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Showing posts from June 3, 2020

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

ऋग्वैदिक काल |Rigvadik Period |का इतिहास और संस्कृति

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ऋग्वैदिक  काल (Rigvadik  Period) | का इतिहास और संस्कृति  ऋग्वैदिक  काल मे आर्यजन कितने क्षेत्र में फैले थे ,उनका राजनीतिक, सामाजिक,धार्मिक जीवन कैसा था ,उन्होंने प्रारम्भ में वेदों की रचना किन स्थानों के की वो किसको पवित्र मानते थे ,वो अपने जीवन निर्वाह के लिए क्या क्या उपाय करते थे ,ये सब जानने के लिए उस समय के रचित वैदिक ग्रन्थ ऋग्वेद का अध्ययन करना होगा क्योंकि उसके सूक्तों और श्लोकों में ही हर बात का वर्णन मिलता है। ऋग्वैदिक आर्यों  का  भौगोलिक  विस्तार :  आर्य का प्रारंभिक निवास स्थल आज  के  अफगानिस्तान  के पूर्वी भाग आधुनिक पाकिस्तान और पश्चिमी राजस्थान के आसपास पंजाब तक सीमित था क्योंकि ऋग्वैदिक काल मे हमे जिन नदियों का उल्लेख इस ग्रंथ में मिलता है उनमें से काबुल की  क्रमू(कुर्रम), कुभा(काबुल),सुवास्तु(स्वात) और गोमती(गोमल) का उल्लेख है ये सभी अफगानिस्तान में है इसी तरह दृषद्वती (घग्घर),विपाशा(व्यास), शतुद्री(सतलज), परूषनी (रावी), अस्किनी(चेनाब),वितस्ता(झेलम), नदियों का उल्लेख किया गया है। सिंधु और सरस्वती नदियों का सबसे अधिक वर्णन है और इनकी सबसे अधिक महिमा बताई गई है,इस प्रका