धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जीवनी हिंदी में Dheerendra Krishna Shastri Biography Hindi me

Bitcoin या अन्य क्रिप्टो करेंसी कम्यूटर नेटवर्किंग से बने एक डिजिटल वॉलेट में रखे जा सकते हैं जिसमे बिटकॉइन मूल्यों के रूप में रखे जाते हैं जब बिटकॉइन को किसी दूसरे के पास भेजा जाता है तो भेजने जाने वाले व्यक्ति की अन्य जानकारी कोई चुरा नहीं पाता क्योंकि यह peer to peer ट्रांसेक्शन होता है हर लेन देन में एक नए ब्लॉक का निर्माण होता है जो पूरे कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े रहते है।
बिटकॉइन का कोई एक मालिक नहीं है।यानी किसी एक व्यक्ति का स्वामित्व नहीं है।
बिटकॉइन को कंट्रोल करने के लिए कोई सेंट्रलाइज अथॉरिटी नहीं है।
कई अर्थ शास्त्रियों ने तो इसको बहुत ही खतरनाक बताया उन्होंने बिटकॉइन समेत सभी क्रिप्टो करेंसी को पोंजी स्कीम की तरह बताया।
थोड़ा सा पीयर तो पियर नेटवर्क के बारे में समझते है कि येक्या है ?
Peer to peer नेटवर्क क्या है-- पियर तो पियर सर्वर और क्लाइंट सर्वर दो प्रकार के होते हैं क्लाइंट सर्वर में एक सर्विस को accept करता है फिर दूसरा सर्विस मुहैय्या करवाता है वहीं peer to peer network में एक ही कंप्यूटर से सर्विस accept भी की जाती है और यही कंप्यूटर सर्विस मुहैय्या भी करवाता है ,इसमें क्लाइंट और सर्वर में विभेद नहीं होता बल्कि प्रत्येक नोड (node) सर्वर और क्लाइंट की तरह कार्य करता है।इसमें डेटा मैनेजमेंट (Data Mangement) centralised नहीं होता।
बिटकॉइन(Bitcoin)शब्द का सर्वप्रथम सन 2008 में सतोषी नाकोमाटो नाम के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने किया था।पर वास्तव में ये सतोषी नाकामाटो कौन है ये आज तक नहीं मालूम हो पाया है।
उसने एक डॉक्यूमेंट पब्लिश किया।इस सतोषी नाकामाटो ने इस डॉक्यूमेंट में यह बताया कि पूरी दुनिया मे चल रही बैंकिंग व्यवस्था को कैसे बिटकॉइन करेंसी के माध्यम से बदल(replace) दिया जा सकता है।
बैंकिंग सिस्टम में हर एकाउंट के लेन देन पर निगरानी रखने के लिए एक व्यवस्था कायम किया है और हर निकासी और जमा पर अपनी मोहर लगाता है।पर बिटकॉइन में ऐसी कोई केंद्रीकृत एजेंसी नहीं होती ।यह एक निश्चित एल्गोरिथ्म पर आधारित है ,पर इतने विशाल लेन देन को बहुत शक्तिशाली कम्यूटर की जरूरत पड़ती है। और इस कंप्यूटर के संचालन के लिए जो व्यक्ति अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करते हैं वो बिटकॉइन की भाषा मे माईनर कहलाते हैं।
सन 2009 में सर्वप्रथम पहली बार बिटकॉइन से लेनदेन की की शुरुआत हुई।
तब एक माइनर बिटकॉइन ट्रांसेक्शन से रिवॉर्ड सिर्फ दो से तीन दिन में प्राप्त कर लेता था और आज सन 2021 को एक बिटकॉइन रिवॉर्ड के रूप में पाने के लिए एक साल का इंतजार भी करना पड़ सकता है।क्योंकि आज दुनिया भर में लाखों माईनर हो चुके हैं और खास बात ये है कि आप यदि माइनिंग के लिए कंप्यूटर रखते हो तो उसमें किसी एक ही प्रकार के क्रिप्टो करेंसी के लिए ही कर सकते हो।
बिटकॉइन के लेन देन में किसी बैंक की जरूरत नहीं है साथ इस मुद्रा का प्रयोग बिना किसी मध्यस्थता के किया जा सकता है यानी जैसे हर देश मे नोट सरकार छापती है जो एक (अथॉरिटी) होती है नोट छापने के लिए और नोट के मूल्य के उतार चढ़ाव पर निगरानी के लिए एक सेंट्रलाइज्ड बैंक होता है जैसे भारत मे RBI है। पर बिटकॉइन का नियंत्रण कोई बैंक नहीं करता इसमें ब्लॉकचैन तकनीकी का इस्तेमाल होता है एक बार यदि आपने किसी को रुपये भेजे तो उसका एक अलग ब्लॉग बनेगा और जब निकाला तो उसका एक अलग ब्लॉग बनेगा और इस लेनदेन निकासी का पूरा का पूरा ब्यौरा एक ब्लॉक में दर्ज रहेगा और ये नए ब्लॉक पुराने ब्लॉक के फैले हुए जाल से एक जुड़ने के लिए जटिल कम्यूटर एल्लोग्रथिम (allogrithim) का इस्तेमाल होता है।
बिटकॉइन के लेन देन में किसी बैंक की जरूरत नहीं है न ही आप डॉलर या रुपये विभिन्न देश की मुद्राओं की तरह क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकतें हो।
बिटकॉइन के लेन देन में किसी बैंक की जरूरत नहीं है साथ
.हम लोग बिटकॉइन की खरीद फ़रोख़्त भी करते है इसके लिए एक यूनिक आई डी बनानी पड़ती है ,इसमें बिटकॉइन को इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर भी कर सकते हैं।इसके लिए हमे वॉलेट का इस्तेमाल करना होता है वालेट कई प्रकार के होते है जैसे मोबाइल वॉलेट ,डेस्कटॉप वालेट,ऑनलाइन वॉलेट आदि इसमें से किसी एक का इस्तेमाल करके अपना एकाउंट बनाना होता है। इस वॉलेट को बनाने में हमको एक यूनिक एड्रेस दिया जाता है।जब बिटकॉइन खरीदते या बेचते है उस समय इस यूनिक आई डी वाले वॉलेट की आवश्यकता पड़ती है ,उस समय बिटकॉइन खरीदने पर यहीं स्टोर होती है ,बाद में बिटकॉइन के रूप में जितना इंडियन रुपया उस समय उस दिन उस टाइम होगा उतना कन्वर्ट होकर आपके बैंक एकाउंट में भी भेजा जा सकता है।बिटकॉइन लेन देन में एक बिटकॉइन एड्रेस का प्रयोग किया जाता है।
बिटकॉइन की कीमत आज के दिन बहुत ज्यादा है जैसे हमे एक डॉलर खरीदने के लिए 70 रुपया देना पड़ रहा उसी तरह आज के डेट में एक बिटकॉइन को खरीदने के लिए 26 लाख देना पड़ेगा ,आपको ज्ञात हो 2009 में बिटकॉइन इतना सस्ता था कि व्यक्ति ने अपने घर बिटकॉइन से ऑनलाइन पिज़्ज़ा डिलीवर करवाया था ,क्योंकि उस समय उसकी कीमत मात्र .06 डॉलर ही थी।
प्रतिदिन बिटकॉइन की कीमत तेजी से बढ़ रही है क्योंकि इसकी संख्या पहले से फिक्स कर दी गई है इसकी संख्या 21 मिलियन निर्धारित की गई है उसमें 13 मिलियन के करीब बिक चुके है। समय के साथ इसकी कीमत कम होगा।जब इसकी संख्या लगातार और कम हो जाएगी ये अनुमान लगाया गया है कि आखिरी बिटकॉइन सन 2110 निकलेगा जो बहुत दूर है।यदि रोजाना के उतार चढ़ाव को देखेंगे तो इसका मूल्य कभी बहुत ज़्यादा चढ़ जाता है कभी लुढ़ककर बहुत नीचे चला जाता है, बहुत ही अनिश्चय रहता है जिसमें पूंजी यदि लगाया गया तो। क्योंकि इस बिटकॉइन में कोई निश्चित नियामक बॉडी नहीं है बल्कि वैश्विक बाजार के उतार चढ़ाव और बिटकॉइन के वैश्विक ख़रीद फ़रोख़्त के कारण भी शेयर मार्केट की तरह इसका मूल्य तेजी से चढ़ता उतरता है।
जरूरी नहीं कि आप करोङो रुपये मूल्य की एक बिटकॉइन ही खरीदें बल्कि आप उसके छोटे से भाग को भी ख़रीद सकते हो , बिटकॉइन के छोटे भाग को "सातोशी" कहते हैं। जैसे एक रुपये में सौ पैसे होते है यानी रुपये की सबसे छोटे मूल्य को एक पैसा कहते हैं उसी तरह एक बिटकॉइन में 10 करोङ सातोशी(satoshi) होते है ,आप चाहे तो satoshi की ख़रीद फ़रोख़्त कर सकतें है क्योंकि हर व्यक्ति सीधे एक बिटकॉइन को खरीदने में एक करोङ के आसपास का निवेश नही कर सकता। क्योंकि आज की डेट में 26 लाख से ऊपर है एक बिटकॉइन की कीमत और आपको जानकारी हो कि 2009 में एक बिटकॉइन की कीमत मात्र.06 डॉलर थी।
रोज के बिटकॉइन की कीमत अलग अलग होती है ,आप धीरे धीरे सतोषी ही खरीदें ,यहां तक कि आप इसमें कम से कम कितना रुपया सौ रुपया भी निवेश कर सकते हैं आपको उतने अनुपात का सतोषी मिल जायेगा। बाद में जब आप देखें कि बिटकॉइन की कीमत में उछाल आया रहा है तब आप अपने यूनिक आई डी वाले इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट रखे हुए सतोसी को बेंच सकते हैं।
यदि आप कोई सामान बेच रहे हो तो खरीददार से डॉलर या रुपया की जगह बिटकॉइन में भी लेन देन कर सकते हो।जिससे आपके वालेट में बिटकॉइन एकत्र हो जाएगा।
बिटकॉइन का बनाने का एक और तरीका होता है जिसे माइनिंग कहते हैं ,इसमें माईनर एक ट्रांसेक्शन के बाद एक बिटकॉइन सेवा शुल्क(रिवॉर्ड) के रूप में प्राप्त करता है। जैसे आप लोंगो ने payTM आदि वॉलेट से जब खरीददारी की होगी तो वो आपको रिवॉर्ड में कुछ पॉइंट देते है ,आप उन पॉइंट का इस्तेमाल किसी नेक्स्ट ख़रीददारी में कर सकते है।उसी तरह इसमें माईनर को सर्विस चार्ज के रूप में एक बिटकॉइन ही मिल जाता है।
Bitcoin के बारे मे बहुत सा confusion था, अब समझ मे आयी बहुत सी बातें।
ReplyDeleteधन्यवाद सिद्धांत राठौर जी
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