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Showing posts from July 28, 2019

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

Essay- paryavaran| आधुनिक मनुष्य और पर्यावरण

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Essay-                     Essay- paryavaran-- आधुनिक मनुष्य और पर्यावरण                                                           आधुनिक मनुष्य और पर्यावरण:-- पर्यावरण पर निबंध:(Essay on Environment)          क्या आधुनिक मनुष्य प्रकृति से दूर भाग रहा है?इस प्रश्न का यही उत्तर है कि मनुष्य  विकास के साथ मनुष्य में भौतिकता में अभिवृद्धि हुई है और मनुष्य प्रकृति से दूर भाग रहा है, वह वन जंगल पेंड़ पौधों को ऐसे काट रहा है जैसे ये जंगल ही उसके जान के लिए आफ़त है वो इन्ही जंगल ,हरे पौधों के कारण अभी तक पिछड़ा जीवन व्यतीत करने में बाध्य रहा वो नही जान रहा कि उसने पेंड़ के साथ कितने आशियानों को भी खत्म कर दिया जो उसी पेंड़ में घर बनाकर रहते थे ,उनके घर ख़त्म होने से उनकी जनसंख्या भी कम होती जा रही है। जनसंख्या बढ़ने से वाहनों की संख्या भी बढ़ी है,वाहनों में सीसायुक्...