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Showing posts from December 31, 2020

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

कांटिगेरी कृष्ण हैब्बार की जीवनी

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  कांटिगेरी कृष्ण हैब्बार की जीवनी---- ●के के हैब्बार●        कृष्ण हैब्बार का जन्म दक्षिण कन्नड़ के एक सुंदर गांव कांटिगेरी में   सन  15 जून 1912 को हुआ था ,इनका बाल्यकाल गांव में ही व्यतीत हुआ , औऱ गांव के उत्सवों ,नाटकों ,नृत्यों ,गीतों  आदि का हैब्बार पर प्रभाव पड़ा। ये गांव में होने वाले त्योहार पर जाते थे वहाँ पर अपनी चित्रकला का प्रदर्शन करते थे। किशोर अवस्था में ही हैब्बार ने' राजा रवि वर्मा 'और सरस्वती की प्रतिकृति अपने घर की दीवार पर चित्रित की,यहीं से उनके मन में कला को सीखने का विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने अपना जीवन चित्रकला की तरफ़ बढ़ाने का निर्णय लिया और इसके बाद वो पीछे नहीं हटे। गाँव के त्योहार  के वैभव  तथा बहुरंगी  लोक संस्कृति  का हैब्बार की कला पर परिलक्षित होता है , इस वातावरण में उनके स्थायी संस्कार बन गए और उनकी कला में ग्राम सुलभ कल्पना अंत तक बनी रही।       मैट्रिक तक पढ़ने के बाद हैब्बार ने मैसूर के राजेन्द्र तकनीकी स्कूल में कला की शिक्षा ग्रहण की, 1937 में उन्होंने जे जे स्कूल ऑफ आर्...