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Showing posts from February 16, 2025

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

प्रदोष दास गुप्ता मूर्तिकार की जीवनी हिंदी में Pradosh Das Gupta ki jivni hindi me

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प्रदोष दास गुप्ता मूर्तिकार की जीवनी हिंदी में Pradosh Das Gupta ki jivni hindi me   प्रदोष दास गुप्ता भारतीय मूर्तिकार और कलाकार थे। उनका जन्म 10 जनवरी1912 को हुआ था और  उनका निधन 29 जुलाई 1991 में हो गया। वे आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे, जो आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के अग्रणी कलाकारों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक शैलियों को मिलाकर अपनी एक अनूठी पहचान बनाई। इन्होंने अपनी कृतियों को पश्चिमी मूर्तिकला की ज्यामितीय आकृतियों से जोड़कर एक नया अनूठा रूप प्रस्तुत किया। यह बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे, मूर्तिकला के साथ इन्होंने कवि लेखक,कला समीक्षक और शिक्षक के रूप में भी योगदान दिया। उन्होंने अपना स्कूली अध्ययन बारहवीं तक कृष्णा नगर बंगाल के कृष्णा नगर स्कूल में बिताया।बाद में स्नातक की डिग्री कोलकाता स्कूल से प्राप्त की।1932में हिरण्यमय राय चौधरी से मूर्तिकला अध्ययन के लिए लखनऊ प्रवास किया,इसी दौरान वह हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का भी अध्ययन किया।1934 में डी पी राय चौधरी के संरक्षण में रहकर मूर्तिकला की बारीकियों को जाना। जीवन और...