निखिल कामथ की सफलता की कहानी: स्कूल ड्रॉपआउट से Forbes अरबपति तक, सोच जिसने ज़ेरोधा को बनाया गेम-चेंजर
ट्रेडिंग की दुनिया का बदलता चेहरा और निखिल कामथ की सफलता
ज्यादातर लोग ट्रेडिंग को जुआ या सट्टा समझते हैं, फिर चाहे वह शेयर बाज़ार हो, कमोडिटी या क्रिप्टो। पहले के समय में Offline Trading होती थी, जहाँ फोन कॉल के ज़रिए सौदे होते थे। इसमें गलतियों की गुंजाइश ज़्यादा रहती थी और ब्रोकरेज (कमीशन) भी बहुत भारी देना पड़ता था।
लेकिन Online Trading Platforms के आने से सब बदल गया। अब लोग खुद मोबाइल ऐप्स से ट्रेडिंग करने लगे, पर भारी ब्रोकरेज और टैक्स अब भी बड़ी समस्या थे। ऐसे में नितिन कामथ और निखिल कामथ ने Zerodha की शुरुआत की। उन्होंने मात्र ₹20 और सरकारी टैक्स जैसे मामूली चार्ज पर ट्रेडिंग की सुविधा देकर सबका दिल जीत लिया।
डिलीवरी स्टॉक्स पर ₹0 ब्रोकरेज और इंट्राडे ट्रेड पर मात्र 0.03 पैसा चार्ज (प्रति साइड) शुरू में तो मज़ाक लगा, लेकिन जब लोगों ने असलियत देखी, तो भरोसा बढ़ा और ग्राहक तेज़ी से जुड़ने लगे।
आज ज़ेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ ₹28,000 करोड़ की संपत्ति के साथ निवेश की दुनिया के दिग्गज बन चुके हैं। वे वॉरेन बफ़ेट की "The Giving Pledge" संस्था के सदस्य हैं और एक सफल युवा उद्यमी के रूप में कई सम्मान पा चुके हैं। आइए, भारत के इस प्रभावशाली बिजनेस टाइकून की जीवनी को करीब से जानते हैं। (Nikhil Kamath Biography Hindi)
प्रारंभिक जीवन:-
निखिल कामथ: 28,000 करोड़ के साम्राज्य से लेकर किताबों के शौक तक
का सफर:-
ज़ेरोधा (Zerodha) के सह-संस्थापक निखिल कामथ आज के दौर के युवाओं के लिए एक बड़े आइकन हैं। लेकिन उनकी सफलता केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी जीवनशैली और शौक भी उतने ही दिलचस्प हैं। आइए जानते हैं भारत के इस सबसे युवा अरबपति के जीवन के उन पहलुओं को जो उन्हें सबसे अलग बनाते हैं:
1. शौक और जीवनशैली (Lifestyle & Hobbies)
निखिल कामथ एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। जहाँ वे खान-पान में मांसाहार पसंद करते हैं और कभी-कभी ड्रिंक का आनंद लेते हैं, वहीं उनके कलात्मक शौक भी काफी गहरे हैं। उन्हें गिटार बजाने और पेंटिंग (चित्रकारी) का बेहद शौक है। इसके अलावा, उनके पास 'Hope' नाम का एक प्यारा पालतू कुत्ता भी है, जिससे उनका गहरा लगाव है।
2. शिक्षा से दूरी और अब किताबों से प्यार
निखिल के जीवन का एक दिलचस्प मोड़ उनकी पढ़ाई से जुड़ा है। युवावस्था में वे पढ़ाई-लिखाई से दूर भागते थे, लेकिन आज परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। वर्तमान में उनके घर की लाइब्रेरी में 500 से अधिक किताबों का शानदार कलेक्शन है और वे अपना काफी समय पढ़ने (Reading) में बिताते हैं।
3. लग्जरी कारों और घड़ियों का कलेक्शन
रफ़्तार और स्टाइल के शौकीन निखिल के गैरेज में दुनिया की बेहतरीन गाड़ियाँ मौजूद हैं। उनके पास Audi A6 के साथ-साथ शानदार Porsche Boxster S (कन्वर्टिबल) कार भी है। केवल कारें ही नहीं, उन्हें महंगी मोटरसाइकिलों और घड़ियों का भी जबरदस्त चस्का है।
4. प्रेरणा और आदर्श (Inspiration)
शतरंज के खेल में गहरी रुचि रखने वाले निखिल रशियन ग्रैंडमास्टर गैरी कास्परोव (Garry Kasparov) को अपना आदर्श मानते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने खुद इस बात का जिक्र किया था कि वे कास्परोव की रणनीतियों से प्रभावित हैं।
5. नेटवर्थ (Money Factor)
आज निखिल कामथ की गिनती भारत के सबसे अमीर युवाओं में होती है। उनकी कुल संपत्ति (Net Worth) 28,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को भी पार कर चुकी है, जो उनकी कड़ी मेहनत और विजन का प्रमाण है।
उद्यमशीलता का शुरुआती सफर और संघर्ष:-
निखिल के भीतर व्यापार करने का जुनून बहुत कम उम्र में ही जाग गया था। स्टॉक ब्रोकिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले, महज़ 14 वर्ष की आयु में उन्होंने 'पुराने फोन खरीदने और बेचने' का काम शुरू कर दिया था। हालांकि, जब उनकी माताजी को इस छोटे से उद्यम के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की। उनका मानना था कि निखिल अभी बहुत छोटे हैं और यह समय उनके लिए केवल पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने का है। अपनी माताजी की नाराजगी और उनकी सलाह को देखते हुए, निखिल को अपना वह पहला व्यवसाय बंद करना पड़ा।
1. पढ़ाई में असफलता और 'स्कूल ड्रॉपआउट' का दंश
एक ऐसे परिवार में जहाँ भाई-बहन और कजिन्स PhD या MBA जैसी उच्च डिग्रियां हासिल कर रहे हों, वहां पढ़ाई में पिछड़ना किसी दबाव से कम नहीं होता। निखिल का मन किताबी ज्ञान में कभी लगा ही नहीं। वे पढ़ाई में इतने कमजोर साबित हुए कि 10वीं की परीक्षा में बैठना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि स्कूल प्रशासन ने उन्हें बोर्ड परीक्षा में बैठने देने से साफ इंकार कर दिया। अंततः, उन्होंने औपचारिक शिक्षा को अलविदा कह दिया और समाज की नजरों में एक 'स्कूल ड्रॉपआउट' बन गए।
2. जीवन का नया ध्येय: सम्मान के लिए संपत्ति का चुनाव
जब पढ़ाई के रास्ते बंद हो गए, तो निखिल ने अपने जीवन का एक स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया—'आर्थिक सफलता'। उनका मानना था कि यदि शिक्षा भविष्य की नींव है, तो उस नींव के अभाव में केवल धन और समृद्धि ही वह एकमात्र विकल्प है जो समाज में खोया हुआ सम्मान वापस दिला सकती है। उन्होंने तय कर लिया कि अब उनका पूरा ध्यान सिर्फ पैसा कमाने और खुद को साबित करने पर होगा, ताकि वे समाज के तय पैमानों को अपनी सफलता से चुनौती दे सकें।
3. 17 की उम्र में करियर का आगाज: संघर्ष और दोहरी मेहनत
निखिल के भीतर कुछ कर गुजरने का जुनून इस कदर था कि उन्होंने कानूनी उम्र (18 वर्ष) होने का भी इंतज़ार नहीं किया। नौकरी पाने के लिए उन्होंने उम्र का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया और मात्र 17 साल की उम्र में एक कॉल सेंटर में काम करना शुरू कर दिया। वहां उन्हें 8,000 रुपये वेतन मिलता था। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी; वे थकते नहीं थे। उनका दिन शेयरबाजार (Stock Trading) की बारीकियों को समझने में बीतता और रातें कॉल सेंटर की शिफ्ट में। यहीं से उनके उस वित्तीय साम्राज्य की नींव पड़ी, जिसने आगे चलकर उन्हें भारत के सबसे युवा अरबपतियों की कतार में खड़ा कर दिया।
अपनों के भरोसे से शुरू हुआ निवेश का सफर
पैसा बहुत मूल्यवान होता है, इसलिए हर कोई इसे दूसरों के हाथ में सौंपने से कतराता है। निखिल कामथ के सामने भी शुरुआत में यही चुनौती थी। उन्होंने सबसे पहले अपने पिता की जमा-पूंजी को सही जगह निवेश कर अपनी काबिलियत साबित की। जब उनके पिता के निवेश पर बेहतरीन रिटर्न मिला, तो उनके कॉल सेंटर के मालिक ने भी उन पर भरोसा जताया।
निखिल के निवेश कौशल से प्रभावित होकर बॉस ने उन्हें काम में विशेष छूट और इंसेंटिव देना शुरू किया ताकि वे पूरी तरह मार्केट पर ध्यान लगा सकें। सफलता का यह सिलसिला बढ़ता गया और 2004 में उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने भाई नितिन के साथ मिलकर 'Kamath Associates' की नींव रखी।
कैसे Zerodha ने बदला भारतीय स्टॉक मार्केट का चेहरा?
संस्कृत शब्द '' (बाधा) और 'जीरो' के मेल से बना 'Zerodha', आज भारत का सबसे बड़ा ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म है।
साल 2010 में कामथ भाइयों" निखिल और नितिन" ने एक नई सोच के साथ 'Zerodha' की शुरुआत की। इस नाम का अर्थ ही इसकी पहचान है—'Zero' (शून्य) और 'Rodha' (संस्कृत में बाधा), यानी व्यापार के रास्ते में आने वाली बाधाओं को पूरी तरह खत्म करना। उस दौर में बाजार में पहले से ही कई बड़ी कंपनियां जमी हुई थीं, और मार्केट में बहुत प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन Zerodha ने अपनी ₹20 फ्लैट फीस की नीति से सबको चौंका दिया। इस मामूली फीस और बेहद सरल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने निवेशकों का दिल जीत लिया। कंपनी के यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस ने ट्रेडिंग को आसान बनाया,
रही-सही कसर 2019-20 के कोरोना काल ने पूरी कर दी; जब लोग घरों में सिमटे थे, तब इस कंपनी की ग्रोथ में 100% का जबरदस्त उछाल देखा गया। यानी कोविड-19 महामारी के दौरान इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि कंपनी की ग्रोथ रातों-रात दोगुनी हो गई।
कामथ ब्रदर्स: स्टार्टअप और निवेश जगत में एक नई क्रांति
भारतीय निवेश परिदृश्य में कामथ भाइयों का पदार्पण 2014 में हुआ, जब उन्होंने 50 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ 'रेनमैटर' (Rainmatter) नामक हेज फंड की नींव रखी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य तकनीकी स्टार्टअप्स को वित्तीय संबल प्रदान करना था। प्रत्येक निवेश के लिए 1 मिलियन डॉलर की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई। यह दूरदर्शी निर्णय बेहद सफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप Quicko, Sensibull, SmallCase, Diago और Learn App जैसे स्टार्टअप्स ने बाजार में अपनी धाक जमाई।
सफलता के इस सफर को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 'ट्रू बीकन' (True Beacon) नामक एसेट मैनेजमेंट कंपनी की शुरुआत की। यह कंपनी मुख्य रूप से अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) पर केंद्रित थी। अपने संचालन के पहले ही वर्ष में इस कंपनी ने लगभग 2 मिलियन डॉलर का फंड मैनेज किया और 40% का शानदार रिटर्न देकर निवेश जगत को हैरान कर दिया।
वर्ष 2020 कामथ भाइयों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। जहाँ एक ओर Zerodha ने म्यूचुअल फंड आधारित AMC लाइसेंस के लिए सरकार के पास आवेदन किया, वहीं दूसरी ओर निखिल कामथ मात्र 34 वर्ष की आयु में भारत के सबसे युवा अरबपति बनकर उभरे। यह उनके दृढ़ संकल्प और निवेश की सटीक समझ का ही परिणाम था।
ज़ेरोधा (Zerodha): भारतीय ट्रेडिंग जगत का वह 'गेम-चेंजर' जिसने इतिहास रच दिया
भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में जब भी 'डिस्काउंट ब्रोकिंग' की क्रांति का जिक्र होगा, ज़ेरोधा (Zerodha) का नाम सबसे ऊपर स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। एक समय था जब लोग स्टॉक मार्केट को पेचीदा और महंगा मानते थे, लेकिन ज़ेरोधा ने इसे आम आदमी की जेब और पहुंच तक ला खड़ा किया।
रिकॉर्ड तोड़ बिजनेस और अविश्वसनीय आंकड़े
साल 2021 ज़ेरोधा के लिए एक ऐसा मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने पूरे फिनटेक (Fintech) सेक्टर को हैरान कर दिया। उस दौरान कंपनी ने प्रति दिन औसतन 50 लाख (5 मिलियन) से अधिक ऑर्डर पंच करने का कीर्तिमान स्थापित किया। इन सौदों की कुल आर्थिक वैल्यू रोजाना 1 बिलियन डॉलर के पार जा रही थी। भारत के कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम में ज़ेरोधा की हिस्सेदारी 15% से भी अधिक हो गई थी, जो किसी भी प्राइवेट फर्म के लिए एक सपना जैसा है।
2025 की ताज़ा स्थिति: शिखर पर कायम
आज 2025 में, ज़ेरोधा केवल एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म नहीं रह गया है, बल्कि एक विशाल इकोसिस्टम बन चुका है। अपनी 'बूटस्ट्रैप्ड' (बिना किसी बाहरी निवेश के) यात्रा को जारी रखते हुए, कंपनी ने अब 1.5 करोड़ से अधिक ग्राहकों का भरोसा जीत लिया है।
- नई ऊंचाई: ज़ेरोधा का रेवेन्यू और प्रॉफिट आज भी कई लिस्टेड कंपनियों से कहीं ज्यादा है।
- टेक्नोलॉजी: 'काइट' (Kite) ऐप अब और भी ज्यादा स्मार्ट और एआई (AI) फीचर्स से लैस हो चुका है, जिससे नए निवेशकों के लिए शेयर चुनना और भी सरल हो गया है।
- विविधता: ट्रेडिंग के अलावा, इन्होंने 'ज़ेरोधा एएमसी' (Zerodha AMC) के जरिए म्यूचुअल फंड की दुनिया में भी अपनी मजबूत पकड़ बना ली है।
निखिल कामथ: युवा भारत के नए बिजनेस आइकन
ज़ेरोधा की इस अद्भुत सफलता के पीछे मुख्य दिमाग निखिल कामथ का है। आज 2025 में निखिल कामथ न केवल भारत के सबसे युवा अरबपतियों में शुमार हैं, बल्कि वे देश के सबसे प्रभावशाली 'थॉट लीडर' (Thought Leader) भी बनकर उभरे हैं।
सफलता और वैश्विक पहचान:
निखिल कामथ की सूझबूझ और बाजार की समझ का लोहा पूरी दुनिया मानती है। यही कारण है कि 'फोर्ब्स' (Forbes) और 'फॉर्च्यून' (Fortune) जैसी प्रतिष्ठित मैगजीन उन्हें अपने कवर पेज पर जगह दे चुकी हैं।
2025 का नया अवतार:
आज निखिल सिर्फ ज़ेरोधा तक सीमित नहीं हैं। उनके पॉडकास्ट "WTF is" ने पूरे देश के युवाओं और उद्यमियों को बिजनेस की बारीकियां सिखाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसके अलावा:
- वे अपनी निवेश फर्म 'ग्रुहा' (Gruhas) के जरिए नए स्टार्टअप्स को खाद-पानी दे रहे हैं।
- वे भारत के सबसे बड़े दानवीरों में से एक बन चुके हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा के लिए समर्पित करने का संकल्प लिया है।
विचारधारा: बाधाओं से सफलता तक का सफर (निखिल कामथ)
निखिल कामथ का जीवन इस बात का जीवंत प्रमाण है कि सफलता डिग्री की मोहताज नहीं, बल्कि सही दृष्टिकोण और निरंतरता का परिणाम होती है। उनके जीवन दर्शन का सबसे बड़ा सबक शतरंज की बिसात से आता है। चेस या शतरंज का खेल हमें यह सिखाता है कि एक स्ट्रक्चर के भीतर कैसे काम करना चाहिए, लेकिन उस स्ट्रक्चर में भी क्रिएटिव होकर उत्तम परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। जीवन भी नियमों से बंधा है, पर उन सीमाओं के भीतर अपनी रचनात्मकता का इस्तेमाल करना ही आपको भीड़ से अलग बनाता है।
अक्सर हम सुख-सुविधाओं के घेरे में अपनों की पहचान नहीं कर पाते, लेकिन घर से दूर जाकर रहने पर लोगों के बिहेवियर और अपनों की कीमत समझ आती है। यह एक कड़वा सच है कि जब आपका एजुकेशन और फाइनेंशियल कंडीशन साधारण होती है, तो रिलेटिव्स के असल रूप भी दिख जाते हैं। यह अनुभव इंसान को भावनात्मक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाता है।
निखिल के अनुसार, जो सोचा था वो नहीं हुआ, उसे याद करते रहना बेकार है। पछतावा प्रगति का सबसे बड़ा दुश्मन है। एक स्कूल ड्रॉप-आउट से 'ट्रू बेकन' और 'जेरोधा' जैसी महान सफलता तक के सफर में उन्होंने यही सीखा है कि जिस काम पर भरोसा है उसपे डटे रहो। भविष्य की चिंता में आज को गँवाना व्यर्थ है; 5 साल बाद क्या होगा, यह सोचकर परेशान होने से अच्छा है आज कुछ क्रिएटिव किया जाए।
अंत में, उनकी विचारधारा हमें कर्मठ बनने की प्रेरणा देती है। निरर्थक आस्था पर भरोसा करके बैठे न रहें, क्योंकि केवल सोचने से बदलाव नहीं आता। अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करें और सोच-विचार करके प्लान को एक्जिक्यूट (शुरुआत) करें। याद रखें, आपकी आज की छोटी सी शुरुआत ही कल की बड़ी उपलब्धि का आधार बनती है।
व्यावसायिक उपलब्धियां (Business Milestones)
- जेरोधा (Zerodha) का उदय: साल 2010 में अपने भाई के साथ मिलकर निखिल ने 'Zerodha' की नींव रखी। आज यह भारत की सबसे बड़ी और भरोसेमंद ऑनलाइन स्टॉक-ब्रोकरेज कंपनियों में से एक है।
- बाजार का लोकतंत्रीकरण: उन्होंने डिजिटल माध्यम से कम लागत वाले ट्रेडिंग मॉडल को पेश किया। इससे न केवल आम ट्रेडर्स की पहुंच शेयर बाजार तक आसान हुई, बल्कि पारंपरिक बड़े ब्रोकरेज घरानों के एकाधिकार (Monopoly) को भी सफलतापूर्वक चुनौती दी।
- विविध निवेश पहल: निवेश और उद्यमशीलता के दायरे को बढ़ाते हुए उन्होंने फंड मैनेजमेंट फर्म 'True Beacon' और वेंचर कैपिटल फंड 'Gruhas' की सह-स्थापना की, जो नए व्यवसायों को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।
- WTfund के माध्यम से युवाओं को सहारा: 25 वर्ष से कम आयु के होनहार उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने 'WTfund' की शुरुआत की। साल 2025 तक इस पहल के माध्यम से 20 से अधिक कुशल स्टार्टअप संस्थापक लाभान्वित हो चुके हैं।
प्रमुख सम्मान और मान्यताएं
- फोर्ब्स '30 अंडर 30': उनकी व्यावसायिक सूझबूझ को देखते हुए वर्ष 2016 में उन्हें फोर्ब्स की '30 अंडर 30' युवा उद्यमियों की प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया गया।
- सेल्फ-मेड रिच लिस्ट में शीर्ष स्थान: 'IIFL वेल्थ हुरून इंडिया' की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 40 वर्ष से कम आयु के 'सेल्फ-मेड' अमीर भारतीयों की सूची में उन्होंने अपनी जगह पक्की की।
- वैश्विक अरबपति: उनकी निरंतर सफलता का प्रमाण तब मिला जब वर्ष 2024 में उनका नाम 'फोर्ब्स अरबपति सूची' (Forbes Billionaires List) में दर्ज किया गया।
निष्कर्ष:
निखिल कामथ की कहानी किसी चमत्कार की नहीं, बल्कि स्पष्ट सोच, अनुशासन और समय के साथ खुद को ढालने की क्षमता की कहानी है। उन्होंने यह साबित किया कि बाजार केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि मनोविज्ञान, धैर्य और निरंतर सीखने की प्रवृत्ति से जीता जाता है। ज़ेरोधा का सफल होना सिर्फ एक कंपनी की जीत नहीं, बल्कि उस मानसिकता की विजय है जो सिस्टम को समझकर उसके भीतर बदलाव लाने का साहस रखती है।
आज 2025 में निखिल कामथ सिर्फ एक उद्यमी नहीं, बल्कि एक विचार बन चुके हैं—जो युवाओं को यह सिखाता है कि असफलताएं अंत नहीं होतीं, बल्कि दिशा बदलने के संकेत होती हैं। चाहे WTF is पॉडकास्ट के ज़रिए ज्ञान साझा करना हो, Gruhas और WTFund से नए विचारों को पंख देना हो, या समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाना—हर कदम इस बात का प्रमाण है कि संपत्ति का असली मूल्य उसके उपयोग में है, न कि उसके संचय में।
अंततः निखिल कामथ हमें यह याद दिलाते हैं कि सफलता का रास्ता भीड़ का अनुसरण करने से नहीं, बल्कि अपने विवेक पर भरोसा करने से बनता है। सही निर्णय, सही समय और सही कर्म—इन्हीं तीन स्तंभों पर टिके सपने अंततः इतिहास बनते हैं।
निखिल कामथ और ज़ेरोधा की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आपके पास सही विजन और तकनीक है, तो आप बिना किसी भारी फंडिंग के भी दुनिया जीत सकते हैं। आज 2025 में ज़ेरोधा भारतीय निवेशकों का वह साथी है, जिसने निवेश को 'हौवा' नहीं, बल्कि एक 'आदत' बना दिया है।

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