CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण

  CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के  लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण भूमिका: क्यों जरूरी है BNSS 2023 की समझ? भारत की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), जो दशकों से देश की न्याय प्रणाली की रीढ़ थी, को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 से प्रतिस्थापित किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 ने IPC की जगह ली है। जूनियर डिवीजन कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ताओं के लिए यह बदलाव विशेष महत्व रखता है , क्योंकि यहाँ पुलिस कार्यवाही, गिरफ्तारी, जमानत, चार्जशीट, समन, और मुकदमे की सुनवाई जैसे मामलों से जुड़ी प्रक्रियाएं अधिक सक्रिय रूप से सामने आती हैं। 1. पुलिस कार्यवाही और गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधान पुरानी CrPC धारा BNSS 2023 धारा विषय मुख्य परिवर्तन 41 35 बिना वारंट गिरफ्तारी 7 वर्ष से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी के लिए सख्त शर्तें 41A 35(2) सूचना जारी करना गिरफ्तारी से पूर्व सूचना आवश्यक 41B 36 गिरफ्तारी की प्रक्रिया गिरफ्तारी में पारदर्शिता बढ़ाई गई 41D 39 वकील से मिलने का अधिकार अधिवक्ता की भू...

N S Bendre Artist ki Jivani Hindi Me। एनएस बेंद्रे आर्टिस्ट की जीवनी हिंदी में

 N.S.Bendre artist ki Jivani hindi me

एन. एस. बेंद्रे आर्टिस्ट की जीवनी हिंदी में

एन. एस. बेंद्रे का पूरा नाम नारायण श्रीधर बेंद्रे है ,बेंद्रे का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 21 अगस्त सन् 1910 ईस्वी को देशस्थ ऋग्वेदीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था,बेंद्रे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगरा विश्वविद्यालय के होलकर  कॉलेज  से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और पुनः इंदौर आकर अपनी कला शिक्षा प्राप्त की इसी महाविद्यालय से डी. डी. देवलालीकर ने भी बेंद्रे को  कला की शिक्षा प्रदान की , 1934 में वह मुंबई गए और कला का डिप्लोमा जे .जे. स्कूल ऑफ आर्ट से  डिप्लोमा प्राप्त किया।

N S Bendre Artist ki Jivani Hindi Me। एनएस बेंद्रे आर्टिस्ट की जीवनी हिंदी में
                              (नारायण श्रीधर बेंद्रे)

कला शिक्षा समाप्ति के बाद बेंद्रे ने स्वतंत्र रूप से कला का सृजन प्रारंभ किया, वह देश के कई हिस्सों में घूमे और वहां पर कला के माध्यम से सेवाएं प्रदान की ,सन 1936-1939 तक इन्होंने कश्मीर सरकार में कला पत्रकार के रूप में काम किया।बेंद्रे 1947 से 1948 तक वह यूनाइटेड स्टेट्स,इंग्लैंड,फ्रांस,बेल्जियम आदि  यूरोपीय देशों की यात्रा और मॉडर्न आर्ट का अध्ययन किया।

1945 ईस्वी शांतिनिकेतन की यात्रा की। यहां पर इनसे नंदलाल बोस,रामकिंकर बैज,विनोद बिहारी मुखर्जी मुलाक़ात  हुई और यामिनी राय से कोलकाता में मुलाकात हुई।

बेंद्रे ने अपनी कला का तीव्रता से विस्तार किया, सन् 1940 ईस्वी में बेंद्रे की चित्रित एकल आकृति"इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया"के मुख्य पृष्ठ पर बराबर छपती रही।परिणामस्वरूप अनेक बार पुरस्कार सम्मान प्राप्त हुए ,सन 1941 ईस्वी आपको उत्कृष्ट कृति के लिए बॉम्बे आर्ट सोसाइटी का स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ। सन 1946 में पटेल ट्राफी,सन 1946 में ही आप आर्ट सोसाइटी के अध्यक्ष चुने गए , सन 1984 को आपको कालिदास सम्मान मिला,और शांति निकेतन का अबन गगन पुरस्कार भी मिला।

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                            (बेंद्रे की एक पेंटिंग)

बेंद्रे को लैंडस्केप पेंटर के रूप में पहचान मिली,उनके पेंटिंग में विभिन्न रंगों का प्रयोग बिंदुवादी के लक्षण दिखते हैं ,साथ में पॉल गागिन और जार्ज सियुरा बिंदुवादी आर्टिस्ट की तरह उनकी भी पेंटिंग में समानता दिखती है। बेंद्रे ने क्यूबिस्ट,अभिव्यंजनावाद और अमूर्त कला में भी कार्य किया।

     बेंद्रे 1950 में बड़ौदा में कला विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट(HOD) बनाए गए वह 1966 तक HOD रहे।

प्रमुख पेंटिंग्स:- 1)थोर्न 

2) सन फ्लावर (सूरजमुखी)

3) काऊ और बछड़ा(1948)

4) बैलगाड़ी

5) द फीमेल काऊ हर्ड 

6)गपशप

मृत्यु::- 

एन एस बेंद्रे की मृत्यु 18 फरवरी 1992 को हुई थी।

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