GST रिटर्न फाइल कैसे करें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड (2025)

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GST रिटर्न फाइल कैसे करें? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड (2025) (GST Return Kaise Bhare - पूरी जानकारी हिंदी में) टैग्स: #GSTReturn #GSTFileKaiseKare #BusinessTax #GSTIndia अगर आप एक बिजनेस ओनर हैं और GST (Goods and Services Tax) Return फाइल करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए है। सही समय पर GST रिटर्न फाइल करना जरूरी है, ताकि आपको लेट फीस और पेनल्टी न भरनी पड़े। इस आर्टिकल में हम GST रिटर्न भरने की पूरी प्रक्रिया (GST Return Filing Process in Hindi) समझाएंगे। GST Return फाइल करने की प्रक्रिया (Step-by-Step Guide) 1. GST पोर्टल पर लॉगिन करें सबसे पहले GST Portal पर जाएं। अपना GSTIN (GST Identification Number) और पासवर्ड डालकर Login करें। कैप्चा दर्ज करके आगे बढ़ें। 2. रिटर्न सेक्शन में जाएं डैशबोर्ड में "Services" → "Returns" → "Returns Dashboard" पर क्लिक करें। जिस महीने या साल की रिटर्न भरनी है, वह चुनें। 3. सही GST फॉर्म चुनें आपके बिजनेस टाइप के आधार पर सही फॉर्म चुनें: GST रिटर्न फॉर्म किसके लिए है? फाइलिंग की अवधि GSTR-1...

कृष्णा जी हवलाजी आरा आर्टिस्ट की जीवनी। KH ARA artist biography

 कृष्णा जी हवलाजी आरा (16 अप्रैल 1914 – 30 जून 1985) भारतीय चित्रकला के क्षेत्र में एक प्रमुख कलाकार थे, जिन्हें आधुनिक भारतीय कला में महिला नग्न चित्रण के पहले समकालीन चित्रकार के रूप में जाना जाता है। वह बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के सदस्य थे और मुंबई में आर्टिस्ट्स सेंटर के संस्थापक थे। 


प्रारंभिक जीवन:

आरा का जन्म 16 अप्रैल 1914 को बोलारम, सिकंदराबाद में हुआ था। उनकी माता का निधन तब हुआ जब वे केवल तीन वर्ष के थे, और उनके पिता ने पुनर्विवाह किया। सात वर्ष की आयु में, आरा घर से भागकर मुंबई आ गए, जहां उन्होंने कार साफ करने का काम किया और बाद में एक अंग्रेज परिवार के साथ घरेलू सहायक के रूप में कार्य किया। जब अंग्रेज दंपत्ति इंग्लैड चला गया तो आरा दूसरे घर में नौकर बन गए ,वह घर का काम करने के बाद सुबह शाम चित्रकारी करते थे ,उनका चित्रण में लगाव देखकर  नए मालिक ने उन्हें गिरगांव के केतकर इंस्टीट्यूट भेज दिया ,इसी इंस्टीट्यूट में आरा ने इंटरमीडिएट ड्राइंग ग्रेड की परीक्षा पास की।

कलात्मक यात्रा:

मुंबई में रहते हुए, आरा की कला के प्रति रुचि बढ़ी। उन्होंने स्व-प्रशिक्षित कलाकार के रूप में अपनी कला यात्रा शुरू की और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। उनकी कलाकृतियाँ सरलता, सादगी और मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक थीं, जो आम जनता के जीवन को प्रतिबिंबित करती थीं। उनकी चित्र रचना में अमूर्त चित्र प्रतीकवादी चित्र से लेकर दृश्य चित्र आम जनजीवन के चित्र ,पौराणिक चित्र ,ऐतिहासिक चित्र भी सम्मिलित हैं।

  उनकी चित्रकारी में महिला नग्न चित्रण विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो उस समय के भारतीय समाज में एक साहसिक कदम माना जाता था। उन्होंने ज्यामितीय आकारों को प्रतीकों के रूप में चुनकर अमूर्त चित्रण भी किया है।

आजीवन कुंवारे रहकर कला के प्रति समर्पण रखा वह पिकासो और  हेनरी मातिस की कला से प्रभावित रहे।

बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप:

1947 में, आरा ने एफ. एन. सूज़ा, एस. एच. रज़ा, एम. एफ. हुसैन और अन्य प्रमुख कलाकारों के साथ मिलकर बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप की स्थापना की। इस समूह का उद्देश्य भारतीय कला को औपनिवेशिक प्रभावों से मुक्त करना और आधुनिकता की ओर अग्रसर करना था। आरा की कला में भारतीय परंपराओं और आधुनिक तकनीकों का समन्वय देखा जा सकता है, जो समूह के उद्देश्यों के अनुरूप था।

आर्टिस्ट्स सेंटर:

आरा ने मुंबई में आर्टिस्ट्स सेंटर की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो उभरते हुए कलाकारों के लिए एक मंच प्रदान करता था। यह केंद्र कलाकारों को अपनी कलाकृतियाँ प्रदर्शित करने और कला के क्षेत्र में संवाद स्थापित करने का अवसर देता था। आरा की इस पहल ने भारतीय कला समुदाय को समृद्ध किया और नए प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया।

कलात्मक शैली और योगदान:

आरा की कलात्मक शैली में सादगी, स्पष्टता और मानवीय भावनाओं का गहरा प्रतिबिंब था। उनकी रचनाएँ आम जनता के जीवन, उनकी कठिनाइयों और संघर्षों को चित्रित करती थीं। महिला नग्न चित्रण में उनकी विशेषज्ञता ने भारतीय कला में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो उस समय के सामाजिक मानदंडों को चुनौती देता था। उनकी कलाकृतियाँ भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और आज भी कला प्रेमियों और विद्वानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

पुरस्कार: 1944 में जल रंग से बने चित्र मराठा बैटल में उन्हें गवर्नर का पुरस्कार मिला,1952में जहांगीर आर्ट गैलरी  के उद्घाटन के अवसर पर आरा को प्रदर्शनी लगाने का अवसर मिला इस दरमियान उनकी प्रदर्शनी को  स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

प्रमुख चित्र: हरा सेब

  लाल मेज 

प्रातः कालीन नाश्ते की मेज पर

मछली के साथ  स्थिर जीवन

गांव का कोना 

रक्षा के लिए नारी

उन्मुक्त घोड़ों की सरपट दौड़

ब्लैक न्यूड

उल्लास की झांकी

लकड़हारे धान कूटते हुए

हाटबाजार

निधन:

कृष्णा जी हवला जी आरा का निधन 30 जून 1985 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी, उनकी कला और योगदान भारतीय कला जगत में जीवित हैं और उनकी विरासत आज भी नई पीढ़ियों को प्रेरित करती है।

कृष्णा जी हवला जी आरा की जीवन यात्रा संघर्ष, समर्पण और कला के प्रति अटूट प्रेम की कहानी है। उनकी रचनाएँ भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं और उनकी कलात्मक दृष्टि ने भारतीय कला को एक नई दिशा दी। उनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची कला सीमाओं से परे होती है और समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है।

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