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Showing posts from March 29, 2025

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

साधन सहकारी समिति (Sadhan Sahkari Samiti) क्या है?

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 नमस्कार मित्रों आज हम इस ब्लॉग में साधन सहकारी समिति के बारे में बात करेंगे और उससे जुड़े हुए प्रश्नों और उनके उत्तरों द्वारा जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देंगे ,जो आम व्यक्ति के मन में प्रश्न सदैव उठते हैं । साधन सहकारी समिति (Sadhan Sahkari Samiti) क्या है? साधन सहकारी समिति एक ग्रामीण सहकारी संस्था है, जो किसानों को कृषि संबंधी आवश्यक सामग्रियों जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, और अन्य कृषि साधनों की आपूर्ति करती है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य पर कृषि संसाधन उपलब्ध कराना और उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाना है। साधन नाम क्यों जुड़ा है? "साधन" का अर्थ होता है संसाधन। चूंकि यह समिति किसानों को उनके कृषि कार्यों के लिए आवश्यक संसाधन (खाद, बीज, उर्वरक आदि) उपलब्ध कराती है, इसलिए इसे "साधन सहकारी समिति" कहा जाता है। क्या यह समिति सरकारी है या प्राइवेट? यह एक सहकारी संस्था है, जो सरकार के सहकारिता विभाग के अंतर्गत काम करती है। यह पूरी तरह से सरकारी नहीं होती, लेकिन इसका संचालन और निगरानी सरकार द्वारा की जाती है। इस समिति का कार्य क्या है? किसानों को उचित द...

ड्रिप इरीगेशन तकनीक: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका।Drip Irrigation Technique: A Complete Guide

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  ड्रिप इरीगेशन तकनीक: एक संपूर्ण मार्गदर्शिका Drip Irrigation Technique: A Complete Guide मित्रों इस ब्लॉग पोस्ट में आपसे बात करने जा रहे हैं ड्रिप इरीगेशन के बारे में जब आज हर किसान चाहता है कि वो भी अपने खेत में इस पद्धति का प्रयोग करे और कम पानी खपत में बेहतरीन पैदावार करे।आज हम  बिंदुवार   जानेंगे इस  ड्रिप इरीगेशन तकनीकी के बारे में क्या हैं इसके फायदे और किसान को कैसे सरकार द्वारा सहायता मिलती है। 1. ड्रिप इरीगेशन तकनीक क्या है? ड्रिप इरीगेशन (टपक सिंचाई) एक ऐसी सिंचाई प्रणाली है जिसमें पानी को पाइप और एमिटर के माध्यम से सीधा पौधों की जड़ों में टपकाया जाता है। यह विधि पानी की बचत करती है और पौधों को आवश्यकतानुसार नमी प्रदान करती है। 2. ड्रिप इरीगेशन के फायदे पानी की बचत: अन्य सिंचाई विधियों की तुलना में 30-70% पानी बचता है। फसल की पैदावार में वृद्धि: पौधों को सही मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिलने से उत्पादन बढ़ता है। खरपतवार नियंत्रण: केवल पौधों की जड़ों में पानी पहुंचाने से अनावश्यक खरपतवार कम होते हैं। उर्वरकों की बचत: फर्टिगेशन तकनीक से पानी के सा...