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Showing posts from March 5, 2020

Jai Vijay sachan comedian। जय विजय सचान कॉमेडियन।Biography

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  जय विजय सचान (Jai Vijay Sachan) कॉमेडियन  जयविजय सचान : जयविजय सचान कॉमेडियन का जन्म उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में राठ  कस्बे में हुआ था,जयविजय सचान के पिता रणधीर सचान एक व्यापारी हैं  इनका पूरा नाम जयविजय सिंह सचान है ,जयविजय सचान की माता का नाम संगीता सचान एक ग्रहणी हैं,जयविजय के एक भाई थे जो आपथैलमोलॉजिस्ट थे जिनकी मृत्यु 2017 में एक रोड एक्सीडेंट में हो गई और बहन भी जिनका नाम अलका निरंजन है। जयविजय की हाइट 175 सेंटीमीटर है यानी 5 फीट 9 इंच है।       जयविजय  सचान की प्रारंभिक शिक्षा हमीरपुर जिला के एस.वी.एम.(सरस्वती विद्या मंदिर) इंटर कॉलेज में हुई थी इन्होंने B.A. राजनीतिशास्त्र में और एम.ए.(M.A.)यूरोपियन पॉलिटिक्स बुंदेलखंड विश्विद्यालय से किया  उसके बाद एमिटी विश्वविद्यालय लखनऊ से मास्टर इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन (2009) में किया।          जयविजय सचान भारत में एक चर्चित मिमिक्री आर्टिस्ट हैं ,जो करीब दो सौ फिल्मी और गैर फिल्मी लोगों की आवाज की हुबहू नकल करने नाटकीय प्रस्तुति करण में एक्सपर्ट हैं।वह बच...

पुनुरुत्थान कालीन (Renaissance) फ्लोरेन्स के चित्रकार ,मासाच्चीयो,फ्रा एंजेलिको, बोत्तीचेल्ली

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 पुनरुत्थान  कालीन  (Renaissance)  में फ्लोरेन्स के कलाकार मासच्चिओ, फ्रा एंजेलिको, पाउलो उच्चेलो। Florens ke artist Fra Enjeliko ,Paulo Uchhelo,Sandro Botticheli) पंद्रहवीं शती की फ्लोरेंस की कला प्राकृतिकता वाद की ओर अग्रसर हो गई  ,इसका सूत्रपात जियोत्तो द्वारा किया गया , आगे  यह विचारधारा दो भागों में बट गई एक मनोवैज्ञानिक दूसरी भौतिकी ,द्वितीय भाग की कला में तीन बातों पर बल दिया गया ,1-परिप्रेक्ष्य का अध्ययन2-शरीर का स्थिर व गतिपूर्ण  स्थितियों का अध्ययन 3-जड़ और चेतन वस्तुओं के तथ्यों की विवरणात्मकता।  पुनरुथान शैली की चित्रकला का आरम्भकर्ता मासाच्चीयो था  मासाच्चिओ--- (Masaccio 1401-28) अर्ली रेनेसॉ का सर्वश्रेष्ठ कलाकार  यह इटली के फ्लोरेंस नगर का प्रथम उल्लेखनीय चित्रकार भी कहलाता है। अर्ली रेनेसॉ का सर्वश्रेष्ठ कलाकार  माना जाता है। मसाच्चीयो का जन्म 1401 में हुआ था, इसकी प्रारंभिक शिक्षा कहाँ हुई ये ज्ञात नहीं है,यह जियोत्तो और ब्रूनेलेसी की कला से बहुत प्रभावित था। मासाच्चीयो ने ज्योत्तियो की कला प्रवृत्तियों में...