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Showing posts from January 12, 2021

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

शोभा सिंह (shobha singh ) चित्रकार की जीवनी:

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 शोभा सिंह (shobha singh ) चित्रकार की जीवनी:   जन्म-- 29 नवंबर 1901 मृत्यु-  22 अगस्त 1986(84 वर्ष की उम्र में)            सरदार शोभा सिंह चित्रकार का जन्म 29 नवंबर1901 को  सिख परिवार में गुरुदास पुर जिले में हुआ था। इनके पिता देवा सिंंह भारतीय सेना में थे शोभा सिंह 1919 में सेना में ड्राफ्ट्समैन के रूप में नियुक्त हुए परंतु 1923 में ही कला में  कुछ नया करने के लिए  सेना से इस्तीफा दे दिया,तथा अमृतसर मैं एक अपना स्टूडियो खोला , कुछ दिनों बाद  उन्होंने  अपना एक स्टूडियो लाहौर दिल्ली और मुंबई में  भी स्थापित किया पर परंतु विभाजन के बाद उन्होंने  लाहौर को छोड़ दिया और हिमाचल प्रदेश के एक अजनबी स्थान  एंड्रेटा में बस गए , यह स्थान  आज  उनकी कला  दीर्घा के कारण  विश्व पटल में  एक पहचान  रखता है ।       शिक्षा  दीक्षा ---------     शोभा सिंह ने 15 वर्ष की उम्र में  अमृतसर  के एक तकनीकी औद्योगिक स्कूल में कला और क्राफ्ट का एक साल का क...