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Showing posts from January 18, 2021

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय

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   राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय-- राम नाथ कोविंद का जन्म एक अक्टूबर 1945 को कानपुर से 35 किलोमीटर दूर स्थित तहसील डेरापुर के परौंख गांव में हुआ था ,परौंख गांव डेरापुर  से आठ किलोमीटर दूर है ।                श्री राम नाथ कोविद जी राष्ट्रपति              रामनाथ कोविंद के पिता का नाम मैकूलाल था जो एक किसान थे और माता का नाम कलावती था  जो एक गृहणी थीं। रामनाथ कोविंद  पांच भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटे थे ,रामनाथ कोविंद जब केवल पांच वर्ष के थे तभी उनकी माता की मृत्यु हो गई थी।  रामनाथ कोविंद की शिक्षा दीक्षा---     रामनाथ कोविंद के पिता कोरी  जाति के थे जो उत्तरप्रदेश में अनुसूचित जाति(दलित) में आती है। इनके पिता बहुत ही सामाजिक व्यक्ति थे जो समाज के उत्थान में कई कार्यों में भाग लेते थे ,इनके पिता गांव में  आयुर्वेद द्वारा बीमार लोंगों का इलाज करते थे।        रामनाथ कोविंद एक कच्चे घर मे बचपन मे रहे , इनके गांव में उस समय कोई सुविधाएं नहीं थी , प्राथमिक शिक्षा कोविंद जी ने गांव में ही प्राप्त किया परंतु जूनियर स्कूल इनके गांव से छः किलोमीटर दूर खानपुर गाँव मे था , वहां तक जाने

सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता अंतर

 सैन्धव सभ्यता और वैदिक सभ्यता में अंतर: सैन्धव सभ्यता में वैदिक संस्कृति से तुलना करने पर कई तथ्य ऐसे मिलते है जो दोनो जगह में अलग अलग थे दोनो में असमानता थी। 1)सिंधु घाटी सभ्यता में दुर्ग के अवशेष मीले है जबकि वैदिक सभ्यता के लोंगों के पक्के आवास के सबूत नही हैं वैदिक जन बांस और घासफूस के घरों में रहते थे। 2) वैदिक सभ्यता के लोंगो को लोहे ,सोने चान्दी धातुओं  का ज्ञान था जबकि सैन्धव सभ्यता के लोग लोहे से अपरिचित थे। 3)वैदिक सभ्यता के लोग अश्व से परिचित थे परंतु अभी तक ये  शोध के आधार पर ज्ञात है कि सैन्धव लोग घोड़े से अपरिचित थे 4) वेदों में व्याघ्र का तथा हांथी का उल्लेख नहीं है जबकि सैन्धव मुद्रा में व्याघ्र और हाँथी के चित्र अंकित हैं। 5)आर्य लोग  विभिन्न प्रकार के अस्त्र शस्त्र का प्रयोग करते थे जबकि सिंधु घाटी सभ्यता से अस्त्र शस्त्र के प्रमाण नहीं मिले हैं। 6)आर्य लोग मूर्ति पूजक नही थे आर्य सिर्फ देवताओं का आह्वाहन करते थे न कि कोई मूर्ति बनाकर पूजा करते थे वहीं सैन्धव वासी मूर्ति पूजक थे । 7) सैन्धव सभ्यता में मातृ देवी की उपासना होती थी जबकि ऋग्वैदिक काल मे मुख्यता पुरुष देवत