Posts

Showing posts from April 6, 2025

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

Image
 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

बद्रीनाथ आर्य: वाश चित्रकला के सर्जक और यथार्थवादी कला के ध्वजवाहक।Badrinath Arya Biography

Image
  बद्रीनाथ आर्य: वाश चित्रकला के सर्जक और  यथार्थवादी कला के ध्वजवाहक  Badrinath Arya: Initiator of  wash painting and flag bearer of  realistic art बद्रीनाथ आर्य का जन्म वर्ष 1936 में अविभाजित भारत के पेशावर (अब पाकिस्तान में) में हुआ। भारत  विभाजन के त्रासदी के समय  उनका परिवार भारत आ गया और लखनऊ शहर में बस गया, जहाँ से उनका कला जीवन प्रारंभ हुआ। कला शिक्षा और प्रारंभिक यात्रा 1951 में उन्होंने लखनऊ के कला एवं शिल्प महाविद्यालय में प्रवेश लिया और यहीं से अपनी औपचारिक कला शिक्षा प्राप्त की। उनके गुरुजन – सुधीर रंजन ख़स्तगीर , ललित मोहन सेन और हरिहरनाथ मेढ़ – ने उन्हें चित्रकला और मूर्तिकला में दिशा दी। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एलिफेंट साइज (विशालकाय) चित्रों की रचना करके अपने कौशल का परिचय दिया। शिक्षा पूर्ण करने के बाद वे इसी संस्थान में शिक्षक नियुक्त हुए और 1994 से 1996 तक प्राचार्य के रूप में कार्यरत रहे। उनके शिष्यों में राजेंद्र कुमार जैसे प्रतिभाशाली कलाकार शामिल रहे हैं। विशेषता: वाश पेंटिंग शैली बद्रीनाथ आर्य वाश पेंटिंग तकनीक...