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Showing posts from September 15, 2019

अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

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अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा प्रारंभिक जीवन और शिक्षा अतुल डोडिया का जन्म 1959 में भारत के मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) शहर में हुआ था। एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में जन्मे अतुल का बचपन साधारण किंतु जीवंत माहौल में बीता। उनका परिवार कला से सीधे जुड़ा नहीं था, परंतु रंगों और कल्पनाओं के प्रति उनका आकर्षण बचपन से ही साफ दिखने लगा था। अतुल डोडिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के स्कूलों में पूरी की। किशोरावस्था में ही उनके भीतर एक गहरी कलात्मक चेतना जागृत हुई। उनके चित्रों में स्थानीय जीवन, राजनीति और सामाजिक घटनाओं की झलक मिलती थी। 1975 के दशक में भारत में कला की दुनिया में नया उफान था। युवा अतुल ने भी ठान लिया कि वे इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाएंगे। उन्होंने प्रतिष्ठित सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई से1982 में  बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (BFA) की डिग्री प्राप्त की। यहाँ उन्होंने अकादमिक कला की बारीकियों को सीखा, वहीं भारतीय और पाश्चात्य कला धाराओं का गहरा अध्ययन भी किया। 1989से1990 के साल में, उन्हें École des Beaux-Arts, पेरिस में भी अध्ययन का अवसर मिला।...

Pashan kaal ka itihas

  पाषाण काल वह काल है जब मनुष्य ने अपना जीवन प्रस्तरों के मध्य में ही गुजारा , उसने अपने भोजन की व्यवस्था भी पाषाणों के माध्यम से ही की , पाषाण काल की बात करेंगे तो  बहुत पहले जाना पड़ेगा ,पृथ्वी की उत्पत्ति 4 अरब साल पहले हुई ,धीरे धीरे पृथ्वी ठंढी हुई  ,पृथ्वी  में क्रमशः एक कोशकीय से बहुकोशकीय जीव बने , बाद में जलीय प्राणी से उभयचर , बने , सरीसृप उभयचर से सरीसृप ,सरीसृप से पक्षी ,  पक्षी से स्तन धारी, स्तनधारी के उद्विकास से  गिलहरी , बन्दर होते हुए  आदि मानव बना,आदिमानव की उत्पत्ति 20 लाख वर्ष पूर्व हुई, इस काल में पृथ्वी में बर्फ़ जमी थी ,इस काल में मनुष्य को जीवित रहने के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ा ।          पाषाण युग में भी उत्तरोत्तर विकास हुआ , पहले उसने बड़े बड़े प्रस्तर को काटकर नुकीला  बनाया ,फिर उनको नुकीला बनाया ,उनको हथियार के रूप में प्रयोग करके  जानवरों का शिकार किया , धीरे धीरे प्रस्तर का आकर छोटा हुआ , और  नुकीला हुआ ,जिससे तेजी से जानवरों को मारा जा सके।        इस युग में...