Physics Wallah (PW) और अलख पाण्डेय की सफलता की कहानी: कम फीस में JEE-NEET की बेहतरीन तैयारी कैसे संभव हुई?

 

​"सफलता रातों-रात नहीं मिलती, बल्कि यह सालों के कड़े संघर्ष और अटूट संकल्प का परिणाम होती है। आज जब हम भारतीय शिक्षा जगत में एक 'क्रांति' की बात करते हैं, तो हमारे सामने एक ऐसे शिक्षक का चेहरा आता है जिसने साइकिल से कोचिंग जाने से लेकर देश के सबसे बड़े एड-टेक (Ed-tech) साम्राज्य 'फिजिक्स वाला' के निर्माण तक का सफर तय किया। यह कहानी केवल एक शिक्षक की नहीं, बल्कि उस जिद की है जिसने शिक्षा को व्यापार से ऊपर उठाकर हर गरीब छात्र के लिए सुलभ बना दिया।यह महान कार्य इसलिए करने में सफल हुए क्योंकि अलखपांडेय ने गरीबी को नजदीक से देखा था।उन्होंने देखा कि कैसे एक गरीब और मध्यमवर्ग का बच्चा बड़े बड़े  कोचिंग संस्थाओं में एडमिशन उनकी ज्यादा फीस होने के कारण नहीं ले पाते वो होनहार मेधावी होते है पर कोचिंग करने के लिए उनके पास यथा अनुरूप पैसे नहीं होते।

       अलख पांडे ने गरीब बच्चों को सस्ती और अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य से ही अपना सफर शुरू किया था। उन्होंने बी.टेक इसलिए छोड़ी क्योंकि उनका मन पढ़ाई से ज्यादा पढ़ाने (टीचिंग) में लगता था और वह कॉलेज की पढ़ाई से संतुष्ट नहीं थे।


​बी.टेक छोड़ने और शुरुआत के मुख्य कारण:

  • पैशन और रुचि: थर्ड ईयर तक आते-आते उन्हें एहसास हुआ कि इंजीनियरिंग के बजाय कोचिंग देना उनका असली जुनून है। वे फेल नहीं हुए थे, बल्कि उन्होंने जानबूझकर कॉलेज छोड़ा ताकि पूरा समय पढ़ाने को दे सकें।
  • आर्थिक स्थिति: उन्होंने खुद संघर्ष देखा था, इसलिए वह ट्यूशन पढ़ाकर घर की मदद करते थे। यहीं से उनके मन में आया कि शिक्षा को इतना सस्ता बनाया जाए कि कोई भी बच्चा पीछे न छूटे।
  • विज़न: उन्होंने कानपुर की गलियों से शुरुआत की और बाद में YouTube के जरिए देश के कोने-कोने तक पहुँचे। उनका मानना था कि अच्छी शिक्षा पर सबका हक है, सिर्फ अमीरों का नहीं।

अलख पांडेय: ट्यूशन पढ़ाने से लेकर 'यूनिकॉर्न' खड़ा करने तक का सफर

​आज के दौर में अगर कोई बच्चा घर बैठे फिजिक्स पढ़ना चाहता है, तो उसके पास सबसे पहला नाम 'फिजिक्स वाला' (Physics Wallah) ही आता है। लेकिन इस नाम के पीछे जो इंसान है—अलख पांडेय—उनकी सफलता के पीछे संघर्षों की एक लंबी दास्तान है।

शुरुआती जीवन और परिवार

​अलख का जन्म 2 अक्टूबर 1991 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति हमेशा से बहुत अच्छी नहीं थी। उनके पिता सतीश पांडेय एक प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर थे और मां रजत पांडेय प्रयागराज  में स्थित विष्णु भगवान पब्लिक स्कूल  में टीचर थीं। अलख की एक बहन भी हैं, अदिति पांडेय, जो आज सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में काम कर रही हैं।

​कहा जाता है कि एक समय ऐसा भी था जब घर की आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें अपना घर तक बेचना पड़ा था। अलख पांडे के जीवन में संघर्षों का सिलसिला बचपन से ही शुरू हो गया था। उनके पिता द्वारा घर बेचे जाने के बारे में कुछ मुख्य जानकारी इस प्रकार है:

  • घर बेचने का समय: अलख पांडे के अनुसार, जब वह तीसरी कक्षा (3rd Class) में थे, तब उनके घर का आधा हिस्सा बिका था। जैसे-जैसे वह छठी कक्षा (6th Class) तक पहुँचे, उनका पूरा घर बिक गया था।
  • कारण: घर बेचने का मुख्य कारण आर्थिक तंगी (Financial Crisis) थी। उनके पिता एक सरकारी ठेकेदार थे, लेकिन काम की अनिश्चितता के कारण परिवार को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ रही थी।
  • शिक्षा के लिए बलिदान: घर बेचने से जो पैसे मिले, उनका उपयोग अलख और उनकी बहन अदिति की पढ़ाई और शिक्षा के खर्चों को पूरा करने के लिए किया गया।

शायद यही वजह थी कि अलख ने बहुत कम उम्र से ही दूसरों को पढ़ाना (ट्यूशन) शुरू कर दिया था।

शिक्षा और कॉलेज का वो 'मोड़'

​अलख पाण्डेय अपनी प्रारंभिक  स्कूली शिक्षा इलाहाबाद के बिशप जॉनसन स्कूल  (Civil Lines)  से पूरी की। यह स्कूल ICSE (कक्षा 10) और ISC (कक्षा 12) बोर्ड से संबद्ध (affiliated) है।  

 वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे।  उन्होंने इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए किसी कोचिंग संस्थान में दाखिला नहीं लिया बल्कि स्वयं अध्ययन (सेल्फ स्टडी )के दम पर उन्होंने कानपुर के HBTU में एडमिशन पाया साल 2011 में उन्होंने कानपुर के मशहूर हारकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (HBTU) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।परंतु वह IIT में सिलेक्शन लेना चाहते थे परंतु रैंक कम होने के कारण HBTU में एडमिशन लेकर संतोष करना पड़ा।

                ​लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब B.Tech के तीसरे साल में उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया (College Dropout)। और  ये बिंदु किसी भी बंदे के  दिमाग़ में ये प्रश्न  उठाता है कि किसी व्यक्ति का HBTU में एडमिशन आसानी से नहीं मिलता पर अलख पाण्डेय ने तीसरे साल उसे ड्रॉप कर दिया।उन्हें लगा कि कॉलेज की पढ़ाई में वो बात नहीं है जो वो असल में सीखना या सिखाना चाहते हैं।

​प्रयागराज में शुरुआती काम और पहली कोचिंग

   वे वापस इलाहाबाद (प्रयागराज)आ गए और एक कोचिंग संस्थान  जिसका नाम अविनाश ट्यूटोरियल्स में 3,000 रुपये महीने पर पढ़ाना शुरू किया, उसके बाद सॉफ्टवेज़ कोचिंग इंस्टीट्यूट' (Softways Coaching Institute) में पढ़ाना शुरू किया था, यहां वह 5000 रुपया सैलरी पर कार्यरत हुए। अलख पाण्डेय ने अपने  जीवन संघर्ष के बारे में एक इंटरव्यू में बताया कि पास की दूसरी कोचिंग ने उन्हें पढ़ाने का ऑफर दिया जो उन्हें ज्यादा रुपया दे रहा था पढ़ाने के एवज में चूंकि वह अपने परिवार के ग़रीबी हालात से छुटकारा पाना चाहते थे इसलिए तीसरी कैचिंग में पढ़ाने का ऑफ़र स्वीकार कर लिया।

अलख पाण्डेय ने जब कानपुर के HBTU (Harcourt Butler Technical University) से बीटेक तीसरे साल (Mechanical Engineering) में ड्रॉपआउट किया, तो वे वापस अपने गृहनगर प्रयागराज (इलाहाबाद) लौट आए।

​ड्रॉपआउट करने के बाद के उनके शुरुआती सफर की जानकारी नीचे दी गई है:

​बीटेक छोड़ने के बाद के संघर्ष

  1. ट्यूशन और कोचिंग: उन्होंने पूरी तरह से कोचिंग और प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। उनके पढ़ाने का अंदाज़ा थिएटर (Street Plays) से प्रभावित था, जो छात्रों को बहुत पसंद आता था।
  2. यूट्यूब की शुरुआत (2016): ऑफलाइन कोचिंग में लगभग 4 साल पढ़ाने के बाद, उन्होंने महसूस किया कि वे केवल कुछ सौ बच्चों तक ही सीमित हैं। 28जनवरी 2014 में अलख पाण्डेय ने एक यूट्यूब  चैनल बनाया, परंतु इस यूट्यूब चैनल में नियमित रूप से वीडियो 2016 से डालना शुरू किया। उन्होंने 2016में 'Physics Wallah' नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत  प्रयागराज के एक छोटे से कमरे से की उनके पास एक व्हाइट बोर्ड था और एक  साधारण कैमरा वाला मोबाइल फोन शुरू किया। वह दिन में अपनी ऑफलाइन  classes एक कोचिंग में पढ़ाते थे और रात को एक बजे से दो बजे तक अपनी यूट्यूब वीडियो रिकॉर्ड  करते थे ,प्रारंभ में एक साल तक उनके यूट्यूब चैनल में ज़्यादा व्यूज़ नहीं मिले एक साल बीतने के बाद 2017 तक सिर्फ 3800 सब्सक्राइबर हुए,लिखीं जब क्लास 10th से क्लास 11th ke फिजिक्स  टॉपिक को डिटेल में सरल शब्दों में  पढ़ाना शुरू किया तब धीरे धीरे उनके चैनल में व्यूज़ बढ़ना शुरू हुए,2018 में उनके पढ़ाने के सरल अंदाज के कारण यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ीऔर  2018 तक पांच लाख सब्सक्राइबर हो गए, और एक साल बाद 2019   के शुरुआत फिजिक्स वाला चैनल में दस लाख(1मिलियन )सब्सक्राइबर  का आंकड़ा पार कर गया और 2019 के अंत तक उनके चैनल में 20 लाख सब्सक्राइबर्स तक पहुँच गए थे। 2025 में इनके मुख्य चैनल में सब्सक्राइबर और इनके ग्रुप के सभी चैनल के सब्सक्राइबर इस प्रकार हैं:::-----
  3. मुख्य चैनल (Physics Wallah - Alakh Pandey): इस फ्लैगशिप चैनल के 1.39 करोड़ (13.9 Million) से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं।
  4. कुल उपस्थिति: अगर उनके सभी 200 से अधिक यूट्यूब चैनलों (जैसे PW Foundation, JEE Wallah, NCERT Wallah आदि) को मिला दिया जाए, तो फिजिक्स वाला ग्रुप के कुल सब्सक्राइबर्स की संख्या 10 करोड़ (100 Million) के करीब पहुँच गई है।
  5. प्रमुख चैनलों के सब्सक्राइबर्स:

    • Physics Wallah Foundation: ~60.1 लाख (6.01 Million)
    • Competition Wallah: ~44.2 लाख (4.42 Million)
    • JEE Wallah: ~30.5 लाख (3.05 Million)
    • NCERT Wallah: ~24.9 लाख (2.49 Million)
  6.  कड़ी मेहनत   अब अलख पाण्डेय ने कोचिंग संस्थान छोड़कर पूरा ध्यान अपने  यूट्यूब चैनल में पढ़ाने पर ध्यान लगाया।और अपनी कोचिंग छोड़कर पूरी तरह ऑनलाइन पढ़ाने के फैसले से  वह अधिक समय तक छात्रों से जुड़े और वह राष्ट्रव्यापी अध्यापक के रूप में फेमस हुए। उनकी पहली यूट्यूब से कमाई  लगभग ₹8,000 थी। 

करियर: 'फिजिक्स वाला' की शुरुआत

​अलख को समझ आ गया था कि कोचिंग की फीस इतनी महंगी है कि हर बच्चा इसे नहीं दे सकता। इसी सोच के साथ उन्होंने साल 28 जनवरी 2014 में अपना यूट्यूब चैनल 'Physics Wallah' शुरू किया। शुरुआती दो-तीन साल काफी संघर्ष भरे रहे, लेकिन उनके पढ़ाने के देसी अंदाज और कठिन कॉन्सेप्ट्स को आसान बनाने की कला ने उन्हें छात्रों के बीच सुपरहिट बना दिया।अलख पांडे (Physics Wallah) की मौजूदा नेटवर्थ लगभग ₹4000 करोड़ से अधिक आंकी गई है। उनके YouTube चैनल और एडटेक प्लेटफॉर्म से होने वाली सालाना कमाई करोड़ों में है। फिजिक्स वाला यू ट्यूब चैनल के बाद छात्रों  के बढ़ती मांग के बाद अलख पाण्डेय ने  प्रतीक माहेश्वरी  के साथ मिलकर फिजिक्सवाला  ऐप  लांच किया। परंतु लांच होते ही वह ज्यादा लोडिंग के कारण क्रैश कर गया।

फिजिक्स वाला ऐप लांचिंग: फिजिक्स वाला (Physics Wallah) ऐप के लॉन्च होते ही क्रैश होने का सबसे मुख्य कारण अनपेक्षित ट्रैफिक (Unexpected Traffic) था। जब अलख पांडे सर ने अपना ऐप लॉन्च किया, तो उस समय उनकी लोकप्रियता यूट्यूब पर चरम पर थी और छात्रों का एक विशाल आधार (User Base) उनके ऐप का इंतज़ार कर रहा था।

​यहाँ कुछ प्रमुख तकनीकी और व्यावहारिक कारण दिए गए हैं:

​1. सर्वर पर अत्यधिक लोड (High Server Load)

​लॉन्च के पहले ही दिन, ऐप पर छात्रों की संख्या उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा थी। सूत्रों के अनुसार, ऐप पर एक साथ लाखों छात्रों ने लॉगिन करने की कोशिश की, जिससे सर्वर की क्षमता (Server Capacity) जवाब दे गई। किसी भी नए सिस्टम के लिए अचानक आए इतने बड़े 'ट्रैफिक स्पाइक' को संभालना मुश्किल होता है।

​2. स्केलेबिलिटी की कमी (Lack of Scalability)

​शुरुआती दौर में ऐप का इंफ्रास्ट्रक्चर इतना Scalable नहीं था कि वह एक साथ लाखों 'कन्करेंट यूजर्स' (Concurrent Users) को हैंडल कर सके। जब बहुत सारे यूजर्स एक ही समय में डेटाबेस से जानकारी मांगते हैं, तो सर्वर 'रिक्वेस्ट' को प्रोसेस नहीं कर पाता और क्रैश हो जाता है।

​3. भारी नामांकन (Massive Enrollments)

​जब Lakshya Batch जैसे लोकप्रिय कोर्स लॉन्च हुए, तो पेमेंट गेटवे और नामांकन प्रक्रिया पर भारी दबाव पड़ा। हजारों छात्रों ने एक साथ पेमेंट करने की कोशिश की, जिससे ट्रांजैक्शन फेल होने लगे और ऐप का इंटरफेस धीमा होकर बंद हो गया।

​इस समस्या को कैसे ठीक किया गया?

  • क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर (AWS/Media CDN): बाद में PW ने अमेज़न वेब सर्विसेज (AWS) और मीडिया CDN जैसे उन्नत तकनीकी समाधानों का उपयोग किया ताकि वीडियो स्ट्रीमिंग और ट्रैफिक को सुचारू रूप से मैनेज किया जा सके।
  • बेहतर कोडिंग और टेस्टिंग: ऐप के बैकएंड को दोबारा ऑप्टिमाइज़ किया गया ताकि कम इंटरनेट स्पीड पर भी छात्र बिना किसी रुकावट के पढ़ सकें।
  • डेटाबेस मैनेजमेंट: डेटाबेस को इस तरह से डिजाइन किया गया कि वह एक साथ लाखों छात्रों के लॉगिन और डेटा को प्रोसेस कर सके।
  • एक रोचक तथ्य: अलख सर ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि वह छात्रों के इस प्यार और इतने बड़े ट्रैफिक के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे, क्योंकि उन्होंने सोचा नहीं था कि पहले ही दिन इतने ज्यादा लोग ऐप डाउनलोड करेंगे।

​कोचिंग संस्थान और विस्तार की योजना

  • शुरुआत और प्रेरणा: अलख पांडे ने अपने शिक्षण करियर की शुरुआत प्रयागराज से की थी, जहाँ उन्होंने ऑफलाइन कोचिंग में पढ़ाया और फिर YouTube पर शिफ्ट हुए।
  • हाइब्रिड मॉडल: उन्होंने देश भर में 'PW Vidyapeeth' के नाम से ऑफलाइन सेंटर खोले हैं।
  • शहरों का चयन: उन्होंने अपनी योजना के तहत प्रयागराज और कानपुर दोनों शहरों में अपने कोचिंग संस्थान (Vidyapeeth) सफलतापूर्वक शुरू किए हैं।
  • विस्तार रणनीति: उनका लक्ष्य कम फीस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है, जिसके लिए उन्होंने कोटा, दिल्ली और पटना जैसे प्रमुख शहरों सहित पूरे भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है।फिजिक्सवाला (Physics Wallah) और अलख पाण्डेय की लोकप्रियता के पीछे कुछ ठोस कारण हैं, जो उन्हें JEE और NEET के बच्चों के बीच एक पसंदीदा विकल्प बनाते हैं।

    ​आपने जो पूछा है कि क्या वहां कॉन्सेप्ट्स बेहतर तरीके से कराए जाते हैं, तो इसे कुछ बिंदुओं में समझा जा सकता है:

    ​1. कॉन्सेप्ट्स समझाने का तरीका (Teaching Methodology)

    ​अलख पाण्डेय और उनकी टीम का मुख्य फोकस 'रटने' के बजाय 'समझने' पर होता है।

    • सरल भाषा और रीयल-लाइफ उदाहरण: अलख पाण्डेय जटिल भौतिकी (Physics) के सिद्धांतों को रोजमर्रा के उदाहरणों से जोड़कर समझाते हैं, जिससे हिंदी माध्यम और ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों को भी विषय आसानी से समझ आता है।
    • बेसिक से एडवांस (Zero to Hero): उनकी क्लासेस अक्सर बहुत ही बेसिक स्तर से शुरू होती हैं, ताकि अगर किसी बच्चे की नींव कमजोर है, तो भी वह एडवांस लेवल तक पहुँच सके।
    • विज़ुअलाइज़ेशन: वे डायग्राम और सरल चित्रों के माध्यम से विज़ुअल लर्निंग पर ज़ोर देते हैं, जो विशेष रूप से NEET (बायोलॉजी) और JEE (मैकेनिक्स/इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म) के लिए बहुत प्रभावी है।

    ​2. अन्य कोचिंगों की तुलना में वरीयता (Why Students Prefer PW?)

    ​JEE और NEET के छात्र PW को अन्य "बड़े ब्रांड्स" (जैसे एलन या आकाश) के मुकाबले कुछ खास वजहों से चुन रहे हैं:क्योंकि जहां पर अन्य कोचिंग संस्थान JEE( MAINS) की और NEET की तैयारी के लिए दो लाख रुपया तक ले लेते हैं वहीं अलखपांडेय के फिजिक्सवाला से वह ऑन लाइन क्लासेज भारत के उच्चतम अध्यापकों से प्राप्त कर लेते हैं, उनके अध्यापक हर कांसेप्ट को बेसिक लेवल से समझाते है जिससे दूरदराज के गांव के बच्चे घर बैठे कंपटीशन की तैयारी कर लेते है


 Physics Wallah की फीस की जानकारी

Physics wallah एप  के माध्यम से कोई भी छात्र NEET की या JEE के पाठ्यक्रमों में एडमिशन ले सकता है यहां ONLINE फीस 3000से 5000तक होती है।
प्रमुख ONLINE बैच और उनकी फीस : लक्ष्य (12TH)-  लगभग4500 रुपया
अर्जुन (11TH) लगभग 4500 रुपया
प्रयास (Droppers के लिए) फ़ीस लगभग 4800 रुपया
उपरोक्त फीस पूरे साल के कोर्स की  फीस होती है इसमें लाइव क्लासेज, टेस्ट सीरीज, और Notes होते हैं।
ऑफलाइन "PW विद्यापीठ" केंद्रों की फीस लगभग 60 हजार रुपए से 80 हजार रुपए के आसपास रहती है।

PW विद्यापीठऑफलाइन सेंटर्स

 PW विद्यापीठ ऑफलाइन सेंटर्स हैं, जबकि PW (फिजिक्स वाला) की पहचान मुख्य रूप से उनके किफायती ऑनलाइन कोर्सेज से है। विद्यापीठ में भी फीस अन्य बड़े कोचिंग संस्थानों के मुकाबले काफी कम होती है, लेकिन यह पूरी तरह फ्री नहीं है।

​यहाँ मुख्य अंतर दिए गए हैं:

  • पढ़ाई का माध्यम: विद्यापीठ में छात्र क्लासरूम में जाकर टीचर के सामने पढ़ते हैं, जबकि PW ऐप पर घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई होती है।
  • फीस संरचना: विद्यापीठ की फीस ऑनलाइन बैच से ज्यादा है, फिर भी यह ऑफलाइन मार्केट में सबसे सस्ती मानी जाती है।
  • सुविधाएं: विद्यापीठ में आपको मेंटरशिप, डाउट सपोर्ट और फिजिकल स्टडी मटेरियल मिलता

देश भर में फिजिक्स वाला (PW) के 150 से अधिक विद्यापीठ सेंटर हैं। मुख्य शहरों और उनकी शाखाओं की जानकारी नीचे दी गई है:

प्रमुख शहर और शाखाएं

  • कोटा: यहाँ सबसे अधिक 10+ सेंटर हैं।
  • दिल्ली-NCR: दिल्ली (जनकपुरी, कालु सराय), नोएडा और गुरुग्राम में 15+ सेंटर।
  • पटना: 5 से अधिक शाखाएं।
  • लखनऊ: 4 मुख्य सेंटर (हजरतगंज, गोमती नगर, आदि)।
  • वाराणसी: 3 सेंटर।
  • जयपुर: 4 सेंटर।
  • कोलकाता: 3 सेंटर।
  • इंदौर और भोपाल: प्रत्येक शहर में 2-3 शाखाएं।

​इसके अलावा कानपुर, प्रयागराज, रांची, अहमदाबाद, पुणे, और बेंगलुरु जैसे 80 से अधिक शहरों में विद्यापीठ सेंटर संचालित हैं। सटीक स्थान खोजने के लिए आप PW ऐप के 'Centers' सेक्शन का उपयोग कर सकते हैं।

फिजिक्स वाला आईपीओ:  फिजिक्स वाला अभी तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध (listed)  हुआ है। अलख पांडे के साथ इस कंपनी के मुख्य हिस्सेदार और निवेशक नीचे दिए गए हैं:

  • अलख पांडे और प्रतीक माहेश्वरी: कंपनी के सह-संस्थापक (Co-founders)।
  • वेस्टब्रिज कैपिटल (WestBridge Capital): मुख्य निवेशक।
  • जीएसवी वेंचर्स (GSV Ventures): प्रमुख निवेशक।

कुछ दिलचस्प फैक्ट्स:

  • करोड़ों का ऑफर ठुकराया: एक वक्त ऐसा था जब देश की बड़ी-बड़ी एड-टेक कंपनियों ने अलख को अपनी कंपनी में शामिल होने के लिए करोड़ों रुपये (कथित तौर पर 75 करोड़ तक) के ऑफर दिए थे, लेकिन उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि उनका मकसद शिक्षा को सस्ता रखना है।
  • यूनिकॉर्न का दर्जा: आज उनकी कंपनी भारत की 101वीं यूनिकॉर्न बन चुकी है, जिसकी वैल्यू अरबों में है।

निजी जीवन

​अलख ने 22 फरवरी 2023 को अपनी लॉन्ग-टाइम फ्रेंड शिवानी दुबे के साथ शादी की। शिवानी पेशे से एक जर्नलिस्ट (पत्रकार) हैं और वे भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की ही रहने वाली हैं।

निष्कर्ष

​अलख पांडेय की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आपके पास हुनर है और आप अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं, तो डिग्री अधूरी होने के बावजूद आप दुनिया बदल सकते हैं। आज वे सिर्फ एक टीचर नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए एक इमोशन बन चुके हैं।


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