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Showing posts from January 9, 2022

शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ

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  – शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ   प्रश्न : क्या ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा से किसी स्टॉक में इंट्राडे खरीदारी का सटीक संकेत उसी दिन सुबह या एक दिन पहले मिल सकता है? उत्तर है : हाँ, लेकिन कुछ शर्तों और विश्लेषण के साथ। 🔍 OI से इंट्राडे में संकेत कैसे मिलते हैं? ओपन इंटरेस्ट का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग में सपोर्ट-रेजिस्टेंस, ब्रेकआउट, और ट्रेडर सेंटिमेंट को पकड़ने के लिए किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 📈 1. OI और प्राइस मूवमेंट का संयोजन Price OI Interpretation भाव बढ़े बढ़े नया पैसा आ रहा है, ट्रेंड मजबूत Bullish संकेत घटे बढ़े शॉर्ट बिल्ड-अप हो रहा है Bearish संकेत बढ़े घटे शॉर्ट कवरिंग हो रही है Bullish लेकिन अल्पकालिक घटे घटे लॉन्ग अनवाइंडिंग हो रही है Bearish लेकिन अल्पकालिक उदाहरण: अगर किसी स्टॉक में प्री-मार्केट या पहले 15 मिनट में तेजी है और साथ में OI बढ़ रहा है , तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर नई लॉन्ग पोजिशन बना रहे हैं – इंट्राडे बाय का संकेत। ⏰ 2. OI का डे...

कृष्णा रेड्डी (Krishna Reddy)भारत के प्रिंटमकेर आर्टिस्ट की जीवनी

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कृष्णारेड्डी(KrishnaReddy)भारत के प्रिंटमकेर आर्टिस्ट की जीवनी-- Krishna Reddi Indian Printmaker/Artist Biography in Hindi कृष्णा रेड्डी भारत के सुप्रसिद्ध मास्टर प्रिंटमेंकर व मूर्तिकार और अध्यापक थे इंटैग्लियो प्रिंट मेकिंग में सिद्धहस्त थे और उन्होंने प्रिंट मेकिंग में एक नई तकनीक का विकास किया जिसको विस्कोसिटी प्रिंटिंग के नाम से जाना जाता है। प्रारंभिक जीवन---   कृष्णा रेड्डी (Krishna Reddy) का जन्म 15 जुलाई 1925 को आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित नंदनूर नामक गाँव मे हुआ था।  कृष्णा रेड्डी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय के कला भवन में नंदलाल बोस के साथ शिक्षा ली ,इन्होंने विश्वभारती विश्विद्यालय के कलाभवन में 1941 से 1946 तक कला विषय का अध्ययन किया और अंततः कला में स्नातक की उपाधि ग्रहण की। 1947 से 1949 तक वह कला क्षेत्र फाउंडेशन के कला विभाग में हेड ऑफ डिपार्टमेंट रहे ,इसके अलावा वह मोंटेसरी टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर मद्रास में अध्यापन किया और यहीं पर उन्होंने मूर्तिकला में रुचि लेना प्रारम्भ किया। 1949 में वह लंदन चले गए वहां पर वह यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के  स्ले...