अतुल डोडिया: भारतीय समकालीन कला का एक चमकता सितारा

अमृता शेरगिल भारतीय कला जगत की एक ऐसी अनमोल रत्न थीं, जिन्होंने अपनी अनूठी चित्रकला शैली से न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाई। वे भारत की पहली आधुनिक महिला चित्रकारों में से एक मानी जाती हैं। उनके चित्रों में भारतीय संस्कृति, समाज और स्त्री जीवन का यथार्थवादी चित्रण मिलता है। इस लेख में हम उनके जीवन, कला, प्रमुख चित्रों और उनके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अमृता शेरगिल का जन्म 30 जनवरी 1913 को हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुआ था। उनके पिता उमराव सिंह शेरगिल एक सिख कुलीन परिवार से थे और संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे, जबकि उनकी माँ मेरी एंटोनेट गोट्से हंगरी की एक प्रसिद्ध ओपेरा गायिका थीं। अमृता का बचपन यूरोप और भारत के बीच बीता, जिससे उनकी कला पर भारतीय और पश्चिमी प्रभाव दोनों पड़े। अमृता जब आठ साल की थीं यानी सन् 1921में भारत आई और 1929तक शिमला में रहीं और उस समय उन्होंने शिमला के प्राकृतिक वातावरण चित्र बनाए।1929में फिर से वह पेरिस (फ्रांस) चली गईं।यूरोप में रहने के दौरान उनकी कला में यूरोप के प्रसिद्ध आर्टिस्ट पिकासो,ब्रॉक, मातिस और गोंगा के ताहिती चित्रों का प्रभाव पड़ा।1934में वह भारत लौट आई
अमृता ने अपनी कला की प्रारंभिक शिक्षा इटली और हंगरी में प्राप्त की। जब वे आठ साल की थीं, तब उनका परिवार भारत आ गया और वे शिमला में बस गए। यहीं पर उन्होंने पहली बार पेंटिंग करना शुरू किया। उनकी प्रतिभा को देखकर परिवार ने उन्हें पेरिस भेजने का निर्णय लिया।
1929 में, अमृता शेरगिल पेरिस के प्रतिष्ठित École des Beaux-Arts में दाखिला लिया, जहाँ उन्होंने यूरोपीय कला की बारीकियाँ सीखीं। पेरिस में रहते हुए उन्होंने कई क्लासिकल यूरोपीय चित्रकारों के कार्यों का अध्ययन किया। उनके शुरुआती चित्रों में पॉल गोगैं और रेम्ब्रांट का प्रभाव देखा जा सकता है।
अमृता शेरगिल की कला में भारतीय और यूरोपीय शैली का अद्भुत समावेश देखने को मिलता है। अमृता शेरगिल के मन में भारतीय जनजीवन का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा,उन्होंने आम आदमी के दर्द को चित्रों में उकेरा।आप कहा करतीं थीं"कला का संबंध आत्मा से होता है"।
उनके चित्रों में निम्नलिखित विशेषताएँ दिखाई देती हैं—
1934 में अमृता शेरगिल भारत वापस लौटीं और यहाँ की पारंपरिक कला से प्रभावित हुईं। वे विशेष रूप से अजन्ता, एलोरा की गुफाओं और मुगल व राजस्थानी चित्रकला से प्रेरित हुईं। भारत लौटने के बाद उनके चित्रों में नाटकीय परिवर्तन आया और उन्होंने भारतीय विषयों को केंद्र में रखा।
उनकी कुछ प्रसिद्ध पेंटिंग्स इस प्रकार हैं—
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थ्री गर्ल्स |
अमृता शेरगिल की चित्रकला ने आधुनिक भारतीय कला को एक नई दिशा दी। उनके योगदान को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है—
अमृता शेरगिल का निधन मात्र 28 वर्ष की आयु में 5 दिसंबर 1941 को लाहौर में हो गया। उनकी मृत्यु का कारण आज भी रहस्य बना हुआ है। हालांकि, कम उम्र में ही उन्होंने जो कला संसार को दिया, वह अतुलनीय है।
उनकी कला और योगदान को भारत सरकार ने सम्मानित किया और उनकी पेंटिंग्स को राष्ट्रीय खजाने का दर्जा दिया गया। 1976 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में एक डाक टिकट भी जारी किया।
अमृता शेरगिल भारतीय कला की एक अमर विभूति थीं, जिन्होंने अपनी अनूठी शैली से भारतीय चित्रकला को वैश्विक मंच पर स्थान दिलाया। उनकी पेंटिंग्स आज भी भारतीय संस्कृति और समाज का जीवंत दस्तावेज मानी जाती हैं। उनकी कला, उनकी सोच और उनका योगदान हमेशा कला प्रेमियों को प्रेरित करता रहेगा।
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