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Showing posts from August 4, 2019

डॉ. अमोद द्विवेदी की जीवनी: कानपुर के प्रसिद्ध यूरो सर्जन की संघर्षपूर्ण यात्रा

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🩺 डॉ. अमोद द्विवेदी: कम उम्र में प्रतिष्ठा पाने वाले यूरो  सर्जन की जीवन-यात्रा (एक चिकित्सक, एक सर्जन और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का नाम) प्रस्तावना किसी भी समाज में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनकी पहचान केवल उनकी डिग्रियों या पदों से नहीं होती, बल्कि उनके कर्म, समर्पण और जनता के विश्वास से होती है। कानपुर जैसे औद्योगिक और घनी आबादी वाले शहर में यूरोलॉजी जैसे जटिल चिकित्सा क्षेत्र में पहचान बनाना आसान नहीं होता। डॉ. अमोद द्विवेदी इसी श्रेणी के चिकित्सक हैं, जिन्होंने अपेक्षाकृत कम उम्र में ही यूरोलॉजिकल सर्जरी के क्षेत्र में स्थायित्व, विश्वास और लोकप्रियता अर्जित की। आमोद द्विवेदी का जन्म कानपुर जिले के  उपजिला घाटमपुर कस्बे में सन 1979 में हुआ था ।उनकी प्रारंभिक शिक्षा घाटमपुर के सरस्वती शिशु विद्यामंदिर में कक्षा पांच तक हुई जहां पर उन्होंने संस्कार निर्माण और देश सेवा की संकल्पना की , तत्पश्चात उन्होंने कक्षा आठ तक की शिक्षा घाटमपुर स्थित रामस्वरूप सुभाष स्मारक विद्या मंदिर से ली उन्होंने क्लास 9 से क्लास 10 वीं की पढ़ाई गांधी विद्या इंटर कॉलेज से की इसके पश्चात...

जर्मनी ka एकीकरण: Unification of Germany

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                     --जर्मनी का एकीकरण--      जर्मनी के एकीकरण से पहले ये देखतें है कि जर्मन देश का प्राचीन इतिहास क्या है , जब जर्मन के इतिहास को खंगालते है तो हमे मिलता है ये कि जर्मन शब्द की उत्पत्ति प्राचीन रोमन साम्राज्य के उत्तर में डेन्यूब नदी के उस पार (trans denube) रहने वाले  बर्बर क़बीले के देश को गेरमैनिया (germainiya)कहा जाता था  ,  ये  क़बीले   प्राचीन जर्मन   भाषा बोलते थे,  ये किसी जनजातीय धर्म पर विश्वास करते थे ,परंतु धीरे धीरे   यहाँ इसाईकरण हुआ, और ये पवित्र   रोमन  साम्राज्य  से जुड़ा ,जेरमैनिया नाम से ही जर्मनी (Germany) शब्द  अंग्रेजी  भाषा में बना। ये जनजातियां बाद में  खुद   को  दूसरी शताब्दी तक राइन नदी के मुहाँने में समेट लेती है, थोडा आगे बढ़तें है तो हमे सेसोनी  साम्राज्य में सम्राट ओटो प्रथम ने रोमन  साम्राज्य में इटली और जर्मनी को एक सूत्र में बांधा ,परंतु इतने बड़े  स...