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Showing posts from March 6, 2025

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

अल्बर्ट आइंस्टीन: एक विलक्षण प्रतिभा की अद्भुत कहानी।Albert Einstein Story in hindi

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  अल्बर्ट आइंस्टीन: एक विलक्षण प्रतिभा की अद्भुत कहानी अल्बर्ट आइंस्टीन, आधुनिक भौतिकी के जनक और विज्ञान की दुनिया के सबसे महान विचारकों में से एक थे। उनकी खोजों ने विज्ञान की धारा ही बदल दी और उनकी सोचने की शैली ने यह साबित कर दिया कि ब्रह्मांड को समझने के लिए कल्पनाशीलता और जिज्ञासा कितनी महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम उनके जन्म से लेकर उनके वैज्ञानिक योगदान और समाज पर उनके प्रभाव तक की पूरी यात्रा को विस्तार से समझेंगे। 1. जन्म और प्रारंभिक जीवन अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ था। उनके पिता हरमन आइंस्टीन एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और व्यवसायी थे, उनके पिता और चाचा ने मिलकर  1880 में म्यूनिख शहर में एक  बिजली के उपकरण बनाने वाली कंपनी खोली ,जबकि उनकी माँ पाउलिन आइंस्टीन संगीत प्रेमी और एक कुशल पियानो वादक थीं।आइंस्टीन भी अपनी माता के कहने पर बचपन में सारंगी वादन का अभ्यास किया परंतु बाद में छोड़ दिया। आइंस्टीन का परिवार वैज्ञानिक या शैक्षिक क्षेत्र में विशेष रूप से नामी नहीं था, लेकिन उनके माता-पिता शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। ...

बुलबुल पक्षी :स्वभाव ,जीवनचक्र,परिचय

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  बुलबुल पक्षी: स्वभाव, जीवनचक्र और महत्व परिचय बुलबुल एक सुंदर और चहकने वाला पक्षी है जो अपनी मधुर आवाज़ और चंचल स्वभाव के लिए जाना जाता है। यह पक्षी मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है और भारत में इसकी कई प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। बुलबुल का वैज्ञानिक नाम Pycnonotidae है। यह छोटे आकार का पक्षी होता है, जिसकी लंबाई लगभग 15 से 25 सेंटीमीटर होती है। इसकी विभिन्न प्रजातियों में रंग, आकार और चहचहाने की ध्वनि में अंतर हो सकता है। बुलबुल 1. बुलबुल पक्षी का स्वभाव बुलबुल एक सामाजिक और चंचल पक्षी होता है। यह ज्यादातर जोड़े में या छोटे समूहों में रहना पसंद करता है। इसकी आवाज़ बहुत मधुर होती है, जिससे यह प्रातः और संध्या के समय अपने सुंदर गीतों से वातावरण को संगीतमय बना देता है। बुलबुल आमतौर पर शर्मीला नहीं होता और मानव बस्तियों के आसपास भी देखा जा सकता है। यह बहुत ही सक्रिय और फुर्तीला पक्षी है जो लगातार इधर-उधर उड़ता रहता है और अपना भोजन खोजता है। 2. बुलबुल पक्षी का जीवनकाल (Life Span) बुलबुल पक्षी का औसतन जीवनकाल 5 से 8 वर्ष तक होता है, लेकिन यदि इसे उचित वातावरण ...