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Showing posts from June 13, 2019

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

स्वामी विवेकानंद: जीवन, विचार और भारत पर उनका प्रभाव

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          स्वामी विवेकानंद स्वामी विवेकानंद: जीवन, विचार और भारत पर उनका प्रभाव "एक रास्ता खोजें। उस पर विचार करें, उस विचार को अपना जीवन बना लें, उसके बारे में सोचें, उसका सपना देखें, उस विचार को जियें। मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों यानी अपने शरीर के प्रत्येक भाग को उस विचार से भर दें और किसी अन्य विचार को जगह मत दें। सफलता का यही रास्ता है।" – स्वामी विवेकानंद परिचय: स्वामी विवेकानंद कौन थे? स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति, दर्शन और हिंदू धर्म के एक महान प्रचारक थे। उन्होंने भारतीय समाज में आत्मसम्मान और जागरूकता लाने के लिए अथक प्रयास किए। उनके विचार केवल धर्म तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधार, शिक्षा और राष्ट्रीयता को भी समर्पित थे। स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन जन्म: 12 जनवरी 1863, कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) असली नाम: नरेंद्रनाथ दत्त माता-पिता: विश्वनाथ दत्त (एक वकील) और भुवनेश्वरी देवी बाल्यकाल से ही तर्कशीलता और गहरी सोचने की प्रवृत्ति रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात और आध्यात्मिक मार्गदर्शन स्वामी विवेकानंद का जीवन तब ...