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Showing posts from October 10, 2021

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

जितिश कल्लट (Jitish Kallat )आर्टिस्ट की जीवनी

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जितिश कल्लट ( Jitish Kallat आर्टिस्ट की जीवनी:- परिचय  जितिश कल्लट का जन्म 14 जुलाई 1974 को मुंबई में हुआ था। आज भी वह मुंबई में ही रहते हैं और 47 साल के हो चुके हैं। पेंटिंग, फोटोग्राफी, मूर्तिकला, कोलाज, इंस्टालेशन, मल्टी-मीडिया में काम करने वाले जितिश कल्लट 2014 के कोच्चि मुज़िरिस बिनाले के दूसरे संस्करण के कलात्मक निदेशक थे।  जितिश  कल्लट   (Jitish Kallat) का  शादी और पारिवारिक जीवन  जितिश कल्लट ने आर्टिस्ट रीना सैनी कल्लट से विवाह किया है और वह इंडिया फाउंडेशन फॉर द आर्ट्स के न्यासी बोर्ड के सदस्य भी हैं।    [जितिश कल्लट आर्टिस्ट] शिक्षा और चित्रण कार्य --       Jitish Kallat   जितिष कल्लत ने 1996 में जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से  फाइन आर्ट की डिग्री प्राप्त की।BFA करने के बाद जितिश कल्लट ने पी. टी. ओ. शीर्षक से केमोल्ड प्रेसकार्ड रोड में पहली एकल प्रदर्शनी लगाई थी। कला की शैली और प्रेरणाएँ  उनके प्रारंभिक चित्रों में जीवन चक्र, मृत्यु, जन्म, आकाशीय, पारिवारिक वंश के विषय थे।      बाद में उनके चित्रों ...