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Showing posts from January 11, 2022

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

जगमोहन चोपड़ा|Jagmohan Chopda printmaker|प्रिंटमकेर की जीवनी

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 जगमोहन चोपड़ा भारत के जाने माने प्रिंटमेंकर प्रिंटर और फोटोग्राफर थे जिन्होंने भारत मे प्रिंटमेकिंग को प्रमोट किया उनके प्रिंटमेकिंग के क्षेत्र में किये गए  ,अहम कार्यों के कारण 1988 में कला रत्न दिया गया ,वह आइफा के  चेयरमैन  पहले व आइफा के अध्यक्ष बाद  में बनाये गए। जगमोहन चोपड़ा का जन्म 1935 में लाहौर पंजाब पाकिस्तान में हुआ था।          Education &  Carrer               शिक्षा और करियर     जगमोहन चोपड़ा दिल्ली पॉलीटेकनिक के  कला के आर्ट डिपार्टमेंट से कला की शिक्षा ग्रहण की ,जब उन्होंने कला से डिप्लोमा पूरा कर लिया तो वह दिल्ली के आर्ट कॉलेज में लेक्चरर बने ,वह 1976 में  गवर्नमेंट आर्ट चंडीगढ़ में  प्रिंसिपल बनाये गए ,उन्होंने इस कला केंद्र को महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया।                             :   करियर   : जगमोहन चोपड़ा भारत के विख्यात प्रिंटमेंकर थे ,इन्होंने प्रिंटमेकिंग प्रक्रिया को भारत मे प्रमोट किया,उन्होंने प्रिंटमैकिंग की एक विधा इंटेगलियो में लगातार नए प्रयोग किये। उस समय जिंक प्लेट का प्रयोग इंटेगलियो के लिए आवश्यक हो गया था ,जो एक मंहगी प्रक्रिया थी,और सामान्यता जि