धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

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  Dheerendra Krishna Shastri का नाम  सन 2023 में तब भारत मे और पूरे विश्व मे विख्यात हुआ जब  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के द्वारा नागपुर में कथावाचन का कार्यक्रम हो रहा था इस दौरान महाराष्ट्र की एक संस्था अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति के श्याम मानव उनके द्वारा किये जाने वाले चमत्कारों को अंधविश्वास बताया और उनके कार्यो को समाज मे अंधविश्वास बढ़ाने का आरोप लगाया। लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को बागेश्वर धाम सरकार के नाम से भी संबोधित करते हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चमत्कारी शक्तियों के कारण लोंगो के बीच ये बात प्रचलित है कि बाबा धीरेंद्र शास्त्री हनुमान जी के अवतार हैं। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन (Childhood of Dhirendra Shastri)  धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म मध्यप्रदेश के जिले छतरपुर के ग्राम गढ़ा में 4 जुलाई 1996 में हिन्दु  सरयूपारीण ब्राम्हण परिवार  में हुआ था , इनका गोत्र गर्ग है और ये सरयूपारीण ब्राम्हण है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिता का नाम रामकृपाल गर्ग है व माता का नाम सरोज गर्ग है जो एक गृहणी है।धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक छोटा भाई भी है व एक छोटी बहन भी है।छोटे भाई का न

जितिश कल्लट (Jitish Kallat )आर्टिस्ट की जीवनी

जितिश कल्लट (Jitish Kallat

आर्टिस्ट की जीवनी:-

 जितिश कल्लट  (Jitish Kallat)

   का जन्म 14 जुलाई1974 में मुम्बई में हुआ था। आज भी यह मुम्बई में ही रहते है और आज Jitish Kallat 47 साल के हो चुके हैं ।

यह पेंटिंग ,फोटोग्राफी,मूर्तिकला,कोलाज,इंस्टालेशन,मल्टी मीडिया में काम किया है,2014 के कोच्चि  मुजरिश बिनाले के दूसरे संस्करण के कलात्मक निदेशक थे।

  वह इण्डिया फाउंडेशन फ़ॉर द आर्ट न्यासी बोर्ड के सदस्य भी हैं। इन्होंने एक कलाकार और आर्टिस्ट रीना सैनी  कल्लट से विवाह किया है।

जितिश कल्लट (Jitish Kallat )आर्टिस्ट की जीवनी
[जितिश कल्लट आर्टिस्ट]

शिक्षा और चित्रण कार्य--

      Jitish Kallat  जितिष कल्लत ने 1996 में जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट से  फाइन आर्ट की डिग्री प्राप्त की।BFA करने के बाद जितिश कल्लट ने पी. टी. ओ. शीर्षक से केमोल्ड प्रेसकार्ड रोड में पहली एकल प्रदर्शनी लगाई थी।

 इनके  प्रारंभिक चित्रों में,जीवन चक्र,मृत्यु,जन्म, आकाशीय,पारिवारिक वंश,के  विषयों में कला कृतियां  दिखाई देतीं हैं । 

    बाद में उनके चित्रों का केंद्रीय विषय शहर की छवि हो गई। इनके चित्रों में पॉप चित्रकार भूपेन खक्कर तथा ज्योतिभट्ट की कला शैली के दर्शन हो जाते हैं तो आधुनिकता वादी चित्रकार गुलाम मुहम्मद शेख और अतुल डोडिया के चित्र शैली के भी गुण दिख जाते हैं।

 इनके चित्रों को आप देखते हैं तो लगता है कि  जैसे उनके कैनवास को कुछ देर के लिए बरसात के फुहारों के बीच इन्हें छोड़ा गया है। 

   तो कुछ भाग को सूरज की चमकती रोशनी में छोड़ दिया गया है।

  उनके चित्रों में संस्कृति का ह्रास,इतिहास का विनाश और चित्रों में विकृति सी दिखाई देती है।

 कल्लट हमेशा मुम्बई के समुद्र तटों के आसपास की छवियों को बखूबी उकेरा है इन चित्रों में  दिखने वाली सहजता और हस्तशिल्प सौंदर्य दिखाई पड़ता है।

    कल्लट के काम के भीतर दिखने वाले विषय मे व्यक्ति तथा जनता के बीच संबंधों की बात करता है जिसमे उनके निजी अनुभव तो दिखाई ही देते हैं साथ मे जनता के बीच के व्यक्तियों के सामूहिक अनुभव भी दिखते हैं।

 कल्लट का काम भाऊ दाजी म्यूजियम में "फील्ड नोट्स" प्रशंसनीय है। इसके लिए उन्हें "स्कोडा प्राइज " के लिए मुम्बई के इयान पाताज़ म्यूजियम में चुना गया कल्लट को विभिन्न प्रकार के  मीडिया के साथ काम करने के लिए जाना जाता है इसमें मूर्तिकला ,कोलाज ,फोटोग्राफी और इंस्टालेशन को भी शामिल किया जाता है। 

     वह  कला में ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो यूरोपीय और एशियाई दोनो कलात्मक संदर्भों को दर्शाता है  यही उनकी लोकप्रिय विज्ञापन कल्पना है जो शहरी उपभोक्तावाद को दर्शाता है।

इनकी प्रमुख चित्र प्रदर्शनियां---

Tomarrow  was here yesterday(2011)

इंफाईनीट एपिसोड (2016)

इन्होंने अपनी कई कलाकृतियों में कृत्रिम बोन का प्रयोग किया है

 उन्होंने मुम्बई जैसे मेगा सिटी में रहने वाले मजदूरों के दीन हीन दशा और उनके संघर्ष को अपने आर्ट में विषय बनाया है।

     उन्होंने सेकंड क्लास के भीड़ भरे कपार्ट मेंट में लोगों के आपसी सौहार्द और धक्कामुक्की ,मजदूरों के पलायन को विषय बनाया है।

 इनके प्रसिद्ध चित्र श्रृंखला में  पब्लिक नोटिस फर्स्ट में  14 अगस्त 1947 को अर्ध रात्रि में स्वतंत्रता के अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया भाषण "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" पर चित्र बनाया।

     इसी तरह 'पब्लिक नोटिस  two 'में उन्होंने 4479 फाईबर ग्लास से बनी हड्डियों का इंस्टालेशन बनाया,और इस इंस्टालेशन के पृष्ठभूमि को पीले रंग से बनाया गया ,जिसमें महात्मा गाँधी द्वारा 11 मार्च 1930 को दांडी मार्च को प्रदर्शित किया,और इस का शीर्षक रखा बोन एंड साल्ट-जितिश कल्लट पब्लिक नोटिस।

     इसी तरह उन्होंने पब्लिक नोटिस थ्री को  अमेरिका के धरती पर शिकागो के आर्ट इंस्टिट्यूट पर इंस्टालेशन लगाया था ,जिसमें विषय था शिकागो में स्वामी विवेकानंद द्वारा 1893 में पहले विश्व धार्मिक सम्मेलन में दिया गया भाषण तथा 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में आतंकवादी हमला।उन्होंने बहुत ही चतुराई से प्रदर्शित किया कि कैसे एक देश ने अमेरिका में शांति संदेश दिया और दूसरे ने आतंकी हमला किया।

निष्कर्ष--

इस प्रकार जितिष कल्लत ने रोचक समसामयिक विषयों का आधार बनाया,साथ मे नगरों की संस्कृति का विद्रुपित रूप , तथा इतिहास के बीते पन्नों के क्षणों को भी अपने इंस्टालेशन और वीडियोग्राफी से प्रदर्शित किया,उनकी अपनी एक अलग विशेष शैली से भारत और विश्व के कलाकारों में उनकी अलग पहचान है।

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