिवार दमन द्वीप में था।मुंबई आने पर उनके पिता ने एक छोटे से कपड़े की दुकान खोलें,भूपेन के छोटे उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया,इस विकट परिस्थिति में उनकी बहन ने घर की जिम्मेदारी संभाली और भूपेन को अपनी फैक्ट्री में काम दिया और आर्थिक मजबूती प्रदान की।   इन विषम परिस्थितियों में रहते हुए सन 1953में भूपेन ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की ,भूपेन पढ़ाई के साथ जल  रंगों में भी चित्र बनाते थे,ग्राफिक विधि के अध्ययन के लिए वह जे के स्कूल ऑफ आर्ट  की सायंकालीन   कक्षाओं में प्रवेश लिया।   उन्होंने अर्थशास्त्र में बी ए किया, उन्होंने बी काम किया और पूरे विश्वविद्यालय में टॉप किया,वह दस वर्ष तक अध्ययन के बाद  चार्टड अकाउंटेड बने,उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेड की एक फर्म में नौकरी भी की पर कुछ दिन बाद काम में मन नहीं भरा उन्होंने उस नौकरी को सन 1962 में छोड़ दिया,और बडौदा विश्वविद्यालय के कला विभाग में दाखिल...