जगदीश स्वामीनाथन Jagdeesh Swaminathan Artist ki Jivni
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जगदीश स्वमीनाथन Jagdeesh Swaminathan Artist ki Jivni
जगदीश स्वामीनाथ( Jagdeesh Swaminathan ) भारतीय चित्रकला क्षेत्र के वो सितारे थे जिन्होंने अपनी एक अलग फक्कड़ जिंदगी व्यतीत किया ,उन्होंने अपने बहुआयामी व्यक्तित्व में जासूसी उपन्यास भी लिखे तो सिनेमा के टिकट भी बेचें।उन्होंने कभी भी अपनी सुख सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया ।
जगदीश स्वामीनाथन का बचपन -(Childhood of Jagdish Swminathan)
जगदीश स्वामीनाथन का जन्म 21 जून 1928 को शिमला के एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ।इनके पिता एन. वी. जगदीश अय्यर एक परिश्रमी कृषक थे एवं उनकी माता जमींदार घराने की थी और तमिलनाडु से ताल्लुक रखते थे। जगदीश स्वामीनाथन उनका प्रारंभिक जीवन शिमला में व्यतीत हुआ था ।शिमला में ही प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की यहां पर इनके बचपन के मित्र निर्मल वर्मा और रामकुमार भी थे।
जगदीश स्वामीनाथन बचपन से बहुत जिद्दी स्वभाव के थे,उनकी चित्रकला में रुचि बचपन से थी पर अपनी जिद्द के कारण उन्होंने कला विद्यालय में प्रवेश नहीं लिया।
उन्होंने हाईस्कूल पास करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की PMT परीक्षा (प्री मेडिकल टेस्ट) में प्रवेश लिया वहां उनका ज़्यादा मन नहीं लगा इसके कारण वह मेडिकल की वार्षिक परीक्षा फेल हो गए,अब स्वामीनाथन फेल होने के कारण हीन भावना के शिकार हो गए,अब वह कलकत्ता भाग कर आये यहाँ पर अपनी आजीविका के लिए ब्लैक में सिनेमा टिकट बेचने लगे इस समय वह फुटपाथ पर सोते थे और बचे समय मे फुटपाथ में ही अंडरवियर बेचते थे। यहीं पर इन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी को जॉइन किया ,वह ट्रेड यूनियन के लोंगों के बीच रहते थे इनकी बैठकें बुलाते थे ,मजदूरों को संगठित करते थे ,और मजदूरों को संबोधित भी करते थे।
जगदीश स्वामीनाथन की शिक्षा--
(Jagdish Swaminathan Education)
अब Jagdish Swaminathan जी ने राजनीति के भँवर जाल से खुद को अलग कर लिया,उन्होंने दिल्ली में करोल बाग में रहते हुए दैनिक हिन्दोस्तान और सरिता में बच्चों की कहानियों को लिखना शुरू किया।उन्होंने जासूसी उपन्यास भी लिखा।वह अंग्रेजी के भी अच्छे जानकार थे साथ मे अंग्रेजी भाषा साहित्य के दक्ष लेखक थे।
दिल्ली में रहते हुए स्वामीनाथन ने दिल्ली पॉलीटेकनिक में शाम के कला की कक्षाएं जॉइन किया उन्होंने यहां पर शैलोज़ मुखर्जी और भावेश शन्द्र सान्याल के अधीन रहकर कला का प्रशिक्षण प्राप्त किया पर जब उनको दिन और रात दोनों कार्यों पत्रकारिता और कला शिक्षण में व्यस्त होने के कारण तनाव होने लगा तो कला शिक्षा को छोड़ दिया
और 1957 में एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट वारसा से कला शिक्षा ग्रहण करने के लिए आर्ट्स वारसा (पोलैंड) को प्रस्थान किया।
वारसा से लौटने के बाद अपनी पहली कला प्रदर्शनी आयोजित की।
1960 में जगदीश स्वामीनाथन पत्रकारिता को पूरी तरह त्यागकर फुल टाइम कला में रूझान किया।
जगदीश स्वामीनाथन ने भावनगर गुजरात मे 1962 स्थापित ग्रुप 1890 में 12 संस्थापक सदस्यों में एक थे।इस ग्रुप में अन्य सदस्यों में गुलाम मुहम्मद शेख़ ,ज्योतिभट्ट और एरिक बोवेन थे।
जगदीश स्वामीनाथन ने जनजातियों गोंड और भील के बीच प्रचलित देशी कला के उन्नयन के लिए भरपूर प्रयास किया ,उन्होंने इन जनजातियों के बीच लोक कला के दक्ष कलाकारों को कला के विकास में सहयोग दिया ,भारत कला भवन भोपाल में उनको प्रशिक्षण भी दिया ,इनमें से एक कलाकार जनजातियों के बीच से उठकर अपना नाम बुलंदियों तक पहुंचाया ,इस गोंड जनजाति के आर्टिस्ट का नाम था जनगढ़ सिंह श्याम ,इस आर्टिस्ट के प्रारंभिक कला की शुरुआत जनजातियों के मिट्टी के घरों के दीवारों पर लोक शैली में चित्र बनाकर की थी। बाद में जनगढ़ सिंह श्याम आर्टिस्ट ने अपनी कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी और उनकी कला की प्रदर्शनियां जापान ,यूनाइटेड किंगडम ,और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में प्रदर्शित हुईं।
जगदीश स्वामीनाथन ने सन 1982 में बहुआयामी कला भवन जिसका नाम भारत भवन रखा गया इसकी स्थापना भोपाल शहर में करवाने में योगदान दिया। इस भवन में उन्होंने ट्राइबल आर्ट संबंधी मियुजियम भी स्थापित करवाने में योगदान दिया।
पुरस्कार --
निष्कर्ष--
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