CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण

  CRPC बनाम BNSS 2023: जूनियर डिवीजन कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण धाराओं का तुलनात्मक विश्लेषण भूमिका: क्यों जरूरी है BNSS 2023 की समझ? भारत की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), जो दशकों से देश की न्याय प्रणाली की रीढ़ थी, को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 से प्रतिस्थापित किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 ने IPC की जगह ली है। जूनियर डिवीजन कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ताओं के लिए यह बदलाव विशेष महत्व रखता है , क्योंकि यहाँ पुलिस कार्यवाही, गिरफ्तारी, जमानत, चार्जशीट, समन, और मुकदमे की सुनवाई जैसे मामलों से जुड़ी प्रक्रियाएं अधिक सक्रिय रूप से सामने आती हैं। 1. पुलिस कार्यवाही और गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधान पुरानी CrPC धारा BNSS 2023 धारा विषय मुख्य परिवर्तन 41 35 बिना वारंट गिरफ्तारी 7 वर्ष से कम सजा वाले मामलों में गिरफ्तारी के लिए सख्त शर्तें 41A 35(2) सूचना जारी करना गिरफ्तारी से पूर्व सूचना आवश्यक 41B 36 गिरफ्तारी की प्रक्रिया गिरफ्तारी में पारदर्शिता बढ़ाई गई 41D 39 वकील से मिलने का अधिकार अधिवक्ता की भूमिका क...

Ganesh Pyne -Biography of Artist। गणेश पाइन आर्टिस्ट की जीवनी

 

गणेश पाइन आर्टिस्ट की जीवनी
Ganesh Pyne -Biography of Artist। गणेश पाइन आर्टिस्ट की जीवनी

गणेश पेन (Ganesh Pyne) भारत के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थे, जिन्हें भारतीय आधुनिक कला का एक प्रमुख स्तंभ माना जाता है। उनकी कला रहस्यमय, गहरी और दार्शनिक तत्वों से भरपूर होती थी। वे बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट से प्रभावित थे, लेकिन उन्होंने अपनी एक अलग और अनोखी शैली विकसित की।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

गणेश पाइन का जन्म 11 जून 1937 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। उनका बचपन द्वितीय विश्व युद्ध और भारत के विभाजन जैसी घटनाओं के प्रभाव में बीता। 

 गणेश पाइन को बचपन में पांच वर्ष की आयु से अपने  दादी से पौराणिक महाभारत रामायण और रहस्यमय कहानियों को सुनने का शौक था। गणेश पाइन का अंतर्मुखी स्वभाव यहीं से विकसित हुआ।

 जब गणेश पाइन आठ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई ,जब नौ साल के हुए तब 1946 में हुए कोलकाता शहर के साम्रदायिक  दंगों को देखा , इस दंगे से उनके परिवार को भी कष्ट उठाना पड़ा ,कोलकाता स्थित उनके पुराने जर्जर भवन से हटाकर उनके परिवार के सदस्यगणों को एक अस्पताल में शरण दी गई ,इस समय गणेश पाइन का  पैर  ऐसी मृत महिला शरीर से टकरा गया ,क्योंकि अस्पताल में सांप्रदायिक दंगों में घायल व्यक्ति लाए जा रहे थे उनमें कुछ मर जाते थे इलाज के दौरान।इस विभीषिका से अस्पताल भरा पड़ा था।

इन घटनाओं ने उनकी कला को गहराई और गंभीरता प्रदान की। उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट, कोलकाता से 1959 में स्नातक की  शिक्षा प्राप्त की, जहाँ उन्होंने पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार की कलात्मक तकनीकों का अध्ययन किया।

कलात्मक शैली और विशेषताएँ

गणेश पाइन की कला में बंगाल की पारंपरिक चित्रकला, भारतीय मिथकों, दर्शन और मृत्यु जैसे गूढ़ विषयों का समावेश मिलता है। वे अपने चित्रों में गहरे रंगों, महीन रेखाओं और अद्भुत प्रकाश-छाया तकनीक का प्रयोग करते थे। उनकी पेंटिंग्स में सत्रहवीं सदी के डच आर्टिस्ट  रेब्रांट  का प्रभाव दिखता है , इसके अलावा वह  यूरोपीय आर्टिस्ट जान मेरो और पॉल क्ली से भी प्रभावित दिखते हैं अपनी कला प्रयोग में ।उनकी कला में रहस्यवाद (mysticism) और प्रतीकवाद (symbolism) की झलक मिलती है।

उनकी सबसे प्रसिद्ध शैली टेम्परा पेंटिंग (Tempera Painting) थी, वह टेम्परा आर्ट के पर्याय बन गए ।जिसमें वे सूक्ष्म रंगों और महीन ब्रश स्ट्रोक्स भी का उपयोग करते थे।

प्रमुख कृतियाँ

गणेश पाइन की कुछ प्रसिद्ध पेंटिंग्स में शामिल हैं:

  1. "The Mahabharata Series" – महाभारत के विभिन्न पात्रों और दृश्यों पर आधारित चित्र।
  2. "The Boatman" – जीवन और मृत्यु के प्रतीक के रूप में नाविक का चित्रण।
  3. "Arjuna and Krishna" – भगवद्गीता के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाने वाली पेंटिंग।
  4. द टीथ(टेम्परा ऑन कैनवास)
  5. वीर बहादुर(टेम्परा ऑन कैनवास)
  6. एप एंड फ्लावर(टेम्परा ऑन कैनवास)

पुरस्कार और सम्मान

गणेश पाइन को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले, जिनमें प्रमुख हैं:

  • राष्ट्रीय कला अकादमी पुरस्कार (ललित कला अकादमी)
  • पद्म भूषण (मरणोपरांत)
  • बीरला अकादमी ऑफ आर्ट एंड कल्चर अवॉर्ड

मृत्यु और विरासत

गणेश पेन का निधन 12 मार्च 2013 को हुआ। वे भारतीय कला के सबसे प्रभावशाली चित्रकारों में से एक माने जाते हैं। उनकी कला आज भी दुनियाभर में सराही जाती है और नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।

निष्कर्ष

गणेश पेन केवल एक चित्रकार नहीं थे, बल्कि वे कला के माध्यम से भारतीय दर्शन, जीवन और मृत्यु के गहरे अर्थों को व्यक्त करने वाले दार्शनिक भी थे। उनकी कला में गहराई, सूक्ष्मता और आध्यात्मिकता का अद्भुत समावेश देखने को मिलता है, जो उन्हें भारतीय कला जगत में अद्वितीय स्थान प्रदान करता है।

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