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Showing posts from July 6, 2021

बहज (डीग, राजस्थान) उत्खनन: वैदिक काल के भौतिक प्रमाणों की खोज और सरस्वती नदी से जुड़ी एक प्राचीन सभ्यता

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 राजस्थान के डीग जिले के बहज  गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा 10 जनवरी 2024 से लगभग 5 महीने तक खुदाई की गई। क्योंकि बताया गया था पौराणिक आख्यानों के अनुसार यहां श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के पुत्र वज्रनाथ ने पुनः एक व्रज नगरी बसाई थी और कई मंदिर और महल बनवाए थे। राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद् विजय गुप्ता के निर्देशन में खुदाई का कार्य किया गया। बहज नामक ये स्थल डीग कस्बे से पांच किलोमीटर दूर है और भरतपुर शहर से 37 किलोमीटर दूर वहीं मथुरा शहर से 23किलोमीटर दूर है। डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन के निष्कर्ष भारतीय पुरातत्व के लिए निश्चित रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, खासकर वैदिक काल के संदर्भ में।     डीग जिले के बहज गांव में हुए उत्खनन में 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिनमें एक महिला का कंकाल, चांदी और तांबे के सिक्के, हड्डी के औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके, शंख की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, 15 यज्ञ कुंड, ब्राह्मी लिपि की मोहरें और शिव-पार्वती की मूर्तियाँ...

Nandlal Bashu नंदलालबसु की जीवनी

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Nandlal Bashu नंदलालबसु की जीवनी   नंदलाल बसु की जीवनी (Biography of Nandlal Basu)     नन्दलाल बसु का जन्म 3 दिसंबर 1883 को हुआ था,इनके पिता का नाम पूर्णचंद्र बसु था जो बिहार खड़कपुर के स्थापत्य शिल्पकार थे, नंदलाल बसु की माता क्षेत्रमणि संपन्ना थीं,दुर्भाग्य से जब नंदलाल बसु सिर्फ़ आठ साल के थे तभी उनकी माता का निधन हो गया था,सोलह वर्ष की आयु में उन्होंने माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की वो जब इंटरमीडियट में थे और संस्कृत व्याकरण  विषय भी पढ़ते थे तब भी आड़ी तिरछी रेखाएं खींचा करते थे,इसके कारण वो फेल हो गए ,फेल होने पर उनको कॉमर्स विद्यालय में एड्मिसन मिला किंतु वो वहां भी फेल हो गए।    इसके बाद कलकत्ता आ गए,उन्होंने जनरल असेम्बली कॉलेज में एडमिसन लिया,किंतु वो कॉलेज के बंद जीवन से ऊब गए,उनकी शिक्षा के दौरान कला में रुझान जारी रहा वो अन्य विषय को उतना ध्यान लगाकर नहीं पढ़ सके क्योंकि वो अपने शिक्षण से बचे ज़्यादातर समय मे कला का ही अभ्यास करते रहते थे।30 वर्ष की आयु में इन्होंने "कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट्स" में प्रवेश लिया ,इस समय ई. वी. हैवेल आर्ट स्कूल के प्रिंसिपल थे...