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Showing posts from April 27, 2020

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल

सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल  मोहन जोदड़ो --  मोहनजोदड़ो के भवन में कई इमारतें थीं जो आग में पकाई गई ईंटों से बनीं थीं उदाहरणस्वरूप महा स्नानागार, महाविद्यालय, अन्नागार और सभाकक्ष इसका स्नानागार 12 मीटर लंबा और सात मीटर चौड़ा था और 2.5 मीटर गहरा था,इसके उत्तर और दक्षिण चढ़ने की सीढ़ियाँ थीं,इसकी फर्श और अगल बगल की दीवारों पर बिटुमिन्स की पर्त लगाकर वाटरप्रूफ बनाया गया था इस तालाब के अंदर पानी से भरने के लिए एक कुआँ था  और तालाब की सफाई और पानी निकासी के लिए तालाब के दक्षिण पश्चिम में    एक  तोडा दार (Corbelled) नाली थी।इस जलाशय के चारो जोर बरामदा था और जिसके चारो और कमरे थे।   महाविद्यालय --- कुषाणकालीन स्तूप और स्नानागार के बीच एक बड़ी इमारत के अवशेष पाये गए है, जिसे विद्वानों ने महाविद्यालय कहा है। यह इमारत बहुमञ्जली थी ,कुछ लोग इसे पुरोहित का आवास भी कहते है। अन्नागार(Granary): स्नानागार के दक्षिण पश्चिम दीवार से लगा हुआ  विशाल अन्नगार था जिसका पूरा क्षेत्रफल 55 मीटर×37 मीटर का था  ,इसमें 27 खण्डों में विभाजित एक चबूतरा था जो तीन श्...