डॉ. अमोद द्विवेदी की जीवनी: कानपुर के प्रसिद्ध यूरो सर्जन की संघर्षपूर्ण यात्रा
🩺 डॉ. अमोद द्विवेदी: कम उम्र में प्रतिष्ठा पाने वाले यूरो
सर्जन की जीवन-यात्रा
(एक चिकित्सक, एक सर्जन और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का नाम)
प्रस्तावना
किसी भी समाज में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं, जिनकी पहचान केवल उनकी डिग्रियों या पदों से नहीं होती, बल्कि उनके कर्म, समर्पण और जनता के विश्वास से होती है।
कानपुर जैसे औद्योगिक और घनी आबादी वाले शहर में यूरोलॉजी जैसे जटिल चिकित्सा क्षेत्र में पहचान बनाना आसान नहीं होता।
डॉ. अमोद द्विवेदी इसी श्रेणी के चिकित्सक हैं, जिन्होंने अपेक्षाकृत कम उम्र में ही यूरोलॉजिकल सर्जरी के क्षेत्र में स्थायित्व, विश्वास और लोकप्रियता अर्जित की।
आमोद द्विवेदी का जन्म कानपुर जिले के उपजिला घाटमपुर कस्बे में सन 1979 में हुआ था ।उनकी प्रारंभिक शिक्षा घाटमपुर के सरस्वती शिशु विद्यामंदिर में कक्षा पांच तक हुई जहां पर उन्होंने संस्कार निर्माण और देश सेवा की संकल्पना की , तत्पश्चात उन्होंने कक्षा आठ तक की शिक्षा घाटमपुर स्थित रामस्वरूप सुभाष स्मारक विद्या मंदिर से ली उन्होंने क्लास 9 से क्लास 10 वीं की पढ़ाई गांधी विद्या इंटर कॉलेज से की इसके पश्चात क्लास 11 और क्लास 12 की शिक्षा उन्होंने कानपुर के चाचा नेहरू इंटर कॉलेज से की। सन 1994 उनका सिलेक्शन सीपीएमटी प्रवेश परीक्षा में अच्छी रैंक आने पर कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज में हुआ ,इन्होंने पैरा ओर वन बैच में सन दो हजार एक में सफलता पूर्वक अपना MBBS क्लियर किया।तत्पश्चात उन्होंने करीब दो साल उत्तरकाशी के गंगोत्री में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी सेवा दी। इन्होंने मास्टर इन सर्जरी यानी MS की डिग्री चंडीगढ़ पीजीआई से प्राप्त किया ,बाद में एक वर्ष के लिए इन्होंने न्यूरोलॉजी में एम्स में रजिस्ट्रार के रूप में कार्य किया बाद में एक वर्ष चरक पालिका अस्पताल में सर्जन के रूप में सेवा दी ।उसके बाद सैफई के मेडिकल कॉलेज में सर्जन रहे । इसके बाद उन्होंने यूरोलॉजी विभाग लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज से MCH ( यूरोलॉजी ) किया ,यूरोलॉजी में सिद्ध हस्त,दक्षता प्राप्त की पटियाला के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में तीन साल सेवा देकर इसके अलावा आगरा के पुष्पांजलि हॉपिटल में यूरो सर्जरी विभाग में सर्जरी की। बाद में इन्होंने सन 2012 में अपना स्वयं का एक हॉस्पिटल काकादेव नमक फैक्ट्री चौराहा के पास स्थापित किया और आज कानपुर से बेस्ट यूरोसर्जन में गिने जाते हैं।
बचपन और प्रारंभिक जीवन: एक सामान्य परिवेश, असाधारण लक्ष्य
डॉ. अमोद द्विवेदी का बचपन उत्तर भारत के उस सामाजिक वातावरण में बीता,
शिक्षा को सम्मान मिलता था
डॉक्टर को आज भी “वैद्य” और “जीवनरक्षक” माना जाता था
और विज्ञान को सेवा का माध्यम समझा जाता था
1970–80 के दशक का समय वह था, जब:
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश अत्यंत कठिन था
संसाधन सीमित थे
लेकिन परिश्रम और अनुशासन का मूल्य सबसे अधिक था
ऐसे वातावरण में पले-बढ़े बालक अमोद के भीतर
✔️ पढ़ाई के प्रति गंभीरता
✔️ विज्ञान के प्रति जिज्ञासा
✔️ और मानव शरीर को समझने की रुचि
धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी।
यह कहना अनुचित नहीं होगा कि उनका बचपन साधारण था, लेकिन सपने असाधारण थे।
छात्र जीवन और चिकित्सा शिक्षा
डॉ. अमोद द्विवेदी ने चिकित्सा शिक्षा का मार्ग चुना — जो स्वयं में एक लंबा, कठिन और त्यागपूर्ण मार्ग है।
MBBS:
उन्होंने GSVM मेडिकल कॉलेज, कानपुर से MBBS की पढ़ाई पूरी की।
यह वही संस्थान है जिसने उत्तर भारत को अनेक उत्कृष्ट चिकित्सक दिए हैं।MBBS के दौरान जब कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला तो वह उनके जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ ,MBBS के दौरान कठोर अध्ययन जारी रखा हर विषय के गहराई तक जाकर हर कांसेप्ट को क्लियर किया, वार्ड ड्यूटी के दौरान मरीज के दर्द और उनकी समस्याओं से रूबरू हुए,पांच छै वर्ष के लंबे हॉस्टल जीवन में इनके कई मित्र बने और कई सीनियर्स और प्रोफेसर से बृहद जानकारी प्राप्त किया
यहीं से एक डॉक्टर के भीतर संवेदना और तकनीक का संतुलन विकसित होता है।
जनरल सर्जरी से यूरोलॉजी तक का सफर
MBBS के बाद उन्होंने MS (General Surgery) की पढ़ाई PGIMER, चंडीगढ़ जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से की,उस समय इस संस्थान में प्रवेश पाने वाले आमोद द्विवेदी उत्तरप्रदेश से इकलौते व्यक्ति थे । इस समय इन्होंने सर्जरी के प्रति विशेष रुचि जागृत की ,लगातार कई कई दिनों तक जागकर जटिल ऑपरेशन को जाना और उसके प्रबंधन क्षमता को विकसित किया सर्जरी के दौरान क्विक डिसीजन मेकिंग को डेवलप किया।
लेकिन यहीं यात्रा समाप्त नहीं हुई।
यूरोलॉजी का चयन: एक कठिन लेकिन निर्णायक फैसला
डॉ. अमोद द्विवेदी ने आगे चलकर M.Ch (Urology) — जो चिकित्सा की सबसे कठिन सुपर-स्पेशियलिटी डिग्रियों में से एक है —
KGMU, लखनऊ से प्राप्त की। KGMU में इन्होंने विशेषरूप से मूत्र रोगों के जटिल उपचार और सर्जरी का ज्ञान तत्कालीन यूरोलॉजी डिपार्मेंट के विभागाध्यक्ष डॉक्टर वी एस शंखवार से प्राप्त किया। इस दौरान डॉक्टर आमोद ने यूरोलॉजी के जटिल रोगों से निपटने की कुशलता अर्जित की और आधुनिक यूरोलॉजी में अपनाए जाने वाली चिकित्सा विधियों को जाना।
पेशेवर जीवन: अनुभव, तकनीक और विश्वास
आज डॉ. अमोद द्विवेदी को
✔️ 18–23 वर्षों का अनुभव
✔️ एंडो-यूरोलॉजी, लैप्रोस्कोपिक सर्जरी
✔️ किडनी स्टोन, प्रोस्टेट, यूरो-ऑन्कोलॉजी
में विशेषज्ञ माना जाता है।
साथ ही कानपुर में यूरोथोप्लास्टी जैसे विधा में पारंगत सर्जन हैं
उनका Dr. Amod Uro-Gynae Hospital (काकादेव, कानपुर)
आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं और व्यवस्थित उपचार पद्धति के लिए जाना जाता है। इनके हॉस्पिटल में बीस बिस्तर का जनरल वार्ड दो डीलक्स रूम और दो प्राइवेट रूम हैं। इस यूरोकॉन हॉस्पिटल में डायलिसिस की भी सुविधा है किडनी में गंभीर संक्रमण या दोनों गुर्दे काम नहीं करने पर मरीज को कुछ समय तक डायलिसिस में रखना पड़ता है। डॉक्टर आमोद द्विवेदी के हॉस्पिटल में सिर्फ पुरुषों ने मूत्र रोगों की चिकित्सा नहीं होती बल्कि महिलाओं में आई कोई भी मूत्र संबंधी समस्या या बच्चों में कोई मूत्र संबंधी समस्या का सफल निदान होता है।
दो मॉड्यूलर OT एक ICU और एक NICU है। इस अस्पताल में यूरोलॉजी के अलावा गायनी डिपार्टमेंट भी है ,प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद जच्चा बच्चा की देखभाल एक्सपर्ट डॉक्टर डॉक्टर अंजली द्वारा की जाती है ,बच्चोंके जन्म के बाद क्रिटिकल ट्रीटमेंट के लिए NICU है।
कम उम्र में प्रसिद्धि का कारण
डॉ. अमोद द्विवेदी की लोकप्रियता का कारण केवल डिग्रियाँ नहीं हैं:
मरीज को समझाना और भरोसा देना
अनावश्यक सर्जरी से बचाव
आधुनिक तकनीक का संतुलित प्रयोग
इलाज के बाद फॉलो-अप
यही गुण उन्हें जनमानस में सम्मानित चिकित्सक बनाते हैं।
राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर पर सहभागिता
डॉ. अमोद द्विवेदी ने
USICON,
Asian Congress of Urology,
Olympus International Fellowship
जैसे मंचों पर भागीदारी की।
यह उनकी निरंतर सीखने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।
समाज के प्रति दृष्टिकोण
यूरोलॉजी जैसे क्षेत्र में काम करते हुए:
झिझक
सामाजिक वर्जनाएँ
और डर
अक्सर मरीजों को देर से डॉक्टर तक पहुँचने से रोकते हैं।
डॉ. अमोद द्विवेदी ने अपने व्यवहार और परामर्श से
इन बाधाओं को कम करने का प्रयास किया।
निष्कर्ष
डॉ. अमोद द्विवेदी की जीवन-यात्रा यह सिद्ध करती है कि
प्रतिभा, परिश्रम और निरंतर सीखने की इच्छा
किसी भी व्यक्ति को समाज में सम्मान दिला सकती है।
वह केवल एक यूरो सर्जन नहीं,
बल्कि आधुनिक चिकित्सा और मानवीय दृष्टिकोण का संतुलन हैं।
✍️ लेखक की टिप्पणी
आज जब चिकित्सा भी बाज़ार बनती जा रही है,
ऐसे डॉक्टरों की पहचान ज़रूरी है
जो ज्ञान को व्यवसाय नहीं, सेवा मानते है।
डॉ. आमोद द्विवेदी अपनी विशेषज्ञता और आधुनिक तकनीक के उपयोग के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में जाने जाते हैं। उन्होंने यूरोकैन हॉस्पिटल में कई ऐसी जटिल सर्जरी की हैं जो पहले केवल दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही संभव थीं।
उनके द्वारा किए जाने वाले कुछ विशेष और बड़े ऑपरेशन्स निम्नलिखित हैं:
1. लेजर प्रोस्टेट सर्जरी (HOLEP - Holmium Laser Enucleation of Prostate)
यह उनकी सबसे बड़ी विशेषज्ञता मानी जाती है। अधिक उम्र के व्यक्तियों (जैसे 70-80 वर्ष) में जब प्रोस्टेट बहुत बढ़ जाता है, तो वे बिना किसी बड़े चीरे के 'होलमियम लेजर' तकनीक से उसका सफल ऑपरेशन करते हैं। इसमें खून बहुत कम निकलता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
2. किडनी स्टोन की जटिल सर्जरी (RIRS और PCNL)
* RIRS (Retrograde Intrarenal Surgery): इसमें बिना किसी चीरे के, पेशाब के रास्ते से लेजर द्वारा गुर्दे की पथरी को धूल बना दिया जाता है।
* Mini-PCNL: पीठ के पीछे एक बहुत छोटा छेद करके गुर्दे की बड़ी से बड़ी पथरी को बाहर निकालना।
3. मूत्र मार्ग की कैंसर सर्जरी (Uro-Oncology)
डॉ. आमोद किडनी, मूत्राशय (Bladder) और प्रोस्टेट के कैंसर की सर्जरी में भी माहिर हैं। उन्होंने कई मरीजों के मूत्राशय के कैंसर की सफल सर्जरी कर उन्हें नई जिंदगी दी है।
4. मूत्रमार्ग की रुकावट (Stricture Urethra) का पुनर्निर्माण
यह एक बहुत ही जटिल सर्जरी होती है जिसे Urethroplasty कहते हैं। डॉ. आमोद उन गिने-चुने सर्जनों में से हैं जो इस तरह के पेचीदा मामलों को सफलतापूर्वक सुलझाते हैं।


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