भावनात्मक बुद्धि --
What is Emotional intelligence और भावनात्मक बुद्धि क्या है
भावनात्मक बुद्धि से पहले सामान्य बुद्धि या इंटेलिजेंस की चर्चा आवश्यक है ।
सामान्य intelligence में हम दिन प्रति दिन में होने वाले कार्य में निर्णय लेने में विवेक का , तर्क का प्रयोग करतें है ,अचानक आपदा के समय स्वविवेक का प्रयोग करतें है। IQ किसी व्यक्ति बौद्धिक कौन कितना बुद्धिमान है ये उसकी IQ पर निर्भर करता है क्षमता पर आधारित है IQ लेबल अलग अलग हर व्यक्ति का होता है , जो जीनियस है उनका IQ लेबल 140 के आसपास होता है आइंस्टीन उनमे से एक थे , IQ लेबल जिसका ज़्यादा है वो तीक्ष्ण बुद्धि का ब्यक्ति है , IQ को मापने के लिए एक फार्मूला है जब मानसिक आयु को वास्तविक आयु से भाग देकर 100 से गुणा करतें है तब IQ का मापन होता है ,कम बुद्धि लब्ध वाले व्यक्ति को मनोविज्ञान की भाषा में डल, मोरोन कहे जाते है ।
उच्च IQ वाले व्यक्ति को जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी, उसे सामाजिक सम्मान भी मिलेगा, वह खुद के जीवन से संतुष्ट होगा ,इसकी कोई गारंटी नही है
भावनात्मक बुद्धि को सामान्यता ई क्यू (EQ)
आधुनिक Reserch के बाद ये ज्ञात हुआ है कि IQ व्यक्ति के जीवन में सफलता में 20% भाग निर्धारित करता है परंतु EQ व्यक्ति के जीवन में 80%भाग निर्धारित करता है। सामान्य स्थिति में व्यक्ति कैसी प्रतिक्रिया करेगा ये EQ के मापन द्वारा ही सम्भव है, किसके पास कितना EQ है द्वारा सम्भव है, जिस व्यक्ति का EQ उच्च होता है वह जीवन में तेजी से सफलता अर्जित करता है , EQ निरंतर आत्म विश्लेषण द्वारा सुधारा जा सकता है , 45 वर्ष की उम्र तक इसको धीरे धीरे बदला जा सकता है ।
जिनका IQ लेबल ज्यादा रहा वो भी समाज में बहुत बड़ी उपलब्धियां प्राप्त नही कर पाये वो अच्छा अन्तरर्वैक्तिक सम्बन्ध (Inter Personal Relation) नही बना पाते ये कमी भावनात्मक कमीं के कारण ही है,जबकि सामान्य IQ लेबल का व्यक्ति ऊंचाइयों तक गया । दुनिया के ज्यादातर नेता सामान्य IQ के ही थे परंतु उनमें EQ भी संतुलित रूप से विद्यमान था।
यानी हर व्यक्ति में IQ के अलावा भी विशेषतायें विद्यमान है जिनके द्वारा वो व्यक्तियों ,समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बना पाता है, जो इमोशनल इंटेलिजेंस कहलाती है ।
भावनात्मक बुद्धि(EQ) का सर्वप्रथम प्रयोग अरस्तू ने 350 ई. पू. में ही कर दिया था। लेकिन उस समय ये शब्द आम प्रचलन में नही आया था।
पीटर सलावे और मेयर ने 1990 में सर्वप्रथम इमोशनल इंटेलिजेंस (EQ) शब्द को प्रतिपादित किया।
1995 में डेनियल गोलमैन ने दुनिया के हर तरह के व्यक्तियों पर रिसर्च के बाद इसका निष्कर्ष निकाला और अपनी पुस्तक" इमोशनल इंटेलिजेंस -व्हाई इट कैन बी मैटर मोर दैन आई क्यू" (Emotional Intelligence:why it can matter more than IQ) में इसका वर्णन किया , उनके अनुसार भावनात्मक समझ की परिभाषा इस प्रकार है कि" emotional intelligence या भावनात्मक समझ किसी व्यक्ति की भावनाओं को जानने उनका प्रबंध करने, ख़ुद के अहम को अभिप्रेरित करने , दूसरों की भावनाओं को पहचानने तथा दूसरों के साथ सम्बन्धों को प्रबंध करने की क्षमता है । भावनात्मक बुद्धि के माध्यम से मानवीय सम्बन्ध स्वस्थ और बेहतर बनाये जा सकते हैं ,साथ ही EQ के द्वारा जीवन की समस्याओं के समाधान में सहायता मिलती है, यानी भावनात्मक बुद्धि से बेहतर जिंदगी ,सुखमय जिंदगी जी जा सकती है।
यानी व्यक्ति का अपने और दूसरों के मनोभाव को समझना उन पर नियंत्रण करना और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उनका सर्वोत्तम उपयोग करना है।
अपनी और दूसरों की भावनाओं या संवेगों को समझना व्यक्त करना और उनका प्रबंध करना ही इमोशनल इंटेलिजेंस है ,दूसरों की भावनाओं को समझना या इस प्रकार समझें कि दूसरों के चेहरे के भाव ,उसके एक्टिविटीज़ से उसके दिमाग़ को पढ़ना और उसकी भावनाओं को समझकर अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना प्रबंध करना ही Emotional Intelligence है ।
अरस्तू नामक दार्शनिक ने कहा है कि कोई भी गुस्सा हो सकता है ये आसान है लेकिन सही व्यक्ति से गुस्सा होना ,सही मात्रा में गुस्सा होना और सही कारण से गुस्सा होना और सही तरीके से गुस्सा करना बहुत कठिन कार्य हैं।
भावनात्मक बुद्धि में भावनाओं और संवेगों को जानना और उनके प्रति संवेदनशील होना।
दूसरे व्यक्तियों के विभिन्न संवेगों उनके शरीर के परिवर्तन उनके मनोभावों को समझना , दूसरों के प्रति सहानुभूति प्रकट करना तथा अपनी भावनाओं पर निंयत्रण रख जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने की कोशिश करना है। दूसरे शब्दों में दूसरों की भावनाओं को पहचानने की क्षमता है । एक अच्छे बुद्धि लब्ध या अच्छी IQ वाला व्यक्ति अच्छी सफलता तो पा सकता है पर सबसे ऊपर पहुँचने के लिए भावनात्मक समझ का होना आवश्यक है, विभिन्न शोधों द्वारा ये पता चला है कि उच्च भावनात्मक बुद्धि वाले व्यक्तियों में अधिक मानसिक स्वास्थ्य और शक्तिशाली नेतृत्व कौशल पाया जाता है।
अपनी भावनाओं और संवेगों को जानना उनके प्रति संवेदन शील होना ।
दूसरे व्यक्तियों के विभिन्न हावभाव जैसे शरीर,भाषा,आवाज और अन्य अभिव्यक्तियों पर ध्यान देते हुए जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।
अपने संवेगों की प्रकृति और तीव्रता के शक्तिशाली प्रभाव को समझना ।
अपनी अभिव्यक्तियों को दूसरों से व्यवहार करते समय नियंत्रित करना जिससे शांति मिल सके।
अतः हम कह सकतें है कि भावनात्मक बुद्धि वो क्षमता है जिसके द्वारा मानव बेहतर गुणवत्ता पूर्ण जीवन जीने की कोशिश करता है ।
भावनात्मक बुद्धि में यदि भावना हो बुद्धि न हो और यदि बुद्धि हो भावना न हो तो हमारी समस्याओं का आंशिक समाधान ही निकल पाएगा ,समस्याओं के पूर्ण समाधान के लिए दिल और दिमाग दोनों की जरूरत पड़ती है।
भावनात्मक समझ(EQ) के चार मुख्य भाग है।
१-स्वजागरूकता- ( Self Awarness):
हमारे देश में कहा जाता है कि जिसने ख़ुद को जान लिया उसने ब्रम्ह को जान लिया। यानि अपने अंदर की ताकत की पहचान करना, अपने अंदर की कमजोरी की पहचान करना, ख़ुद के लक्ष्य की पहचान करना।
जब आप अपने इमोशनस को समझने की क्षमता बढ़ाओगे तभी अपने पॉजिटिव और नेगेटिव इमोशन को पहचानकर अलग अलग कर पाओगे ,और अपने आ अंदर आने वाले नेगेटिव इमोशन जिनसे आपको गुस्सा पैदा होता है आपको दुःख पैदा होगा आप इन नेगेटिव इमोशन को भी अपनी क्षमता से धीरे धीरे शमन भी कर पाओगे। इस प्रकार खुद की भावनाओं को समझने की क्षमता भावनात्मक समझ का मुख्य हिस्सा है।
उच्च स्व जागरूकता वाले व्यक्ति अपनी मनोदशा का सही से मापन कर सकतें हैं, निरंतर सुधार के लिए दूसरों से ख़ुद के बारे राय लेने लिए स्वतंत्र होता है साथ में वह विभिन्न दबावों के बावजूद कड़े निर्णय लेने में सक्षम होता है।
२-आत्म प्रबंधन--(Self Management):
आत्म प्रबंधन का तात्पर्य यह है कि हम अपनी भावनाओं आवेगों को कितने अच्छे से नियंत्रित कर लेतें है, इसके लिए उन आवेगों (impulse) पर नजऱ रखना होगा जो विध्वंसक हैं, जो लोग self control नही कर पाते वह emotions के दया पर dependent रहते हैं जिनको गुस्से में कण्ट्रोल नही होता वो समाज के दूसरे व्यक्तियों से मीठा सबंध नही पाते ,
इसीलिए कहा जाता है की-----
Never take decision when you are angry,
Never promise when you are happy
यदि किसी परिवार के सदस्य के निधन के बाद आप हर काम छोड़कर डिप्रेशन में चले जाते है तो इसका मतलब है कि उनमें emotional control नहीं है। ईमानदारी और सत्यनिष्ठा बनाये रखना आवश्यक है, पास में आये हुए अवसरों को पकड़ना और असफलता के पश्चात भी आशावादी बने रहना, उच्च आत्म प्रबंधन वाला व्यक्ति अपनी टीम के व्यक्ति को अचानक निकालने का निर्णय नही लेता या फिर ख़ुद की निर्धारित योजनाओं के अनुसार कार्यकर्ताओं के नही चलने पर गुस्से से लाल पीला नही हो जाता।
यानी निष्कर्ष रूप में यदि किसी व्यक्ति को किसी व्यापार या नौकरी में नुकसान से होने वाले मानसिक पीड़ा , या किसी रिलेशन से होने वाले ब्रेकअप से होने वाली पीड़ा, किसी परिवारीजन / प्रियजन के मृत्यु या हादसे से होने वाले मानसिक पीड़ा आदि होने पर वो व्यक्ति ख़ुद को जितनी जल्द उभार लेता है और ख़ुद को फिर से motivate करके काम में लग जाता है वो उतना ही अच्छा EQ का व्यक्ति कहलाता है।
३-आत्म प्रेणना ( Self Motivation)-
Self motivated व्यक्ति सदैव ख़ुद से मोटिवटेड रहते है और हर काम को पूरी सिद्दत और मनोवेग से करते हैं,उनके हर काम की शुरुआत बहुत ज्यादा ख़ुशी और जोश के साथ होती है। ऐसे लोग जब काम करते हैं तो उनके सफलता के चांस बढ़ जाते हैं और कम effort में ही success achieve कर लेतें है।
आत्म प्रेणना से तात्पर्य परिणाम उन्मुख ( Goal oriented) होना और जो जरूरी है उस पूरे लक्ष्य का पीछा करना ,आत्मप्रेरित व्यक्ति स्वयं के लिए और दूसरों के लिए चुनौती पूर्ण लक्ष्य निर्धारित करता है। वह सदैव अपने कार्य में उत्तरोत्तर सुधार करके अपने ख़ुद के पूर्व प्रदर्शन से अच्छा करने की कोशिश करता है,जो व्यक्ति आत्मप्रेरित है वो ख़ुद की प्रेणना से अपने लिए और संगठन के सदस्यों के लिए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करता है वह सफ़ल होने के लिए अपनी भावनाओं को नियोजित करता है , वह सदैव सफ़ल होने के लिए भरसक प्रयत्न करता है और सदैव सफलता के स्वप्न ही देखता है , असफल होने के दुःस्वप्न से नही घबड़ाता , डटकर चुनौतियों को स्वीकार करता है और दमख़म से उनको पूरा करने को तैयार रहता है।
४-सामाजिक जागरूकता:- (Social Awareness or Socia Skill)
सामाजिक जागरूकता का तात्पर्य दूसरों की भावनाओं विचारों स्थितियों को समझना तथा उनके प्रति संवेदनशील होना दूसरों की भावनाओं को समझना दूसरों की आवश्यकताओं को जानना है
दूसरों की मानसिक अवस्था को समझना उसकी स्थित मनोदशा को समझकर ख़ुद को उसके अनुसार ढाल पाना ऐसी क्षमता को Empathy (परानुभूति) कहा जाता है ,जिनमे ऐसी क्षमता जिनमे ज्यादा होती है वो अच्छे ढंग से आपसी सम्बन्ध में मधुरता (Bonding) पैदा कर पाते है. और अपने रिलेशनशिप ख़राब नही करते और उनको बना कर रखते हैं , ऐसे गुण अच्छे टीचर और सेल्समैन में पाये जाते हैं।
५-सम्बन्ध प्रबंधन---(Relation ship management)
सम्बन्ध प्रबंधन से तात्पर्य है कि दूसरों की भावनाओं को निर्देशित करना, दूसरों के विश्वाश और भावनाओं को प्रेरित करना, दूसरों की क्षमताओं का विकास करना, संघर्षों का समाधान, मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का निर्माण , समूह कार्य का समर्थन , अच्छा प्रबंधक दूसरों को अपना विजन बेहतर तरीके से समझाने में सफल हो जाता है और बेहतर संबंधों से ख़ुद का नेटवर्क बढ़ाने में सफ़ल होता है।
ऐसे व्यक्ति पब्लिक में बहुत पॉपुलर होते हैं, और वो इस पॉपुलैरिटी को ख़ूब एन्जॉय भी करतें है,ऐसे व्यक्ति को अलग अलग लोंगो से मिलकर अच्छे रिलेशन बनाने में बड़ा मजा आता है और लोंगो को भी उस बन्दे से मिलने में बहुत मजा आता है। ऐसे व्यक्ति कई व्यक्तियों के जबानी नाम तक याद रखतें हैं , ऐसे व्यक्तियों में लीडरशिप गुण होता है।
मष्तिष्क (Brain) की भूमिका Emotional
Intelligence में-
में हिप्पोकैम्पस मेमोरी को रजिस्टर करता है , इसका एक भाग कोर्टेक्स हर इंसिडेंट हर फैक्ट का analysis करता है कोर्टेक्स को थिंकिंग ब्रेन भी कहा जा सकता है थिंकिंग ब्रेन यानि कोर्टेक्स हर फैक्ट में पूरी तरह एनालिसिस करता है , इन सभी फैक्ट में इमोशनल फ्लेवर डालने का काम मस्तिष् क के नीचे भाग में स्थित भाग एमिगडला(emygdala) में होता है यदि एमिगडला को मस्तिष्क से हटा दिया जाए तो मानव के सभी इमोशन्स खत्म हो जायेंगे मानव रोबोट की तरह हो जायेगा कोई भी सम्बंध (रिलेशन) माता ,पिता ,भाई ,बहन आदि को भी नही जानेगा । एमिगडला कुछ ऐसे हार्मोन उद्दीपित करता है जिससे हमारे चेहरे के भाव, मशल्स में फुलाव, हार्ट रेट सब बदल जाते हैं ।
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मस्तिष्क(brain) की संरचना |
Thalmus-हमारी सारी sensory information ( संवेदी सूचनाएं पहले) thalmus पर जातीं है thalmus इनको एमिगडला पर भेज देता है। एमिगडला एक इमोशनल चौकीदार की तरह काम करता है, इमोशनल सिचुएशन को एमिगडला ही हैंडल करता है।
जब कोई इमोशनल सिचुएशन आती है तो कोर्टेक्स और एमिगडला दोनों तेजी से काम करतें है पर इमोशनल सूचनाये तेजी से फ़ैल जाती है जबकि कोर्टेक्स उस समय घटनाक्रम का पूरा एनालिसिस तर्क से कर रहा होता है।
भावनात्मक बुद्धि (Emotional intelligence)
में किसी भी क्षेत्र में वार्ता या बातचीत के माध्यम से काम को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है ।
भावनात्मक समझ के लक्षण-
१) संतोषपूर्ण प्रबंधन
२)सृजनात्मकता
३)स्वनिर्भरता
४)विचारशील प्रभावी निर्णय लेने की क्षमता
५)सफल मित्रों से सीखने की क्षमता
६)सकारात्मक सोंच होना और विचारों का आदान प्रदान करना।
भावनात्मक बुद्धि ( Emotional Intelligence ) के अनुप्रयोग--------–-----
भावनात्मक बुद्धि वाले व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के साथ चाहे वो सहकर्मी हो, व्यापार में पार्टनर हो,, ग्राहक हो या किसी अधिकारी से अपनी बात को वार्ता से हल कर सकता है।
आजकल हर जगह नेटवर्किंग के माध्यम से भिन्न भिन्न लोंगों से ,भिन्न भिन्न व्यवसाय से जुड़े लोंगों से व्यक्तिगत (Personal Relation) सम्बन्ध बनाये जातें है, इस चैन सृंखला को तभी विस्तार दिया जा सकता है जब बेहतर EQ वाले व्यक्ति चैन से जुड़ें ,वर्तमान में नेटवर्किंग के माध्यम से बड़ी बड़ी समस्याओं को Solve किया जा सकता है।
कार्मिक प्रशासन में जब कर्मचारियों की भर्ती की जाती है तो EQ की माप द्वारा ही पद के योग्यता के अनुरूप योग्य व्यक्ति का चुनाव होता है ।
( भावनात्मक बुद्धि और कार्य मनोवृति)
(Emotional Intelligence and work attitude)
व्यक्ति के व्यवहार में उसकी मनोवृति का पता लगाया जा सकता है , कुछ खास तरह के व्यवहार का मापन करके उसके अभिवृत्ति से उसके Apptitude यानी अभिरुचि के बारे में पता लगाया जा सकता है कि उस व्यक्ति का रुझान किस क्षेत्र की तरफ है , वह क्या एक प्रबंधक के गुण रखता है और नेतृत्व (Leadership) के कितने गुण उसके अंदर है। भावनात्मक बुद्धि निम्न प्रकार के मनोवृत्तियों और व्यवहारों से जुडी रहती है।
कार्य में संतुष्टि--- एक भावनात्मक बुद्धि वाला व्यक्ति जिस जॉब में रहता है कार्य के प्रति सन्तुष्टि रखता है और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाये रखता है।
संगठन के प्रति प्रतिबद्धता--(Organizational Commitment)
उच्च EQ वाले व्यक्ति आशावादी प्रवृति के होते हैं ,यह वह गुण है ऐसे व्यक्ति अपने काम में ईमानदार होते हैं, न कि दूसरों की कमियां ढूढ़ने में व्यस्त रहते हैं , जिससे उनकी संगठन के प्रति कर्तव्यनिष्ठा में बृद्धि होती है।
व्यक्तिगत जीवन से व्यावसायिक जीवन में अलगाव---------
भावनात्मक बुद्धि वाला व्यक्ति रोजमर्रा के व्यवसायिक कार्यों को निजी जिंदगी में हावी नही होने देते , ऑफिस या व्यवसाय के कार्य को घर की समस्याओं से पूर्णतयः अलग करके रखते हैं , ऐसा वह सफल भी होते है वह दोनों के बीच सन्तुलन बना कर रखता है । साथ में उनमे अपनी भावनाओं और संवेगों को नियंत्रण में रखने की क्षमता होती ।
डेनियल गोलमैन के अनुसार संवेगात्मक बुद्धि के तत्व----
(Components of emotional intelligence)
डेनियल गोलमैन के अनुसार संवेगात्मक बुद्धि में पांच तरह के तत्व आते हैं।
1-अपने संवेगों की सही जानकारी रखना---
संवेगात्मक बुद्धि में जिसको अपने मनोभावों की जानकारी होगी तभी हम उन पर समय से पूर्व व्यक्ति नियंत्रण में कर लेतें हैं।
2-अपने संवेगों को मैनेज करना - (Managing Emotions)--------
भावनात्मक बुद्धि का दूसरा तत्व अपने संवेगों का आत्म प्रबंधन करना ,अर्थात संवेगों को स्वयं कम या ज़्यादा किया जा सके , इच्छित दिशा में मोड़ा जा सके,इस प्रकार अपने संवेगों को कण्ट्रोल कर सकने में समर्थ व्यक्ति जीवन में हर समय आने वाली चुनौतियों का भली प्रकार से सामना करने में सक्षम हो पाता है। जैसे अपने भावनाओं के बारे में जानकारी होना चाहिए ,जब भी गुस्सा आता है तो आने से पूर्व ही पहचान लेना उस पर नियंत्रण करना ।
3-आशावादी तरीक़े से स्वयं प्रेरित करना------
भावनात्मक बुद्धि का तीसरा तत्व स्वयं को आशावादी तरीक़े से प्रेरित करना ,स्वयं को प्रेरित करने के लिए हमे , अच्छा साहित्य, मोटिवेशनल बुक्स पढ़नी चाहिए , मोटिवेशनल वीडियो को प्रतिदिन सुनना चाहिए ।
4-दूसरे के संवेगों को पहचानना--------- (Recognizing the Emotions of Other)-
भावनात्मक बुद्धि का चौथा तत्व दूसरे के संवेगों को पहचानना क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशेषता और अपना स्वाभाव होता है, हम उनके संवेगों को पहचानकर उनके लिए सहायता दे सकते है , हम उनके विचारों को समझकर उनके विचार की प्रशंसा करे उनके साथ खड़े रहें , क्योंकि हर व्यक्ति तभी आपके साथ सक्रियता से खड़ा होगा जब आप दूसरे के साथ पूरी सक्रियता से लगे रहे होंगे। दूसरों के दुःख के समय यदि आप उसके दुःख के कारण को पूरा ignore करते हो तो आप के अंदर antipathy है ,यदि उसके साथ समय व्यतीत कर ढांढस बांधते हो तो वो sympathy है ,यदि उस व्यक्ति के दुःख का कारण जानने के बाद उसके दुःख निवारण के लिए पूरी सक्रियता से उसके साथ उसकी सहायता में लग जाते हो तो वो ampathy कहलाता है।
5-दूसरों के संवेगों का संचालन करना---
भावनात्मक बुद्धि का पांचवां तत्व दूसरों के संवेगों को पहचानकर उनकी शारीरिक ,मानसिक रूप से सहायता करना, दूसरे व्यक्ति के दुःख निराश होने पर निराशा कम करने के उपाय करना, दूसरे के संवेग( क्रोध, दुःख, ख़ुशी, निराशा) को पहचानकर उनके लिए प्रबंध करना , इससे न केवल अन्तरर्वैक्तिक सम्बद्ध मजबूत होते है बल्कि व्यक्ति में लीडरशिप के गुणों का भी विकास होता है। भावनाओं के प्रबंधन में दूसरे की भावनाओं को समझना, उसकी भावनाओं का विश्लेषण करना यानि भावनाओं में कई बातें छिपी होती है उन बातों को महसूस करना और ये समझना कि वो भावनाएं किस लिए प्रकट हो रहीं है उसके पीछे की कुछ घटनाएं भी जिम्मेदार हो सकतीं है और तब उचित प्रकार से रिस्पांस देना शामिल है।
प्रशासन और संगठन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता(Emotional Intelligence) का प्रभाव--
Why is emotional intelligence important in the workplace--
लीडरशिप में भूमिका-
Emotional Intelligence की भूमिका तब दिखती है जब किसी विभाग या संगठन का अध्यक्ष को अपनी टीम को नेतृत्व प्रदान करना होता है ,इस टीम में हर सदस्य को जब एक निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के अपने काम को अंजाम देना होता है ,उस समय कई सदस्य दबाव में होते है वो हताश और निराश हो जाते हैं, इस स्थिति में मैनेजर या विभागाध्यक्ष को अपने सदस्यों की भावनाओं को जानना आवश्यक हो जाता है, वह सदस्यों के कार्यों के प्रदर्शन को सुधारने और उत्साहित करने के लिए उनके अंदर की उथल पुथल की समस्याओं को पढ़कर उनको सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत करके आगे बढ़ने के लिए ताक़त देता है।
संगठन में भावनात्मक संपर्क तभी कायम हो पातें है जब सभी सदस्य और टीम लीडर एक जगह किसी लक्ष्य को पूरा करने और उसका विश्लेषण करने के लिए मीटिंग का आयोजन करता है।
सिविल सेवक को emotional intelligence समझने में भूमिका---
What is emotional intelligence leadership--
जिस प्रकार एक डॉक्टर किसी मरीज़ को जल्द ठीक करने में कामयाब होता है यदि डॉक्टर मरीज़ के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ता है बनिस्बत उन डॉक्टरों की तुलना में जो मरीज़ से कोई इमोशनल बातें नही कर पाते,उनसे दिल से नहीं जुड़ पाते।
इसी तरह एक प्रशासक को ये जरूरी है कि वो जनता से भावनात्मक रूप से जुड़े ,ये तब और जरुरी हो जाता है जब आज जनता, राजनेताओं और अधिकारियों को अविश्वाश और काम को लटकाने वाला जनता से कुछ लेकर काम करने की उम्मीद करने वाला समझती है,यानी आप ये समझें ,जनता आज हर सरकारी संस्था मंत्रालय से लेकर एक क्षेत्रीय सरकारी ऑफिस तक को अक्षम और अकर्मण्य ,भ्रष्ट मानने लगी है। इन दोनों संस्थाओं को निंदा ,घृणा,अविश्वाश की दृष्टि से देखा जाने लगा है।
इस स्थिति के साथ आज प्रशासनिक अधिकारीयों को नित नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है ,आज प्रशासन सिर्फ कानून व्यवस्था बनाने के लिए नही है बल्कि उसे आपदा कार्यों बाढ़, सूखे, दुर्घटनाओं के समय के प्रंबंधन, विकास कार्यों स्वच्छ जल पेयजल, आवास के प्रबंधन, त्वरित निर्णय लेने, साम्प्रदायिक संघर्षों से जूझने,नक्सली आतंकी हमलों से निपटने , बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रदूषण, बेरोजगारी से निपटने, सूचना प्रद्योगिकी और साइबर अपराध से निपटने के लिए कारगर उपाय करने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है ।
प्रशासन के अंदर भी कई बुराइयां है ,राजनीतिक ओदबाव,अत्यधिक केंद्रीकरण ,पुराने नियम क़ानून ,जटिल नियम , अनुपयुक्त कार्य शैली।
एक सिविल सेवक तब Dilemma(दुविधा)का सामना करता है जब उसके कार्यों में राजनीति होने लगती है
इस समय जनता प्रशासन में व्यापक बदलाव की मांग उठने लगी है आज सुशासन की मांग उठ रही है ।
इसलिए आज प्रशासन को जनता के साथ इमोशनल टच बनाये रखने के लिए ,जनसम्पर्क रखने और अपने निर्णयों में सिविल सोसाइटी को भागीदारी देने से , प्रशासनिक कार्यों में जवाब देयता बढ़ाने,पारदर्शिता बढ़ाने से इन समस्याओं का निवारण हो सकता है ।
उस समय जब एक अधिकारी जनता की भावनाओं को समझता है या जनता से जनसम्पर्क करता है उनको योजनाओं में सहभागी बनाता है तब Emotional Intelligence की ही जर्रूरत पड़ती है। खरीदें
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