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Showing posts from April 8, 2025

केमिकल सेक्टर में निवेश की पीड़ा और संभावना: एक निवेशक की सीख और वैश्विक विश्लेषण"

"केमिकल सेक्टर में निवेश की पीड़ा और संभावना: एक निवेशक की सीख और वैश्विक विश्लेषण" भूमिका: जब आँकड़े से ज़्यादा भावनाएं बोलती हैं 15 नवंबर 2023 को जब मैंने UPL के 14 शेयर ₹678 प्रति शेयर की दर से खरीदे, तब मन में आशा थी—परिणाम मिला निराशा। दो साल तक घाटा सहना पड़ा, शेयर ₹400 तक गिरा, और धैर्य की परीक्षा होती रही। आरती इंडस्ट्रीज़ में निवेश किया तो ₹735 पर खरीदकर देखते ही देखते शेयर ₹437 तक लुढ़क गया। ₹29,000 का घाटा झेलना आसान नहीं था। सुदर्शन केमिकल भी मेरे भरोसे को नहीं सहेज सका—₹1218 की खरीद, और अप्रैल 2025 तक सिर्फ ₹1081। पर क्या सिर्फ मेरे फैसले गलत थे? या कुछ बड़ा, वैश्विक खेल भी चल रहा था? केमिकल सेक्टर क्यों गिरा? वैश्विक और घरेलू कारणों की पड़ताल 1. चीन की नीतियाँ और वैश्विक डंपिंग का खेल चीन विश्व का सबसे बड़ा केमिकल निर्यातक है। वह सरकार से सब्सिडी लेकर सस्ते में केमिकल बनाता है और फिर उन्हें दुनिया भर के बाजारों में डंप करता है – मतलब लागत से भी कम दाम पर बेचता है। दक्षिण अमेरिका , अफ्रीका , और यूरोप के कई छोटे देशों में उसने भारतीय उत्पादों की मा...

Indian Families vs American Families: A Deep Sociocultural Comparison

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 Indian Families vs American Families: A Deep Sociocultural Comparison Introduction Family is the basic unit of society, and yet, across the globe, the concept of family varies significantly. Two of the most contrasted family systems are found in India and the United States. While both countries value familial bonds, the structure, responsibilities, values, and expectations within families differ remarkably due to cultural, historical, economic, and social factors. This article offers a comprehensive comparison of Indian and American family systems, shedding light on their similarities, differences, and the evolving dynamics within each society. 1. Family Structure India: The traditional Indian family is largely joint or extended. It typically includes grandparents, parents, children, uncles, aunts, and cousins living under one roof or in close proximity. Decisions are collective, and hierarchy is respected. Elders are seen as authority figures. USA: In contrast, American famili...

जब WTO है तो फिर अमेरिका टैरिफ क्यों लगा रहा है?

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  🌍 जब WTO है तो फिर अमेरिका टैरिफ क्यों लगा रहा है? वैश्विक व्यापार पर अमेरिका की नीतियों का बदलता असर जब हम वैश्विक व्यापार की बात करते हैं, तो सबसे पहले मन में WTO , यानी विश्व व्यापार संगठन का नाम आता है। इसकी स्थापना 1995 में बड़े ही आदर्श उद्देश्य के साथ की गई थी — कि सारे देश मिलकर व्यापार को निष्पक्ष, मुक्त और समरस बनाएं। परंतु आज, तीन दशक बाद जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो लगता है कि ये संगठन अब केवल कागज़ी शक्ति बनकर रह गया है। खासकर जब हम अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश के हालिया रवैये को देखते हैं, तो यह सवाल और ज़ोर से उठता है — "जब WTO है, तो अमेरिका टैरिफ क्यों लगा रहा है?" असल में, इस प्रश्न का उत्तर सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और सामरिक है। अमेरिका लंबे समय से यह महसूस करता आ रहा है कि वैश्विक व्यापार में वह घाटे का सौदा कर रहा है। उसका व्यापार घाटा, विशेषकर चीन और भारत जैसे देशों के साथ, कई खरब डॉलर तक पहुँच गया है। एक ओर जहाँ चीन जैसे देश अमेरिका में सस्ते उत्पाद बेचकर भारी मुनाफ़ा कमा रहे हैं, वहीं अमेरिका को खुद के उत्पाद दूसरे देशों...