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Showing posts from January 15, 2021

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

निकोलस रोरिक आर्टिस्ट की जीवनी

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निकोलस रोरिक आर्टिस्ट की जीवनी: निकोलस रोरिक रूस के एक प्रसिद्ध आर्टिस्ट और साहित्यकार दार्शनिक थे जिन्होंने अपने जीवन मे विश्व के कई देशों का भ्रमण किया और अंतिम जगह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में  एक स्थान पर अपना अंतिम पड़ाव डाला और यही इनकी मृत्यु भी हुई ।      इनका जन्म सेंटपीटर्सबर्ग USSR (  सोवियत रुस ) में 9 अक्टूबर 1874 को हुआ था,इनके माता पिता रशियन मूल के ही थे।   शिक्षा--- इन्होंने 1853 में सेंटपीटर्स बर्ग विश्विद्यालय और इम्पीरियल अकादमी में एक साथ दाखिला लिया और 1897 में आर्टिस्ट की डिग्री प्राप्त की तो 1898 में लॉ की डिग्री प्राप्त की।   इन्होंने शिक्षा प्राप्ति के बाद इम्पीरियल सोसाइटी ऑफ आर्ट ग्रुप में प्रारंभिक शिक्षण कार्य किया 1906 से1917 तक  इस सोसाइटी के लिए सेवा दी।      इनकी प्रारम्भिक रुचि आर्कियोलॉजी तथा स्टेज डिजाइनिंग में थी,उन्होंने कई थियेटर के रंगमंच साजसज्जा में ख्याति प्राप्त की।      इसी समय ये अपने पत्नी से प्रभावित होकर भारत के धर्म और दर्शन को जाने में रुचि जगाई ,उन्होंने रामकृष्ण परमह...