GST रिटर्न फाइल कैसे करें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड (2025)

Image
GST रिटर्न फाइल कैसे करें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड (2025) (GST Return Kaise Bhare - पूरी जानकारी हिंदी में) टैग्स: #GSTReturn #GSTFileKaiseKare #BusinessTax #GSTIndia अगर आप एक बिजनेस ओनर हैं और GST (Goods and Services Tax) Return फाइल करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए है। सही समय पर GST रिटर्न फाइल करना जरूरी है, ताकि आपको लेट फीस और पेनल्टी न भरनी पड़े। इस आर्टिकल में हम GST रिटर्न भरने की पूरी प्रक्रिया (GST Return Filing Process in Hindi) समझाएंगे। GST Return फाइल करने की प्रक्रिया (Step-by-Step Guide) 1. GST पोर्टल पर लॉगिन करें सबसे पहले GST Portal पर जाएं। अपना GSTIN (GST Identification Number) और पासवर्ड डालकर Login करें। कैप्चा दर्ज करके आगे बढ़ें। 2. रिटर्न सेक्शन में जाएं डैशबोर्ड में "Services" → "Returns" → "Returns Dashboard" पर क्लिक करें। जिस महीने या साल की रिटर्न भरनी है, वह चुनें। 3. सही GST फॉर्म चुनें आपके बिजनेस टाइप के आधार पर सही फॉर्म चुनें: GST रिटर्न फॉर्म किसके लिए है? फाइलिंग की अवधि GSTR-1...

एफ एन सूजा(फ्रांसिस न्यूटन सूजा) की जीवनी

 फ्रांसिस न्यूटन सूजा (एफ एन सूजा) -------------



      भारत मे कई महान आर्टिस्ट हुए जिन्होंने अपने कठिन जीवन के बाद भी अपनी नई विधा से कला को नया आयाम दिया और दुनिया मे खुद  की बनाई पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया और दुनिया के आर्टिस्टों के बीच खुद की पहचान बनाई ,इस कड़ी में एक भारतीय आर्टिस्ट का नाम एफ एन सूजा है।

 फ्रांसिस न्यूटन सूजा जिन्हें एफ एन सूजा भी कहा जाता है ,इनका जन्म सन 12 अप्रैल1924 ईसवी को गोवा में सलिगाव नामक स्थान में हुआ था। ये भारत के विख्यात चित्रकार थे।

       जब सूजा मात्र तीन साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई,  पिता की मृत्यु के बाद उनकी माता मुंबई में रहने लगीं  वहां पर उनकी  माता ने कपड़ा सिलाई करके घर के खर्च को चलाया और सूजा का पालन पोषण किया।परंतु बाद में उनकी माता ने सूजा की अस्वस्थता के कारण दादी के पास गोवा भेज दिया।

     जब वे युवा हुए तब उन्होंने मुम्बई के सेंट जेवियर कॉलेज में एडमिशन लिया  सूजा प्रारम्भ से विद्रोही  स्वभाव के थे ,सूजा के जीवन मे अनेक व्यथाएँ थी जिसके कारण जिसके कारण उनके मन मे विपरीत प्रभाव पड़ा ,जिसके उनका  स्वभाव विद्रोही हो गया, अनेक घटनाओं ने उनके मन में विपरीत प्रभाव डाला जैसे बचपन मे ही पिता की मृत्यु, पारिवारिक गरीबी,अनाकर्षक व्यक्तित्व ,उनके इस संघर्ष और विद्रोही  व्यक्तित्व   की झलक उनके चित्रों में दिखाई देती है।उनके रंग रेखाओं में समाज की पीड़ा समाज का दुःख दर्द दिखाई पड़ता है।

              वो जगह जगह अपनी चित्रकला की छाप छोड़ते रहते थे,एक बार वह जिस कॉलेज में पढ़ते थे उसी कॉलेज के टॉयलेट की दीवार में चित्र बनाने लगे, जिसके कारण उस स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया। यद्यपि उन्होंने बचाव के लिए दलीलें दीं पर कॉलेज प्रशासन उनकी दलीलों को झूठ माना और सूजा को स्कूल से निकाल दिया गया,इसी तरह सूजा ने जब कला की उच्च शिक्षा के लिए  1939 में  मुम्बई के प्रसिद्ध जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया तथा  जब  वो  वहाँ अध्ययनरत थे उस समय उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया ,इस गतिविधि के कारण उन्हें जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स से निकाल दिया गया,बाद में वो सन 1947 में कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ले ली।

           एफ एन सूजा ने अपने जीवन मे तीन बार विवाह किया और अपना अंतिम समय श्रीमती लाल के साथ बिताया,श्रीमती लाल मुम्बई में उनके अंतिम समय तक साथ रहीं उनका निधन 28 मार्च 2002 को मुंबई में हुआ।

करियर--

1947 में सूजा ने भारतीय चित्रकारों को नवीन प्रयोग की प्रेणना देने के लिए कुछ आगे बढ़कर नया करने के लिए प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप की स्थापना की इस समूह के अन्य सदस्य आरा और रजा थे ,सन 1948 में इसकी पहली समूह प्रदर्शनी हुई। 1948 में सूजा के चित्रों की पहली प्रदर्शनी लंदन के बार्किंगटन हाउस में हुई।1949 में उन्होंने पोट्रेट ऑफ प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप का चित्रांकन किया।1949 में ही सूजा भारत छोड़कर इंग्लैंड गए जहां पर उन्होंने खुद को चित्रकार के रूप में स्थापित करने के लिए संघर्ष किया।उन्होंने धीरे धीरे कई प्रदर्शनियों में अपनी कृतियों को प्रदर्शित किया ,विख्यात कला समीक्षक जान बर्गर ने उनके कला की तारीफ़ की।उन्होंने अपने चित्रों की प्रदर्शनी पेरिस में(1954 व 1960) डेट्राइट (1968) में लगाया। दिल्ली (1987),मुम्बई(1987),और करांची (1988) भी लगाई गई।

2005 में उनकी एक प्रसिद्ध पेंटिंग" बर्थ" क्रिस्टी की नीलामी में 11.3 करोङ में बिकी।इस पेंटिंग को अनिल अंबानी की पत्नी टीना अम्बानी ने खरीदी। 

      सूजा को "आकृतियों का कलाकार " कहा जाता है ,उनकी नारी आकृतियों में कोमल भावनाएं उल्लास और आतुरता दिखाई देती है,रेखांकनों में सूजा की पकड़ गहरी पैठ लिए है।1949 में उनकी पेंटिंग "निर्वसनाओं" में नग्न आकृति में दया और सौहार्द का भाव प्रदर्शित है,सूजा कहते हैं कि सारी सभ्यता ही निर्वसन हौ अश्लीलता की कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं है,उनका कहना है कि कला के सभी सिद्धान्तों को धता बताते हुए उन्होंने लोक दुर्भिक्ष, बलात्कार,युद्ध ,मृत्यु का चित्रण किया,

" सूली"  "नारी दार्शनिक " सैर को निकला परिवार"  " महात्मा गांधी और मनुष्य की दशा" " हज़रत ईसा "  "मस्तक " "निर्वाण"।आदि सूजा के प्रसिद्ध चित्रों में गिने जाते हैं।

   निष्कर्ष--- इस प्रकार कहा जा सकता है कि एफ एन सूजा ने अपने नई विचारधारा से कला में नया आयाम दिया और ख़ुद को चुनिंदा महान आर्टिस्ट की गिनती  में नई विधा अपनाकर शामिल किया। इसलिए आज भी भारत में एफ. एन. सूजा को महानतम आर्टिस्टों में गिना जाता है।

Comments

Popular posts from this blog

रसेल वाईपर की जानकारी हिंदी में russell wipers information in hindi

नव पाषाण काल का इतिहास Neolithic age-nav pashan kaal

Gupt kaal ki samajik arthik vyavastha,, गुप्त काल की सामाजिक आर्थिक व्यवस्था