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Showing posts from June 13, 2019

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

स्वामी विवेकानंद: जीवन, विचार और भारत पर उनका प्रभाव

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          स्वामी विवेकानंद स्वामी विवेकानंद: जीवन, विचार और भारत पर उनका प्रभाव "एक रास्ता खोजें। उस पर विचार करें, उस विचार को अपना जीवन बना लें, उसके बारे में सोचें, उसका सपना देखें, उस विचार को जियें। मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों यानी अपने शरीर के प्रत्येक भाग को उस विचार से भर दें और किसी अन्य विचार को जगह मत दें। सफलता का यही रास्ता है।" – स्वामी विवेकानंद परिचय: स्वामी विवेकानंद कौन थे? स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति, दर्शन और हिंदू धर्म के एक महान प्रचारक थे। उन्होंने भारतीय समाज में आत्मसम्मान और जागरूकता लाने के लिए अथक प्रयास किए। उनके विचार केवल धर्म तक सीमित नहीं थे, बल्कि वे समाज सुधार, शिक्षा और राष्ट्रीयता को भी समर्पित थे। स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन जन्म: 12 जनवरी 1863, कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) असली नाम: नरेंद्रनाथ दत्त माता-पिता: विश्वनाथ दत्त (एक वकील) और भुवनेश्वरी देवी बाल्यकाल से ही तर्कशीलता और गहरी सोचने की प्रवृत्ति रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात और आध्यात्मिक मार्गदर्शन स्वामी विवेकानंद का जीवन तब ...