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Showing posts from October 29, 2019

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

Tamra pashan kaal| ताम्र पाषाण युग The Chalcolithic Age

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ताम्र पाषाण युग-  The Chalcolithic Age   नव पाषाण कालीन सभ्यता में उत्तरोत्तर विकास के बाद ताम्र पाषाण कालीन सभ्यता का विकास हुआ, इसका समय 5000 से 4000 साल पूर्व  था , इस सभ्यता में तांबे के हथियार सामान्यता प्रयोग में लाये गए , साथ मे कुछ पत्थर के हथियार भी प्रयोग में लाये जाते रहे , यद्यपि ताम्र पाषाण काल की अवधि बहुत ज्यादा नही थी जितनी आगे की सभ्यता लौह युग की परंतु इस सभ्यता के द्वारा किये जा रहे प्रयोगों से ही आगे की सभ्यता को नींव प्रदान की। ताम्र पाषाण काल के हथियार        ताम्र पाषाण युग---     जिस समय सिंधु सभ्यता अपने चरमोत्कर्ष पर थी  उस समय देश के अलग अलग भागों में तांबे को प्रयोग में लाने वाली कुछ कृषक बस्तियां तेजी से विकसित हो रहीं थीं, इन सभी बस्तियों में अपनी अपनी कुछ क्षेत्रीय विशेषतायें भी दिखतीं है,इसलिए क्षेत्रवार इन बस्तियों को अलग अलग स्थल नामों से जाना जाता है।      ताम्र पाषाण कालीन संस्कृति की कुछ सामान्य         विशेषतायें   पाई जातीं थी,ये अधिकांसता ग्रामीण बस्तियां थीं और कृषि पर इनकी आर्थिक स्थिति निर्भर थी,ये गोल तथा आयताकार  झोपड़ियों म