Posts

Showing posts from May 1, 2020

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

Image
  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

इरफ़ान खान |एक अभिनेता की कहानी

Image
  इरफ़ान ख़ान|एक उम्दा अभिनेता इरफ़ान ख़ान का बचपन-  साहबजादे    इरफ़ान अली   ख़ान का जन्म 7 जनवरी 1967 को राजस्थान के टोंक जिले में हुआ था  इरफ़ान ख़ान जयपुर के पठान परिवार से ताल्लुक रखते थे , इरफ़ान ख़ान के पिता का जयपुर शहर में टायर का व्यापार था , इरफ़ान खान के पिता का नाम यास्मीन अली ख़ान था और माता का नाम सईदा बेगम था , इरफ़ान खान तीन भाई बहन थे , इरफ़ान खान का बचपन जयपुर में ही बीता उन्हें बचपन में स्कूल जाना बड़ा बोरियत भरा काम लगता था ,  यद्यपि उन्हें पढ़ना अच्छा लगता था ,पढ़ने में उनकी गिनती बहुत तेजतर्रार बच्चों में नही थी ,पर मध्यमदर्जे के स्टूडेंट थे।           इरफ़ान खान बचपन में अपने पिता के साथ जयपुर के जंगल में शिकार के लिए जाते थे ,उनको जंगल में रात बिताना अच्छा लगता था ,वो जंगल में पेंड पौधों और विभिन्न प्रकार के जीव जन्तुवों को गौर से देखते थे वो प्रकृति प्रेमी थे , पर उनको पिता के शिकार की बात समझ में नही आती थी परंतु उन्होंने अपने पिता से कभी ये पूंछने की हिम्मत नही जुटाई कि वो निर्दोष जानवरों को क्यों शिकार करते है पर उनकी माता ने बताया की शिकार का शौक उनको उनके बाबा