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Showing posts from June 12, 2019

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

Mahadev Govind Ranade ,Atmaram Pandurang Social Reformer

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महादेव गोविन्द रानाडे-- रानाडे का जन्म महाराष्ट्र के नासिक के एक क़स्बे निफाड़ में हुआ था,ये चितपावन ब्राम्हण थे ,इनके पिता मंत्री पद में थे, इनकी प्रारंभिक शिक्षा एलफ़िन्स्टन कॉलेज में हुई इसके बाद उच्च शिक्षा बम्बई विश्विद्यालय से किया यहां से इन्होंने स्नातकोत्तर और एल. एल .बी .की शिक्षा अर्जित  रानाडे ने ब्रम्हसमाज से प्रेरित होकर  प्रार्थना समाज की स्थापना आत्माराम पांडुरंग के सहयोग से किया ,रानाडे ने सामाजिक सम्मेलन आंदोलन भी प्रारम्भ किया, साथ में इन्होंने पूना सार्वजनिक सभा नामक राजनैतिक संगठन बनाया।  इन्होंने बाल विवाह,विधवा मुंडन का विरोध किया ,शादी के अवसर पर की जाने वाली फ़िजूलख़र्च को ग़लत बताया , साथ में विधवा पुनर्विवाह और स्त्री शिक्षा पर जोर दिया।       :दक्षिण भारत में धर्म सुधार आंदोलन: यदि हम दक्षिण भारत और पश्चिमी भारत की तरफ नजर दौड़ातें हैं तो वहां पर भी उसी समय हिन्दू धर्म में आई कुरीतियों आडंबरों का विरोध सांगठनिक रूप से होता है,यदि पश्चिमी भारत के साथ दक्षिण भारत में मद्रास तक रुख़ करतें है तो वहां भी उसी समय समाज मे व्याप्त ब...