शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ

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  – शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ   प्रश्न : क्या ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा से किसी स्टॉक में इंट्राडे खरीदारी का सटीक संकेत उसी दिन सुबह या एक दिन पहले मिल सकता है? उत्तर है : हाँ, लेकिन कुछ शर्तों और विश्लेषण के साथ। 🔍 OI से इंट्राडे में संकेत कैसे मिलते हैं? ओपन इंटरेस्ट का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग में सपोर्ट-रेजिस्टेंस, ब्रेकआउट, और ट्रेडर सेंटिमेंट को पकड़ने के लिए किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 📈 1. OI और प्राइस मूवमेंट का संयोजन Price OI Interpretation भाव बढ़े बढ़े नया पैसा आ रहा है, ट्रेंड मजबूत Bullish संकेत घटे बढ़े शॉर्ट बिल्ड-अप हो रहा है Bearish संकेत बढ़े घटे शॉर्ट कवरिंग हो रही है Bullish लेकिन अल्पकालिक घटे घटे लॉन्ग अनवाइंडिंग हो रही है Bearish लेकिन अल्पकालिक उदाहरण: अगर किसी स्टॉक में प्री-मार्केट या पहले 15 मिनट में तेजी है और साथ में OI बढ़ रहा है , तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर नई लॉन्ग पोजिशन बना रहे हैं – इंट्राडे बाय का संकेत। ⏰ 2. OI का डे...

Raghav Kanheriya Moortikaar। राघव कनेरिया मूर्तिकार की जीवनी हिंदी में

 Raghav Kanheriya moortikar ki jivni----

राघव कनहेरिया मूर्तिकार की जीवनी हिंदी में---

राघव कनहेरिया  ( Raghav Kanheriya  )      का जन्म  19 मार्च 1936 में गुजरात के राजकोट जिला के सुदूर गांव अनिडा में हुआ था । वह 1960 के दशक की शुरुआत में एक   प्रयोगवादी मूर्तिकार के रूप में उभरे।

Raghav Kanheriya Moortikar

इन्होंने एम एस यूनिवर्सिटी बड़ौदा से कला का डिप्लोमा प्राप्त किया ,यहां पर इन्होंने प्रोफेसर शंखों चौधरी से कला की बारीकियों को समझा।उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए राघव कनहेरिया लंदन की ओर रूख किया वहां रॉयल कॉलेज लंदन  से  एम. ए. आर्ट से परास्नातक किया।

राघव कनहेरिया प्रारंभ से प्रयोगवादी मूर्तिकार थे ,वह मिट्टी के बर्तनों में चित्र बनाये,मिट्टी के बने मटकों के टुकड़ों को जोड़कर कई  अमूर्त संरचनाएं बनाईं।

  उन्होंने ढली हुई धातुओं के माध्यम से जुड़ाई द्वारा मशीन के बेकार पुर्जों का उपयोग करके आश्चर्यजनक शिल्प बनाये।
   
राघव कनहेरिया के प्रारंभिक मूर्तियों में हमे हेनरी मूर मूर्तिकार मारिनो मारिनी  मूर्तिकार का प्रभाव दिखता है।

1960 के दशक में वह मुम्बई एक स्क्रैप व्यवसायी वीरेंद्र शाह के स्टील फैक्ट्री में काम के लिए आमंत्रण मिला,यहां पर इन्होंने स्क्रैप के टुकड़ों के विभिन्न आकारों को जोड़कर वैल्डिंग करके कई संरचनाएं बनाईं ,जैसे कैक्टस ,पुरोहित आदि।
धीरे धीरे उनकी मूर्ति संरचनाओं में विकास हुआ 2014 से 2016 तक जो मूर्ति  संरचनाएं  बनाईं  वो पोलिश की हुई थीं।
 तीसरे चरण में उन्होंने स्टेनलेस स्टील की संरचनाएं बनाई जो बैल की थीं जिसको इन्होंने नंदी नाम दिया।
राघव कनहेरिया की प्रसिद्ध मूर्ति संरचनाएं--
■ कलोल करता बछड़ा

सुंदर सांड (टेराकोटा)

राजसी मुर्गा

■द बुल(कांस्य)

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