शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ

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  – शेयर बाजार में ओपन इंटरेस्ट (OI) क्या है? इसे समझें इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतों के साथ   प्रश्न : क्या ओपन इंटरेस्ट (OI) डेटा से किसी स्टॉक में इंट्राडे खरीदारी का सटीक संकेत उसी दिन सुबह या एक दिन पहले मिल सकता है? उत्तर है : हाँ, लेकिन कुछ शर्तों और विश्लेषण के साथ। 🔍 OI से इंट्राडे में संकेत कैसे मिलते हैं? ओपन इंटरेस्ट का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग में सपोर्ट-रेजिस्टेंस, ब्रेकआउट, और ट्रेडर सेंटिमेंट को पकड़ने के लिए किया जाता है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं: 📈 1. OI और प्राइस मूवमेंट का संयोजन Price OI Interpretation भाव बढ़े बढ़े नया पैसा आ रहा है, ट्रेंड मजबूत Bullish संकेत घटे बढ़े शॉर्ट बिल्ड-अप हो रहा है Bearish संकेत बढ़े घटे शॉर्ट कवरिंग हो रही है Bullish लेकिन अल्पकालिक घटे घटे लॉन्ग अनवाइंडिंग हो रही है Bearish लेकिन अल्पकालिक उदाहरण: अगर किसी स्टॉक में प्री-मार्केट या पहले 15 मिनट में तेजी है और साथ में OI बढ़ रहा है , तो इसका अर्थ है कि ट्रेडर नई लॉन्ग पोजिशन बना रहे हैं – इंट्राडे बाय का संकेत। ⏰ 2. OI का डे...

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 जवाहर लाल नेहरू (1889-1964) 


( Jawaharlal  Nehru)

स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत के राजनीतिक मंच में सिर्फ एक ही नाम गूंजने लगा वो था नेहरू।

           इनका जन्म  इलाहाबाद allahabad सेनानी पंडित मोती लाल नेहरू के घर 14 नवम्बर 1889 को हुआ था, धनाढ्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले पंडित नेहरू की शिक्षा इंग्लैंड में हुई,1912 में वो बैरिस्टर बन कर वापस लौटे,  नेहरू का राजनीतिक रुझान 1920 के बाद शुरू हुआ वह यूरोप तथा अन्य देशों की यात्राएं कीं, उन्हें रूस के समाजवाद ने बहुत प्रभावित किया परंतु जल्द ही उन्हें मालूम हो गया कि समाजवादी व्यवस्था में अत्यधिक नियंत्रण है और इस व्यवस्था में जनता के मानवाधिकारों को चकनाचूर कर दिया गया है ,1920-22 में नेहरू को असहयोग आंदोलन के समय  यू .पी . के गांव को घूमने का अवसर मिला ,एक तरफ उन्होंने देखा कि जमींदार और साहूकार कैसे छोटे किसानों का उत्पीड़न करते हैं साथ मे खेतों में मज़दूरी करने वाले लोंगों की  ग़रीबी और शोषण , उत्पीड़न का भी  गम्भीरता से देखा उन्होंंने ग्रामीण ग़रीबी को देखा था।                   
     उन्होंने बांकीपुर के कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया,1921 में सविनय अवज्ञा आंदोलन से गांधी के  सम्पर्क में आये ,उन्होंने नौ बार जेल की यात्रा की ,1923 में कांग्रेस के महासचिव चुने गए और 1929,1939 और 1946 और 1951 से 1954  तक अनवरत अध्यक्ष रहे , 1946 में नेहरू अंतरिम सरकार में और स्वतंत्र भारत के  प्रथम प्रधानमंत्री बने और 1964 मृत्यु होने तक इसी पद में रहे।

             महात्मा गांधी जीने उन्हें अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी माना था , क्योंकि उन्हें विश्वास था कि उनके पश्चात नेहरू देश को अहिंसा के मार्ग पर चलाते रहेंगे। 
      आर्थिक क्षेत्र में नेहरू समाजवाद  के प्रखर समर्थक थे, ये कांग्रेस के नियोजित राष्ट्रीय योजना समिति के अध्यक्ष 1939 में चुने गए  , और स्वतंत्रता के बाद योजना आयोग के भी प्रधान थे , इन्ही के अनुसार देश मे योजना आयोग बना पंचवर्षीय योजनाएं बनी देश के विकास में सहायक बनी ।

             वह आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के समर्थक
थे , वह भारत के उन्नति के लिए देश के कोने कोने में वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अनेक केंद्र खोले, उन्होंने कई बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भाषण भी दिए।

           पंडित जवाहर लाल नेहरू अंतर्राष्ट्रीयता के समर्थक थे , वह साम्राज्यवादी , उपनिवेशवादी देशों की भत्सर्ना करते थे ,अनगिनत अंतरराष्ट्रीय मामले अरब इजराइल झगड़े, कोरिया समस्या ,वियतनाम समस्या,स्वेज नहर समस्या जैसे विषयों में नेहरू ने शांति और मध्यस्थता  के प्रस्ताव दिए।

               भारत मे आज़ादी के बाद ही  कई समस्याएं आई जैसे देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भगाए गए हिन्दू शर्णार्थियों के पुनर्वास का प्रबंधन करना पाकिस्तान के साथ साधनों का बंटवारा , सैनिक सामग्री ,भंडारण, सैनिकों का बंटवारा बहुत ही जटिल कार्य था। इन सब मोर्चों पर नेहरू ने  बख़ूबी अंजाम दिया।
       देश की आजादी के बाद पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश को विकास पर ले जाने के लिए  औद्योगीकरण पर जोर दिया गया।

                 भारत मे 365 रियासतों का भारत मे विलय करना था ,परंतु इस काम मे सरदार पटेल ने वी. पी. मेनन के साथ मिलकर बख़ूबी अंजाम दिया , हैदराबाद और जूनागढ़ कश्मीर ने भारत मे ख़ुद को विलय का विरोध किया , परंतु ऑपरेशन पोलो से सरदार पटेल ने सेना भेजकर और जूनागढ़ में बहुसंख्यक हिन्दू प्रजा का समर्थन लेकर विलय भारत मे कर दिया , परन्तु कश्मीर रियासत के राजा हरि सिंह ने स्टैंडस्टिल का   समझौता  पाकिस्तान भारत से कर लिया भारत ने इस समझौते में  हस्ताक्षर नही किये , पाकिस्तान से आये कबाइलियों के आक्रमण से डरकर राजा हरिसिंह ने भारत मे विलय की मंजूरी दे दी।

इस पोस्ट को भी पढ़े :एनीबेसेण्ट और होमरूल लीग


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